रांची। राजधानी के बिरसा स्मृति पार्क में झारखंड आदिवासी महोत्सव 2024 मनाया जा रहा है। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया। इस मौके पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार भी मौजूद रहे। इसके साथ ही इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर दिशोम गुरू शिबू सोरेन भी उपस्थित रहे। इस दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव में भाग लेने कई राज्यों के कलाकार शामिल हो रहे हैं।

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर राज्यपाल संतोष गंगवार, झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के इलावा राज्यसभा सांसद महुआ माजी, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी और विधायक कल्पना सोरेन भी मौजूद रहीं। राज्य सरकार द्वारा आयोजित आदिवासी महोत्सव में अन्य राज्यों से जनजातीय कला को प्रदर्शित करने के लिए कलाकार भी आमंत्रित किए गये हैं। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में ये सभी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।

इस कार्यक्रम को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संबोधित किया। सीएम ने कहा कि राज्य में तीसरी बार विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। लेकिन इस महोत्सव को देश और दुनिया के अलग अलग हिस्से में भी मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा आदिवासी समाज देश दुनिया में फैला है और झारखंड ने आदिवासी सांस्कृति सभ्यता के होने जल, जंगल, जमीन की रक्षा और अधिकार के संघर्ष करके दुनिया को दिखाया है। सभा को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि झारखंड के लिए किस तरह से लंबी लड़ाई लड़ी गयी और उनके पिता शिबू सोरेन और उनके साथियों की क्या भूमिका रही।

हर बार नई ऊर्जा के साथ हम सब एकत्रित होते हैं
आज विश्व आदिवासी दिवस है, हमारे राज्य में तीसरी बार विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। हर बार एक नई उत्साह और नई ऊर्जा के साथ हम सब एकत्रित होते हैं। आज आदिवासी दिवस पर सिर्फ एक ही स्थान पर नहीं बल्कि देश-दुनिया के भर सभी स्थानों पर अलग-अलग समूहों में लोग आदिवासी समूह आदिवासी दिवस मना रहा है। निश्चित रूप से आदिवासी समाज के लिए ऐसे दिन हमेशा याद रखने का दिन होता है।

आदिवासी समाज के बाद ही अन्य समाजों का सृजन हुआ
आदिवासियों को देश-दुनिया का सबसे, आदिवासी समाज के बाद ही अन्य समाजों का सृजन हुआ। इसी क्रम में ये आदिवासी समाज भी देश दुनिया के सभी कोनों में अपनी संस्कृति, विरासत के साथ चल रहा है। इसमें झारखंड प्रदेश आदिवासी संस्कृति सभ्यता, जल, जंगल, जमीन की रक्षा और अधिकारी लड़ाई के लिए संघर्ष दुनिया को दिखाया है। हमें गर्व है कि हमने ऐसी धरती पर जन्म लिया, जिसे झारखंड ही नाम नहीं बल्कि इस राज्य को वीरों की धरती कहा जाता है। जहां भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हो, फूलो-झानों जैसे वीर सपूतों ने इस धरती के लिए, आदिवासी-मूलवासियों के अधिकार के लिए संघर्ष किया।

सदियों से यहां के मूलवासियों के साथ शोषण हुआ
अलग झारखंड राज्य के लिए लोगों ने लड़ाई लड़ी, इनमें से कई बुजुर्ग हो गयें और कई संघर्षशील लोगों ने हमारा साथ छोड़ दिया। लेकिन इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए कि ये राज्य और प्रदेशों की अपेक्षा इसकी अलग पहचान और इतिहास रहा है। सदियों से यहां के मूलवासियों के साथ शोषण हुआ। आजादी के पहले और बाद में भी यहां के आदिवासियों के साथ शोषण हुआ।

हमारे पूर्वजों ने अलग राज्य की परिकल्पना की
इसी लिए हमारे पूर्वजों ने अलग राज्य की परिकल्पना की, लोगों के बलिदान और संघर्ष के कारण साल 2000 में हमें अलग झारखंड राज्य प्राप्त हुआ। राज्य बनने के बाद विकास के पथ पर चलाने के लिए, कई सरकारें बनीं। 2019 की सरकार बनाने के बाद हम आदिवासी दिवस भी नहीं मना पाए। इस बीच कोरोना काल में हम संक्रमण काल से गुजरे। इसके बाद हमने देश-दुनिया सोने की चिड़िया कहती है लेकिन इतना खनिज संसाधन होने के बावजूद हमारे राज्य के लोग विकास के मानदंडों को पूरा कर पाने में असमर्थ हैं।

लेकिन हमारे विगत कार्यकाल के दिनों में हमने अलग अलग तरीकों से विकास की गति को बढ़ाने का प्रयास किया। हमारी आने वाली पीढ़ी को बेहतर भविष्य मिल सके। इसके लिए हमने प्रयास किया, चाहे वो मॉडल स्कूल के नाम पर हो या फिर गरीबों के लिए सर्जजन पेंशन हो, चाहे इस राज्य की हर महिला को सम्मान राशि देने का हो। बहुत सारी ऐसी योजनाओं को लेकर हमने राज्य को गति दी। आज खुशी का दिन है और संकल्प लेने का भी दिन है कि हम लोग बहुत मुश्किलों और संघर्षों के बाद किसी पायदान पर पहुंचते हैं।

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