कहा: जेएमएम अब गुरुजी वाला जेएमएम नहीं रहा
पुराने नेताओं की पूछ नहीं
संताल में बदल रही डेमोग्राफी
रांची। चंपाई सोरेन के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा को दूसरा झटका लगा है। पार्टी से निलंबित लोबिन हेंब्रम ने शनिवार को भाजपा का दामन थाम लिया। लोबिन के आने से संताल में भाजपा को एक आक्रामक नेता मिला है। उसकी स्थिति कुछ मजबूत होगी।
संताल परगना के बोरियो से निर्वाचित लोबिन हेंब्रम ने को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सदस्यता दिलायी। इस अवसर पर असम के सीएम सह भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन, सीता सोरेन और अमर बाउरी मंच पर उपस्थित थे। इन लोगों ने लोबिन हेंब्रम का पार्टी में स्वागत किया।
लोबिन हेंब्रम ने झारखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभायी थी। उनकी गिनती संताल परगना के तेज-तर्रार नेताओं में होती है। वह झारखंड आंदोलन के समय गुरुजी के साथ थे और आज भी वह गुरुजी को आदर्श मानते हैं। वह बोरिया से पांच विधायक रह चुके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी से बगावत कर उन्होंने राजमहल सीट से चुनाव लड़ा था। इस आरोप में वह पार्टी से बरखास्त कर दिये गये थे। दलबदल के तहत विधानसभा से उनकी सदस्यता भी रद्द कर दी गयी थी। लोबिन हेंब्रम ने इस मौके पर कहा, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से उनकी कोई नाराजगी नहीं है। गुरुजी उनके आदर्श रहे हैं। उनकी नाराजगी पार्टी के नये नेताओं से है। आज के जेएमएम में पार्टी के पुराने नेताओं की कोई इज्जत नहीं रह गयी है। धीरे-धीरे पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता झामुमो से किनारा कर रहे हैं।
जेएमएम के कई वरिष्ठ नेता बदलेंगे पाला: लोबिन
लोबिन ने आगे कहा, मैंने जेएमएम को सजाने और संवारने का काम किया। आज भी मैं गुरुजी का भक्त हूं, उन्होंने मुझे राजनीति सिखायी है। चंपाई दा के साथ मिल कर जेएमएम को एक लक्ष्य तक पहुंचाने का संकल्प लिया था। गुरुजी के समय का झामुमो आज नहीं है, वो पूरी तरह बदल गया है। शराब नीति का जिक्र करते हुए लोबिन ने कहा कि मैंने छत्तीसगढ़ शराब नीति का सदन के अंदर विरोध किया था। गुरुजी बराबर शराब के खिलाफ थे। वह आदिवासियों को दूर रखने की कोशिश करते थे। आज वही झामुमो सरकार झारखंड में शराब बिकवा रही है।
बदल रही है संताल की डेमोग्राफी
संथाल परगना की डेमोग्राफी पर भी उन्होंने अपनी बात रखी और कहा, बांग्लादेशियों की वजह से आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है। झारखंड की दुर्गति हो रही है। मैंने प्रधानमंत्री और देश के गृह मंत्री पर विश्वास जताते हुए बीजेपी का दामन थामा है। आदिवासियों को उसके हक और अधिकार दिलाने के लिए हम मिल कर काम करेंगे।
लोबिन हेंब्रम का राजनीतिक सफर
लोबिन का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। लोबिन हेंब्रम ने अपनी पत्नी के साथ मजदूरी कर आजीविका चलाते थे। झारखंड राज्य आंदोलन के दौरान उन्हें काफी दिनों तक गोड्डा, भागलपुर और दुमका जेल में रहना पड़ा। शिबू के साथ मिल कर महाजन और शोषण के खिलाफ लड़ते थे 1995 में उन्हें जब जेएमएम से टिकट नहीं मिला, तो बगावत कर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई। विधायक के पिता रघु हेंब्रम प्राइमरी स्कूल के शिक्षक थे। अपने पिता की इच्छा के अनुसार उन्होंने बोरियो शिबू सोरेन कॉलेज की स्थापना की।