रांची। प्रतिबंधित संगठन पीएलएफआइ द्वारा लेवी के पैसे को शेल कंपनी शिव आदि शक्ति इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड में निवेश से संबंधित मामले में आरोपी फुलेश्वर गोप की जमानत याचिका झारखंड हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। उसके खिलाफ एसएलपी की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई। मामले में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार एवं न्यायमूर्ति संजय करोल की खंडपीठ ने एनआइए को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन ने पक्ष रखा। झारखंड हाइकोर्ट ने पूर्व में फुलेश्वर की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

दरअसल, हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई में प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि फुलेश्वर गोप शिव आदि शक्ति इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर थे, लेकिन कंपनी में उनका शेयर मात्र 5% का था। लेवी का कोई पैसा इस कंपनी में नहीं लगा है। दरअसल, इस कंपनी में प्रतिबंधित संगठन पीएलएफआइ के सुप्रीमो दिनेश गोप की पत्नी हीरा देवी भी डायरेक्टर थी।

आरोप है कि इस शेल कंपनी के माध्यम से पीएलएफआइ द्वारा अर्जित लेवी के पैसे को विभिन्न कामों में लगाया जाता था। इस मामले में फुलेश्वर गोप 3 साल 6 माह से जेल में है। बता दें कि मामले को लेकर बेड़ो थाना कांड संख्या 67/ 2016 दर्ज किया गया था। केंद्र सरकार द्वारा इस मामले को एनआइए जांच के लिए हैंडओवर किया गया था। इसके बाद एनआइए ने मामला 2/2018 दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया है। मामले में एनआइए ने प्रथम पूरक चार्जशीट में फुलेश्वर गोप को गवाह बताया था, जबकि दूसरे पूरक चार्जशीट में उसे आरोपी बना दिया था।

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