हिन्दुओं से जुड़े हुए के समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने पर केंद्र सरकार द्वारा विचार किया जा रहा है. साथ ही केंद्र सरकार इस मुद्दे पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी विचार करने को कह चुकी है. कहा जा रह है कि केंद्र सरकार द्वारा आयोग को इस समुदाय को अल्पसंख्यकों का दर्जा देने की सिफारिश को भी कह दिया गया है. हालांकि आरोग का इसको लेकर यह कहना है कि यह समुदाय हिन्दुओं से जुड़ी हुई है ऐसे में उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा उचित कैसे होगा.
आयोग ने इस पर अपनी राय तो दी है लेकिन उन्होंने अंतिम फैसला केंद्र सरकार पर ही छोड़ दिया है. जिस पर सरकार और आयोग की खीचतान चल रही है वो वैदिक ब्राह्माणों को अल्पसंख्यकों में शामिल करने का मुद्दा है. साल 2016-17 की रिपोर्ट में आयोग ने यह कहा है कि भारतीय ब्रह्माण महासभा की मांग के बाद यदि वैदिक ब्रह्माणों को अल्पसंख्यक दर्जा सरकार से मिल जाती है तो उसके बाद राजपूत, वैश्य और कई जाति लोग भी इस दर्जे की मांग कर सकते हैं.
इस स्थिति पर गौर किया जाय तो ब्रह्माणों को अल्पसंख्यक का दर्जा देना सही नहीं होगा. हालांकि अब यह केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि इस बारे में काया फैसला लिया जाना उचित होगा. बताते चलें कि भारत में अल्पसंख्यक कानून 1992 के तहत राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग स्थापना हुई है. मौजूदा समय में देश में 6 अल्पसंख्यक समुदाय हैं. जिनमें मुस्लिम, क्रिश्चयन, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी शामिल हैं.