नयी दिल्ली। वामपंथी विचारकों के कथित नक्सल लिंक के मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद सबूत सौंपा है। महाराष्ट्र पुलिस ने दाखिल हलफनामा में सर्वोच्च अदालत को बताया है कि इन आरोपियों को सरकार से असहमति के लिए नहीं, बल्कि प्रतिबंधित संगठन सीपीआइ (माओवादी) का सदस्य होने के सबूत मिलने के बाद गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ के लिए सुप्रीम कोर्ट से फिर एक बार उनकी कस्टडी की मांग की है। साथ ही आशंका भी जतायी है कि आरोपी सबूत नष्ट कर सकते हैं। पुलिस ने कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में सबूत भी पेश किये हैं।
पिछले हफ्ते मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस ने एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, अरुण फरेरा, तेलुगु कवि वरवरा राव और वेरनॉन गोन्साल्विज को गिरफ्तार किया था। इन पर अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट की धाराएं लगायी गयी थीं। एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को आदेश दिया था कि उन्हें गिरफ्तार करने की बजाय उनके घर में रखा जाये। सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर तक उन्हें जेल नहीं भेजने का निर्देश दिया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ‘असहमति को दबाने’ की कोशिश पर चेताया भी था। महाराष्ट्र पुलिस ने बुधवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से आरोपियों की कस्टडी मांगी। पुलिस ने कहा कि हाउस अरेस्ट से केवल उनके शारीरिक मूवमेंट पर रोक लगी है। पुलिस ने आशंका जतायी कि आरोपी घर बैठे सबूतों को नष्ट करने से लेकर दूसरे संभावित आरोपियों को अलर्ट कर सकते हैं।
महाराष्ट्र पुलिस ने अपने हलफनामे में आरोप लगाया कि पांचों एक्टिविस्ट सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की साजिश में लगे हुए थे। समाज में अराजकता फैलाने की यह योजना प्रतिबंधित संगठन सीपीआइ (माओवादी) की थी, जिस पर 2009 से ही प्रतिबंध लगा हुआ है। पुलिस ने कहा है कि हाउस अरेस्ट के दौरान ये आरोपी काफी नुकसान पहुंचा चुके हैं। पुलिस ने इन तर्कों के आधार पर कहा है कि आरोपियों को सिर्फ हाउस अरेस्ट में रखना ठीक नहीं।
पुलिस ने कोर्ट को बताया कि आरोपियों के पास से कंप्यूटर, लैपटॉप, पेन ड्राइव्स और मेमरी कार्ड्स मिले हैं। इनमें मिली सामग्री साफ बताती है कि वे सीपीआइ (माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं और समाज को अस्त-व्यस्त करने की गतिविधियों में शामिल थे। पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि सीलबंद लिफाफे में पेश किये गये सबूतों को देखें। पुलिस के मुताबिक सबूत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि पांचों आरोपियों ने अपने कैडर्स को ‘संघर्ष क्षेत्रों’ में भूमिगत होने को कहा था। कैडर्स को हथियार खरीदने के लिए पैसे जुटाने और भारत में स्मगलिंग के जरिये हथियार लाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा था।