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    Home»Top Story»झारखंड में महागठबंधन नहीं, गांठ-गांठ बंधन
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    झारखंड में महागठबंधन नहीं, गांठ-गांठ बंधन

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskSeptember 4, 2019No Comments4 Mins Read
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    राहुल के कमान छोड़ते ही अब हेमंत के नेतृत्व को लेकर कांग्रेसी उठा रहे सवाल
    लोकसभा चुनाव में एनडीए के विजयी रथ का पहिया ऐसा घूमा कि इसे काबू करने के लिए बना महागठबंधन चुनाव परिणाम के साथ तार-तार हो गया। 14 में 12 लोकसभा सीटों पर करारी हार मिली। इसके बाद से विपक्षी खेमे में घमासान मचा है। स्थिति यह हो गयी है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने झामुमो नेता हेमंत सोरेन के नेता पद की दावेदारी को एक सिरे से खारिज कर दिया। वहीं झामुमो ने रामेश्वर उरांव को भी तवज्जो नहीं देते हुए दिल्ली में ही मामला फिट होने की बात कही। विधानसभा चुनाव को लेकर बदलाव की तैयारियों में जुटा झारखंड मुक्ति मोर्चा महागठबंधन की अगुआई को लेकर भले ही आश्वस्त दिख रहा हो, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के बयान ने हेमंत सोरेन समेत सभी छोटे-बड़े नेताओं को असहज कर दिया है। हेमंत को महागठबंधन में सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करने पर असहमति के सुर पर झामुमो ने कांग्रेस पार्टी को आलाकमान का आइना दिखाया।
    बीते लोकसभा चुनाव में सीटो के बंटवारे के दौरान दिल्ली में झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ने संबंधी लिखित प्रस्ताव को झामुमो ने हथियार बनाया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के जमाने की चिट्ठी को सार्वजनिक कर कहा कि कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार और झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के भी इस पर हस्ताक्षर हैं। बहरहाल तमाम नेताओं के हस्ताक्षर से जारी इस संयुक्त प्रस्ताव को आगे कर जेएमएम महागठबंधन का नेतृत्व करने की वकालत कर रहा है।
    वाम का क्या होगा, लाल होंगे या ग्रीन सिग्नल मिलेगा
    विधानसभा चुनाव में अगर महागठबंधन बनता है, तो वाम दलों का क्या होगा। ये फिर लाल होंगे या फिर महागठबंधन के लिए ग्रीन सिग्नल मिलेगा। यह तो समय बतायेगा, लेकिन वाम दलों को किनारा करके कई सीटों पर विधानसभा चुनाव जीतना महागठबंधन के लिए आसान नहीं है। वामपंथियों के वजूद को पिछली बार भी महागठबंधन के नेताओं ने स्वीकारा, लेकिन उन्हें तरजीह नहीं दी। भाजपा विरोधी वोटों का बिखराव रोकने के सवाल पर इस बार वामपंथी भी महागठबंधन से बुलावे की आस में हैं।
    उनके नेता कई सीटों पर अपनी दावेदारी जताते हुए चुनावी तैयारियों में पूरी ताकत से जुटे होने का दम भर रहे हैं।
    खंड-खंड में जारी होने लगा संकल्प पत्र
    महागठबंधन में बिखराव की बानगी हाल के दिनों में साफ तौर पर देखी जा सकती है। सीटों का बंटवारा नहीं हुआ, इसकी औपचारिक या अनौपचारिक पुष्टि नहीं हुई, लेकिन धीरे-धीरे महागठबंधन के दल घोषणा पत्र जारी करने लगे।
    राजद ने तो पिछले दिनों अपना संकल्प पत्र भी जारी कर दिया। इसमें कहा कि लड़की की शादी के लिए 15 ग्राम सोना, प्राइवेट में भी आरक्षण मिलेगा। वहीं हेमंत सोरेन ने बदलाव यात्रा के दौरान किसान, महिलाओं और ओबीसी कार्ड खेला।
    कांग्रेस में घोषणा पत्र ड्राफ्ट कमेटी बनाने की तैयारी है। लोकसभा चुनाव के दौरान विधानसभा में महागठबंधन को लेकर चर्चा हुई थी। इसमें साझा घोषणा पत्र बनाने को लेकर भी बात हुई थी। लेकिन, यूपीए के घटक दलों के बीच अब तक साझा घोषणा पत्र को लेकर कहीं कोई चर्चा नहीं हो रही है।
    बहरहाल, भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए वैसे तो पूरे देश में सियासी दल महागठबंधन के सूत्र में बंधे हुए थे। लेकिन, जैसे ही चुनावी नतीजों की घोषणा हुई, तो महागठबंधन धराशायी हो गया। आलम यह है कि अब महागठंबधन के हर दल में रार सतह पर आ चुकी है।
    ऐसे में अब इस बात की आशंका जतायी जा रही है कि राज्य में आगामी दिनों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में ये महागठबंधन अपने वजूद को शायद न बचा पाये। अगर ऐसा नहीं भी होता है, तो वर्तमान परिस्थिति में किसी नेता के लिए महागठबंधन का प्लॉट तैयार करना आसान नहीं होगा। कारण इस वक्त झारखंड में विपक्षी दलों का बंधन खंड-खंड हो चुका है। उनकी गांठ स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती है।

    lump-knot bond No alliance in Jharkhand
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