अजय शर्मा
रांची। चोरी छिपे शुरू हुए धंधे में जब सीनाजोरी दिखायी देने लगी तो आवाज सरकार तक पहुंची। फिर वहीं हुआ जो होना चाहिए था। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आलाधिकारियों को दो टूक सुना दिया। हर हाल में कोयला तस्करी रोकें। हर उस हाथ को दबोचें जो कोयले में सने हों। चाहे वह हाथ पुलिस अधिकारियों के हों, तस्करों के या फिर सफेदपोशों के। सीएम का लहजा इतना सख्त था कि अधिकारियों ने फौरन बैठक बुलायी और कोयला तस्करी पर रोक लगाने के फरमान सुना दिये। मुख्य सचिव की अगुवाई में हुई बैठक में गृह सचिव और दूसरे आला अफसरों ने शिरकत की। तय हुआ कि सभी अफसरों को सूचना भेजी जाये। जिम्मेदारी तय की जाये और तय समय में रिपोर्ट तलब की जाये। सीआइडी को जिम्मेदारी दी गयी है कि वह तत्काल रिपोर्ट करे।
क्या है आदेश में उसकी चंद लाइनें पढ़िये:

अवैध कोयला के कारोबार में संलिप्त सभी पुलिस/असैनिक पदाधिकारियों को चिह्नित कर उनके विरुद्ध कठोरतम अनुशासनिक कार्रवाई की जाये। पश्चिम बंगाल से आने वाले अवैध कोयले का झारखंड में किसी भी हालत में परिचालन नहीं होना चाहिए। जामताड़ा जिला के पुलिस/खनन पदाधिारियों के द्वारा इस पर पूर्ण रूप से इसपर रोक लगायी जाये। धनबाद जिला में अवैध कोयला के व्यापार में संलिप्त अपराधकर्मियों खासकर सफेदपोश व्यक्तियों पर आवश्यक कार्रवाई की जाये। कोयला चोरी के संबंध में विभिन्न राष्ट्रीयकृत कंपनी सीसीएल, बीसीसीएल के साथ खनन विभाग, परिवहन विभाग, वन विभाग, राजस्व विभाग, गृह विभाग मिलकर एक विशेष कार्ययोजना तैयार की जाये। इसके क्रियान्वयन एक निर्धारित समय तय किया जाये। समय अवधि के अनुरूप चरणबद्ध तरीके से कार्रवाई की जाये। बंद पड़े खदानों से होने वाली चोरी और उससे संबंधित दुर्घटना पर भी रोक लगायी जाये ताकि इसके लिए जवाबदेही तय की जाये।
क्या हो रहा है झारखंड में
झारखंड में कोयला तस्करी में पुलिस विभाग के ही कई सीनियर और जूनियर अधिकारी शामिल हैं। अगर कोई पुलिस अफसर इमानदारी से तस्करी रोकने की कोशिश करता है तो ये अधिकारी उसकी तबादले की पूरी पृष्ठभूमि तैयार करते हैं। कोयला तस्करी में पुलिस के आदमी ही शामिल हैं। हजारीबाग, रामगढ़, धनबाद, बोकारो, जामताड़ा में बड़े पैमाने पर तस्करी होती है।
जांच हुई तो उतर जायेंगे कई के चेहरे से नकाब
सीएम के आदेश के बाद इमानदारी से अगर जांच हुई तो कई के चेहरे से नकाब उतर जायेंगे। पूरे राज्य में कोयला तस्करी में शामिल पुलिस अधिकारियों और वैसे अधिकारियों की भी सूची तैयार की जा रही है जो दूसरे विभाग में हैं।
तस्करी के लिए खनन विभाग, वन विभाग, सीसीएल और पुलिस भी शामिल है। संरक्षण देने वालों में पुलिस, सफेदपोश, विधायक, सांसद भी शामिल हैं। इन सबों को अवैध वसूली में हिस्सा भी मिलता है। इसका खुलासा टंडवा के मगध आम्रपाली योजना की रिपोर्ट में सामने आ चुकी है।

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