अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी में राह भटक कर चीन की सीमा में चले गए पांच भारतीय नागरिक वतन लौट आए हैं। चीनी सेना ने शनिवार को अंजाव जिला के अंतर्गत किबिथू के कवाई इलाके में भारतीय सेना को सौंप दिया। भारत के रक्षा मंत्रालय के पीआरओ (तेजपुर) ने भी ट्वीट करके पुष्टि की है कि 2 सितम्बर को एलएसी पार करने वाले 5 शिकारी युवा आखिरकार 12 सितम्बर को भारत को सौंप दिए गए।
अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिला के नाचो सर्कल निवासी सात युवक तोच सिगंकाम, प्रशांत रिंगलिंग, दोंगतू इबिया, तानू बाकर और गारु दिरी अपने दो अन्य साथियों के साथ इलाके में हमेशा की तरह शिकार की तलाश में गए थे। शिकार करने के दौरान पांच युवक चीनी सीमा में प्रवेश कर गए थे। दो युवक मौके से भाग निकलने में सफल रहे जिन्होंने घर पहुंचने के बाद अपने गांव के बुजुर्गों और युवकों के परिजनों को इस बारे में बताया। इसकी जानकारी परिजनों व प्रशासन को दी गई।
पांचों युवाओं के अन्य दो साथियों ने चीनी सेना द्वारा युवाओं का अपहरण करने का आरोप लगाया था। शनिवार को भारतीय सेना ने सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद पांचों युवकों को अपने जिम्मे ले लिया। सभी युवाओं को कोरोना नियमों के तहत अगले 14 दिनों के लिए एकांतवास में रखा जाएगा। उसके बाद उनके परिवार को सौंप दिया जाएगा।
इन युवाओं को आज भारतीय सेना को सौंपने जाने संबंधी जानकारी भारतीय सेना के तेजपुर स्थित पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल हर्ष वर्धन पांडे ने शुक्रवार को ट्वीट कर दी थी। इससे पहले, केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने भी शुक्रवार को एक ट्वीट के माध्यम से कहा कि चीन की पीएलए द्वारा शनिवार को अरुणाचल प्रदेश से लापता पांच युवाओं को भारतीय अधिकारियों को सौंपने की जानकारी दी थी।
इस घटना को मिलाकर चालू वर्ष में ऊपरी सुबनसिरी और पश्चिम सियांग जिले में इस तरह की तीन घटनाएं हुईं हैं। अतीत में भी भारतीय सेना के लगातार प्रयासों और समन्वय के बाद ऐसे सभी व्यक्तियों को सुरक्षित तरीके से घर वापस लाया गया था। घटना की जानकारी मिलते ही भारतीय सेना ने गत 08 सितम्बर को हॉट लाइन के जरिए पीएलए से बात कर इस मामले में जानकारी मांगी थी जिसके बाद पीएलए ने पांचों युवकों के उनके कब्जे में होने की पुष्टि की थी। इसी के बाद युवकों को वापस लाने के लिए प्रयास शुरू किए गए।
उल्लेखनीय है कि भारतीय और चीनी सेना लद्दाख में लंबे समय से आमने-सामने हैं। दोनों सेनाओं के बीच कई बार झड़प भी हुुई है। स्थिति गंभीर होते देख तिब्बत से लगने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सेना की निगरानी बेहद कड़ी की गई है। पीएलए भारतीय क्षेत्र और भारतीय सेना की गतिविधियों की जानकारी हासिल करने के लिए लगातार तरह तरह के हत्थकंडे अपना रही है। संभवतः इन पांचों युवकों को कब्जे में लेकर 10 दिन बाद छोड़ने के पीछे भी चीनी सेना की कोई गहरी चाल हो।
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