रांची। छठी जेपीएससी के सफल अभ्यर्थियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। इनमें से कई अभ्यर्थियों को कैडर आवंटित भी कर दिया गया है। उन्हें विभिन्न विभागों में पदस्थापित भी कर दिया गया है। छठी जेपीएससी के मामले में सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने अनुशंसित (नियुक्त) 326 अधिकारियों को प्रतिवादी बनाते हुए नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। नोटिस की आम सूचना जारी की जायेगी और समाचार पत्रों में इसका प्रकाशन भी किया जायेगा।
अदालत ने कहा कि इस मामले में अंतिम आदेश जारी करने के पूर्व सभी पक्षों को अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए। इसलिए सभी सफल उम्मीदवारों का भी पक्ष सुनना जरूरी है। इसलिए सभी सफल अभ्यर्थियों को नोटिस देकर प्रतिवादी बनाना जरूरी हो गया है। छठी संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम को चुनौती देनेवाली प्रार्थी प्रदीप राम, दिलीप कुमार सिंह एवं अन्य की ओर से दायर अलग-अलग याचिका पर हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति एसके द्विवेदी की कोर्ट ने सुनवाई की।
कोर्ट ने प्रार्थियों के संशोधित आवेदन (आइए) को स्वीकार कर लिया। इस आइए में प्रार्थियों ने अनुशंसित 326 अभ्यर्थियों को प्रतिवादी बनाने का आग्रह किया था। झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पक्ष रखते हुए बताया कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। छठी सिविल सेवा के सभी अनुशंसित अभ्यर्थी नियुक्त हो चुके हैं।
वहीं प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पक्ष रखते हुए नियुक्त अधिकारियों को मामले में प्रतिवादी बनाने का आग्रह किया। प्रार्थी की ओर से छठी जेपीएससी रिजल्ट को चुनौती देते हुए कहा गया कि क्वालिफाइंग पेपर का मार्क्स जोड़ कर जेपीएससी ने अंतिम रिजल्ट तैयार किया है, जो गलत है। इसे संशोधित किया जाना चाहिए।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखा। इधर, छठी जेपीएससी के परिणाम को चुनौती देनेवाली प्रभु प्रकाश एवं सुमित कुमार की याचिका में प्रार्थियों का कहा है कि नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण नीति का पालन सही तरीके से नहीं किया गया है। छठी जेपीएससी में क्वालिफाइंग पेपर के मार्क्स को कुल प्राप्तांक में जोड़कर अंतिम रिजल्ट दिया गया है, जो विज्ञापन के अनुरूप नहीं है। इस मामले में भी कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रार्थी के संशोधित आवेदन को स्वीकार करते हुए वैसे सफल अभ्यर्थियों को नोटिस करने को कहा, जिनका जिक्र प्रार्थी ने संशोधित आवेदन में किया है।
छठी जेपीएससी के मामलों की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि इससे संबंधित 32 याचिकाएं हाइकोर्ट में दायर हुई हैं। इस पर कोर्ट ने सभी मामलों को संलग्न कर एक साथ सुनवाई करने की बात कहते हुए सुनवाई की तिथि 11 नवंबर निर्धारित की। बता दें कि छठी जेपीएससी परीक्षा के परिणाम को चुनौती देनेवाली 16 याचिकाओं में मुख्य परीक्षा का परिणाम निकालने में नियमों का अनुपालन नहीं होने, मेधा सूची तैयार करने में गड़बड़ी, आरक्षण के नियमों का पालन नहीं करने आदि मामले को प्रार्थियों ने अदालत में रखा है।
दूसरी ओर छठी जेपीएससी के अनुशंसित अभ्यर्थियों के कैडर बंटवारे से संबंधित कुछ याचिकाओं में कहा गया है कि वे आरक्षित श्रेणी में आते हैं, लेकिन मेरिट के आधार पर उन्हें सामान्य श्रेणी का मानते हुए वित्त सेवा और योजना सेवा का कैडर दिया गया है। इन प्रार्थियों ने आरक्षित श्रेणी में रखते हुए उन्हें कैडर आवंटित करने का आग्रह कोर्ट से किया है।

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