-सरकार पर लगाया वादा खिलाफी आरोप
-राज्य भर के हजारों युवा रांची के प्रभात तारा मैदान में जुटे
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। आजसू प्रमुख सुदेश कुमार महतो ने कहा कि शहीदों के सपनों का झारखंड बनाने के लिए नीति, नीयत और विश्वसनीयता की आवश्यकता है। मौजूदा सरकार इन तीनों मापदंडों पर विफल रही है। हमारे युवा सड़कों पर हैं। युवा रोजगार मांग रहे हैं। इनके पास बीए, एमए, इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक आदि की डिग्री है। लेकिन इनके पास नौकरी नहीं है। यही नौकरी की डिग्री सरकार को देनी थी। सुदेश रविवार को रांची के प्रभात तारा मैदान में पार्टी की नवनिर्माण संकल्प सभा में बोल रहे थे।
यह शिकारी सरकार बन गयी है:
सुदेश ने कहा कि अब हेमंत सरकार, सरकार नहीं है। यह शिकारी बन गयी है। लोकतंत्र के मालिक जनता की चुनी सरकार चुनाव से पहले उसके वोट का शिकार करने के लिए सरकारी खजाने का चारा फेंक रही है। आप फंसियेगा मत। अगर सरकार की नीयत सही होती तो इस सरकार ने बनने के बाद ही जनता को सारे लाभ दिये होते। ये राज्य चला नहीं रहे हैं, इसे चर रहे हैं। यह सरकार जो भी योजनाएं ला रही है ये कोई कल्याणकारी कार्यक्रम नहीं है, ये एक चुनावी नारा है। अगर इन्हें जनता की चिंता होती तो ये सारी योजनाएं सरकार बनते ही लागू हो जातीं।
हेमंत सरकार ने राज्य को केवल लूटा:
सुदेश ने कहा कि राज्य सरकार ने युवाओं से बेरोजगारी भत्ता का वादा किया था। अगर यह अपने वादे पर काम किए होते तो आज हर युवक को 4 लाख 20 हजार रुपया मिले होते। हेमंत सरकार ने सिर्फ राज्य को ही नहीं लूटा, जमीन व खदान को नहीं लूटा, बल्कि इन्होंने हर युवा के 4 लाख 20 हजार रुपया को भी लूटा है।
चुल्हा भत्ता नहीं, चुनावी भत्ता दे रहे:
आजसू प्रमुख ने कहा कि सरकार ने कहा था दो हजार रुपये का चूल्हा भत्ता देंगे। अब जब चुनाव आ गया तो यह एक हजार का चुनावी भत्ता दे रहे हैं। सरकार अपने वादे अनुसार अभी तक हर महिला को दो हजार रुपये प्रति माह की दर से चूल्हा भत्ता दी होती, तो अभी तक पांच वर्ष में हर महिला को एक लाख बीस हजार रुपये मिला होता। यह हजार रुपये महिला को भत्ता नहीं दे रहे हैं, बल्कि हर महिला का एक लाख बीस हजार रुपये हड़प चुके हैं।
जेपीएससी द्वारा साल में कई परीक्षाएं लेने का वादा भी धोखा:
सुदेश महतो ने कहा कि सरकार ने कहा था हर वर्ष जेपीएससी परीक्षाएं लेगी। यह भी नहीं हुआ। सरकार ने कहा था युवाओं के पास नौकरियों की भरमार होगी लेकिन विगत पांच वर्षों में क्या हुआ? आंकड़ें बताते हैं कि हर वर्ष पांच लाख नौकरियों का दावा करने वाली इस सरकार के शासनकाल में जेपीएससी ने 1033 लोगों को तथा झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने 10,041 लोगों को नौकरियां दीं।
पांच लाख लोग रोजगार की तलाश में घरों से निकलते हैं:
सुदेश ने कहा कि आज राज्य की कुल आबादी अनुमानत: 4 करोड़ है। इसमें कामकाजी उम्र वालों की आबादी 1 करोड़ 47 लाख 2 हजार 184 है। यह ऐसे लोग हैं जो यह तो काम कर रहे हैं या काम की तलाश में हैं। इनमें 5 लाख लोग रोजगार की तलाश में घरों से निकलते हैं। इसमें शिक्षित, अशिक्षित, कुशल, अकुशल एवं हर प्रकार के कामकाजी उम्र के लोग शामिल हैं। जो हर रोज घर से निकलते हैं और बिना एक रुपये कमाये वापस लौट जाते हैं।
हन लोगों के हक के लिए संघर्ष कर रहे:
सुदेश ने कहा कि हम एक राजनीतिक दल के रूप में झारखंड के लोगों की बुनियादी जरूरतों, सामाजिक सरोकारों, आर्थिक उन्नति, राजनीतिक चेतना एवं सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए तथा उनके हक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। झारखंड अपने निर्माण के 24वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। लंबे संघर्ष एवं रक्त रंजित आंदोलनों से गुजर कर हम सब ने अलग झारखंड राज्य तो पा लिया लेकिन शहीदों के सपने के अनुसार तथा आंदोलन में शामिल हर वर्ग के उम्मीदों के अनुकूल यह राज्य निखर नहीं पाया।
सरकार की प्राथमिकता आंदोलनकारियों के अनुरूप नहीं
सुदेश ने कहा कि दुर्भाग्य से आज जो राजनीतिक व्यवस्था राज्य को चला रही है उसकी प्राथमिकता राज्य निर्माण के आंदोलनकारियों के सपनों के अनुकूल नहीं है। आज हमारे अन्नदाता परिवार की मासिक आय मात्र 4800 रुपये है। आपने युवाओं की फौज को सड़कों पर पुलिस की गोलियां और लाठियां खाने को छोड़ दिया और अपनी कलंकित विरासत को आगे बढ़ाते हुए झारखंड के मूलवासी एवं आदिवासियों की जमीन लूटने के लिए दलालों की एक बड़ी फौज खड़ी की। उन्हें सरकारी संरक्षण देकर हजारों करोड़ रुपये की जमीन हड़पने का काम किया है।