-मुख्यमंत्री चाइबासा के नोवामुंडी में कार्यक्रम में हुए शामिल
-गुवा गोली कांड के शहीदों को दी श्रद्धांजलि
-परियोजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास और परिसंपत्तियों वितरण किया
आजाद सिपाही संवाददाता
नोवामुंडी, चाईबासा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोल्हान समेत पूरे झारखंड के लिए यह एक ऐसा दिन है, जिसे हम ना कभी भूले हैं और ना कभी भूलेंगे। आने वाली पीढ़ी के लिए हमारे वीर शहीद हमेशा आदर्श रहेंगे। ये वीर शहीद सदैव हमारे मार्गदर्शक रहे हैं। ऐसे में इनके आदर्श पर चलकर झारखंड को नयी दिशा दे रहे हैं। मुख्यमंत्री रविवार को पश्चिमी सिंहभूम जिले के नोवामुंडी में गुवा गोली कांड के शहीदों की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा सह परियोजनाओं का शिलान्यास-उद्घाटन और परिसंपत्ति वितरण कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने शहीद स्थल में माल्यार्पण कर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

हमेशा से वीरों की धरती रही है झारखंड:
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड हमेशा से वीरों की धरती रही है। झारखंड का कोई भी ऐसा कोना नहीं है, जहां से वीर शहीदों के नाम आपको सुनने को ना मिले। चाहे अन्याय-शोषण-जुल्म के खिलाफ लड़ाई हो या फिर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ जंग। हमारे आदिवासी-मूलवासियों ने हमेशा संघर्ष किया। उन्होंने किसी के सामने कभी झुकना नहीं सीखा। इन्होंने अपने मान-सम्मान और स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। भले ही इसके लिए अपनी कुबार्नी ही क्यों ना देनी पड़े। यही वजह है कि इतिहास के पन्नों में हमारे कई वीर शहीदों के नाम दर्ज है तो कई आज भी गुमनाम है। हमने हमें अपने सभी वीर शहीदों पर गर्व है।

आदिवासी अपने संघर्ष और ताकत से अधिकार लेते हैं:
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी मूलवासियों के रगों में जो खून दौड़ रहा है, वह जब उफान लेता है तो अपने हक और अधिकार के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देता है। जितना आदिवासी का खून जमीन पर गिरता है, उतने ही आदिवासी वीर पैदा लेते हैं। आदिवासी संघर्षों से बिखरता नहीं है, बल्कि और मजबूत होकर सामने आता है। हेमंत ने कहा कि मैं इस बात को दावे के साथ कर सकता हूं कि जिस तरह लंबी लड़ाई के बाद झारखंड अलग राज्य लिया, उसी तरह इस राज्य को और मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं।

आपको किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़े:
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में आज भी एक बड़ी आबादी गरीबी की जिंदगी जीने को मजबूर है। यहां वे बिचौलियों- दलालों के चंगुल में फंसे रहते हैं। खाने-पीने के समान से लेकर अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए दलालों से पैसे लेना पड़ जाता है। ऐसे में बिचौलियागिरी खत्म करना हमारा संकल्प है। यही वजह है कि हमारी सरकार ग्रामीण व्यवस्था को मजबूत करने के मकसद से कई योजनाएं लेकर आयी है, ताकि आप इन योजनाओं से जुड़कर अपने को सशक्त बनाएं ताकि किसी के आगे आपको हाथ फैलाना नहीं पड़े।

बेटी हमारी बोझ नहीं मजबूत सम्पति बनेंगी:
हेमंत ने कहा कि बेटियां हमारी बोझ नहीं मजबूत संपत्ति बनेंगी। अपनी बहन- बेटियों के सशक्तिकरण के लिए सरकार पूरी ताकत के साथ काम कर रही है । उन्होंने लोगों से कहा कि वे अपनी बेटियों को जरूर पढ़ाएं। पढ़ाई पर होने वाले खर्च की चिंता नहीं करें। सरकार बच्चियों की पढ़ाई का पूरा जिम्मा उठा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपनी बहन बेटियों के तकलीफ और दु:ख- दर्द से भली भांति वाकिफ हैं। इसी कड़ी में झारखंड मुख्यमंत्री मंइयाँ सम्मान योजना के माध्यम से आधी आबादी को सशक्त बना रहे हैं।

देश के नीति निर्धारकों ने झारखंड पर नहीं दिया कोई ध्यान:
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश- दुनिया में झारखंड की पहचान सोने के चिड़िया के रूप में है। यहां खनिज -संसाधनों की प्रचुरता है, लेकिन यहां के आदिवासी -मूलवासी आज तक पिछड़े हैं। इसकी साफ वजह है कि देश के नीति- निर्धारकों की नजर में झारखंड की कभी अहमियत नहीं रही। यहां के लोगों को मजदूरी करने के लिए छोड़ दिया गया। वे रोजी-रोटी की खातिर हमेशा पलायन करने को मजबूर रहे। झारखंड को किस कदर दरकिनार किया गया, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज भी इस राज्य का एक लाख 36 हजार करोड रुपये केंद्र पर बकाया है। अगर यह पैसा हमें मिल जाए तो झारखंड की दशा और दिशा पूरी तरह बदल देंगे।

77 योजनाओं की रखी आधारशिला, 19 का किया उद्घाटन:
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने 201 करोड़ 83 लाख 6 हजार 547 रुपये की लागत से 96 योजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास किया। इसके साथ लाभुकों के बीच 103 करोड़ 41 लाख 80 हजार रुपये की परिसंपत्तियां बांटी गयी। शहादत दिवस कार्यक्रम में मंत्री दीपक बिरूवा, सांसद जोबा मांझी, विधायक निरल पूर्ति, दशरथ गागराई, सुखराम उरांव और विधायक सोनाराम सिंकू समेत अधिकारीगण मौजूद थे।

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