अब तक तो जेएमएम के दम पर हासिल करते रहे हैं इनका साथ, अब दिखानी होगी खुद की ताकत

झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्राथमिक सदस्यता और मंत्री पद से इस्तीफा सौपे अभी सप्ताह भी नहीं बिता था कि चंपाई सोरेन और उनके पुत्र और पार्टी के केंद्रीय महासचिव बाबूलाल सोरेन की सुरक्षा वापस लेने का फरमान राज्य सरकार ने जारी कर दिया, इसकी चर्चा क्षेत्र में खूब है। खैर, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन अब भाजपाई बन चुके हैं और कंधे पर हरे की जगह भगवा गमछा लिये, फिलहाल कोल्हान प्रमंडल के विभिन्न क्षेत्रों का लगातार दौरा कर रहे हैं। झामुमो छोड़ने के बाद चंपाई सोरेन, अब जनता के बीच फिलहाल अपनी खुद की राजनीतिक हैसियत को तौल रहे हैं। इस क्रम में अभी तक यही स्थिति सामने आयी है कि झामुमो की प्रदेश, जिला या ब्लॉक लेवल कमेटी का कोई पदधारी या पार्टी का नामचीन चेहरा अब तक खुले तौर पर कोल्हान टाइगर के साथ नहीं दिख रहा है। हां, उनके गृह जिला सरायकेला-खरसावां के दर्जनों पंचायत प्रतिनिधि जरूर उनके पीछे खड़े दिख रहे हैं। भाजपा ज्वाइन करने के बाद चंपाई अब तक जहां कहीं भी यथा चौका, कांड्रा, गम्हरिया, चाइबासा गाये, समर्थकों का हुजूम बढ़ा ही है, लेकिन बात तो तब बनेगी, जब ये भीड़ वोट में तब्दील हो जाये। बहरहाल, भाजपा ये आस लगाये बैठी है कि संथाल मतदाताओं के रूप में चंपाई उसके लिए नया वोट बैंक तैयार करने में कामयाब होंगे। चंपाई सोरेन के आने से क्या है बहरागोड़ा, घाटशिला और पोटका के संथाल बहुल गांवों का मिजाज बता रहे हैं आजाद सिपाही के संवाददाता अरुण सिंह।

बहरागोड़ा, घाटशिला और पोटका विधानसभा क्षेत्र में ढाई लाख मतदाता संथाली
जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र के बहरागोड़ा, घाटशिला और पोटका विधानसभा क्षेत्र में लगभग ढाई लाख मतदाता संथाल जाति के हैं। अभी तक के चुनावों पर नजर डालें तो यही देखने को मिला है अब तक संथालों का दिल जीतने में भगवाधारी नेताओं को कामयाबी हाथ नहीं लग पायी है। बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में बड़ी कानपुर, कलापथर, मीनाबाजार, बढ़ियागजर, उदाल, नाकदोहा, चंदनपुर, बड़तोलिया, शाकाभंगा, पाकुड़िया, लोधाशोली, बड़ामारा, ज्वालभंगा, पूर्णपानी, माकड़ी, ढंगशोली, माकड़ी, श्यामसुंदर पुर, ढूढ़याशोली, करुकोचा, जामुआ, मचाड़ीहा, इंडबनी, बहुटिया, बेनगड़िया, नकनशोल, अर्जुनबेड़ा, लाउबेड़ा, कुम्हाराशोल, वनग्राम, पूनसिया जैसी बड़ी आबादी वाले गांव हैं, जहां संथालो की बहुतायत है। इन गांव में लगभग 80 हजार वोटर संथाली हैं।

इसी तरह, घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में संताल बहुल गांव हैं- बघूड़िया, कसपानी, केशरपुर, जगन्नाथपुर, ज्वालभंगा, झातिझरना, भोमराडीह, बालिडीह, भादुआ, खरसाती, देओली, लेदा, पिठाती, दुबराजपुर, आसाना, धाकपथर, बरडीह, शिरीषबनी, ढंगकमल, बगुला, डोभा, हारूडीह, सोनाखुन, उदारडीह, सर्बिला, चुकरिपाडा, स्वर्गछिड़ा, बासझोर, बाबायदा, रावतड़ा, निश्चिंतपुर, करुकता, नाल्डोहा, कुर्मीमूड़ी, टेरेंगा, पथरगोड़ा, बेनाशोल, लॉकेशरा, जामशोल, सोनागाड़ा, कुलिसुता, कूदगड़िया, चापरी, फारेस्ट ब्लॉक, भाल्की, कन्यालुका, बागजट्टा, मुद्दाथाकरा, रेडआ, खेजूरधढ़ी, सुंदगी, माचभंडार आदि। पोटका विधानसभा इलाके में राजदोहा, झरिया, भाटिन, मेछुआ, बंसीला, बालिजुड़ी, ढीरौल, चिमआईजुड़ी, रसूनचोपा, मानहारा, कनिकोला, बाघमारा, काशीडीह, असती, काशीयाबेदा आदि। उपरोक्त कई जंगलवर्ती गांवों में भाजपा प्रयास करती है, लेकिन वोट का लाभ चुनाव में नहीं मिल पाता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विद्या भारती, एकल विद्यालय, वन वंधू परिषद आदि भी सक्रिय हैं, लेकिन चुनावी परिणाम ढाक के तीन पात वाला है । जाहिर सी बात है कि भाजपा नेतृत्व चंपाई सोरेन के सहारे संथाल समाज में अपनी पैठ बनाने की जुगत में है। चंपाई कितना सफल होंगे, यह भविष्य बतलायेगा। फिलहाल झामुमो संगठन की बात करें तो पोटका प्रखंड के सिर्फ दो नेता लव सरदार एवं शंकर मुंडा खुलेतौर पर चंपाई सोरेन जिंदाबाद का नारा लगाते दिख रहे हैं।

12 को केरुकोचा हाट मैदान में स्पष्ट होगा, ग्रामीण किसके साथ
शहीद साबुआ को श्रद्धांजलि देंगे हेमंत, चंपाई और विद्युत
12 सितंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र के करुकोचा हाट मैदान में शहीद साबुआ हांसदा को श्रद्धाजलि देने आनेवाले हैं। चंपाई सोरेन के पार्टी छोड़ने के बाद मुख्यमंत्री पहली बार यहां आ रहे हैं, तो सबको उम्मीद है कि जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों के तीनों विधानसभा क्षेत्र में असर पड़ेगा। बहरागोड़ा के विधायक समीर मोहंती श्रद्धांजलि सभा की सफलता के लिए अपने सामर्थकों के साथ मिल कर मेहनत कर भी रहे हैं। दूसरी ओर, झामुमो से भाजपा में आकर सांसद बनने के बाद भी विद्युत बरण महतो शहीद साबुआ को श्रद्धांजलि देने हर साल जरूर पहुंचते हैं। इस बार भगवा ओढ़ कर नये रूप में चंपाई सोरेन भी करुकोचा आ जायें, तो किसी को हैरत नहीं होगी। कुल मिला कर 12 सितंबर को चाकुलिया प्रखंड के करुकोचा हाट मैदान में झामुमो और भाजपा सामर्थकों का जमावाडा होना तय है। इस आयोजन में चंपाई और विद्युत वरण महतो के साथ जो भीड़ आयेगी, उसमे संथालों की संख्या पर सबकी नजर रहेगी।

चुनावी बैठकों से बाबूलाल सोरेन को दूर क्यों रख रही भाजपा
झामुमो के केंद्रीय महासचिव और पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन वर्षों से घाटशिला और पोटका विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। पिछले पंचायत चुनाव में बाबूलाल सोरेन का समर्थन पाकर धालभूमगढ़ प्रखंड में हेमंत मुंडा और गुड़ाबांदा प्रखंड में शिवनाथ मार्डी जिला परिषद का चुनाव भारी मतों से जीतने में कामयाब रहे हैं। इसके अलावे कुछ मुखिया को बाबूलाल सोरेन ने अपना समर्थन देकर जितवाया था। ये सभी अब भी इनके प्रति वफादार दिखते हैं। बाबूलाल सोरेन कई दफा घाटशिला से विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाता चुके हैं। बाबूलाल जब तक झामुमो में रहे तो घाटशिला सीट पर जेएमएम से रामदास सोरेन विधायक रह, इसलिए बाबूलाल सोरेन को जेएमएम से मौका हाथ लगता, इसकी संभावना कम दिखती रही। अब ये भाजपा में आ चुके हैं। भाजपा में विस चुनाव लड़नेवालों की लंबी फेहरिश्त पहले से ही है। भाजपा इन्हें विस चुनाव में आजमायेगी या नहीं, ये पार्टी नेतृत्व तय करेगा। हां, इतना तो है कि भाजपा से जितने टिकटार्थी लाइन में हैं, बाबूलाल सोरेन उनसे अगर भारी नहीं तो कमजोर भी नहीं हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि भाजपा अपने राजनीतिक विरोधियों पर वंशवाद का आरोप लगाती है, इसलिए बाबूलाल या किसी अन्य भाजपा नेता के भाई, बेटा, पत्नी को टिकट देकर शायद अपना एक बड़ा चुनावी मुद्दा हाथ से जाने नहीं देगी ।

एक और खास बात यह भी है कि भाजपा के जिला या ब्लॉक स्तरीय चुनावी बैठकों में बाबूलाल सोरेन को संगठन की तरफ से न्योता नहीं दिया जा रहा है। एक तरफ चंपाई सोरेन का भरपूर सहयोग भाजपा नेतृत्व चाहता है, लेकिन बाबूलाल सोरेन से परहेज क्यों, ये समझ से परे है। जिला कमेटी के एक पदधारी से पूछने पर जवाब मिला- विस चुनाव के लिए अलग-अलग समिति बनायी गयी है, जो उसमं शामिल हैं, उन्हें ही बैठक में बुलाने का रिवाज है। बहरहाल, विस चुनाव में भाजपा बाबूलाल सोरेन का कैसे सहयोग लेगी, ये स्पष्ट नहीं है।

बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में झामुमो का मजबूत संगठन है, लेकिन उमीदवार के नाम पर एक अकेला विधायक समीर मोहंती का नाम ही सामने आ रहा। पिछली बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। काफी संघर्षशील हैं, लेकिन विधायक बनने के बाद ये पूरी तरह से दूसरी भूमिका में दिखलाई पड़ने लगे। विधानसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के फेर में अच्छे -बुरे का ख्याल ही भुला दिया विधायक जी ने। चुनाव जीतने के बाद ये वैसे तमाम लोगों से घिर कर रह गये, जो इलाके में अपने कारनामों के लिए चर्चित हैं। इनके विरोधियों का तो यहां तक आरोप है कि क्षेत्र में बालू, पत्थर, गो तस्करी तक में इनके नाम का इस्तेमाल असामाजिक तत्व खुलेआम करते हैं। ये विपक्ष के आरोप हैं। समीर मोहंती के समर्थकों का कहना है कि विधायक बनने के बाद समीर मोहंती ने बहरागोड़ा में काफी काम किया है और उनके कामों से मिली लोकप्रियता के कारण विरोधी उनके खिलाफ तरह तरह के आरोप लगा रहे हैं। अफवाहों को जन्म दे रहे हैं।

कुल मिला कर इन तीन विधानसभा सीटों पर चंपाई सोरेन की भाजपा नेता के रूप में परीक्षा होनी है। यह तो समय ही बतायेगा कि परिणाम क्या होगा, लेकिन चंपाई भी चाहेंगे कि उनकी हैसियत बरकरार रहे। दूसरी तरफ झामुमो के लिए यह सीट प्रतिष्ठा की सीट बन गयी है। झामुमो हर हाल में चंपाई सोरेन के प्रभाव को कम करने की पुरजोर कोशिश करेगा। अब देखना यह है कि इस शह और मात के खेल में बाजी कौन मारता है। फिलहाल तो चंपाई सोरेन को लेकर भाजपा बहुत उत्साहित है। भीड़ जुटने के कारण चंपाई सोरेन भी उत्साहित है कि इतनी दिन के संघर्ष और आंदोलनों का फल उनके पक्ष में आयेगा।

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