विशेष
पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं के दौरों ने बढ़ा दिया है राज्य का सियासी तापमान
भाजपा के लिए कम नहीं हुई हैं चुनौतियां, पथरीले रास्ते को सुगम बनाने का प्रयास
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
झारखंड में आसन्न विधानसभा चुनाव के लिए राज्य के राजनीतिक दल पूरी तरह तैयार हैं। इन तैयारियों का अंदाजा हाल के दिनों में राज्य में आयोजित राजनीतिक कार्यक्रमों से मिल जाता है। पहले विधानसभा के अंतिम सत्र में विपक्षी विधायकों का निष्कासन और अन्य घटनाएं, फिर मोरहाबादी मैदान में भाजयुमो की आक्रोश रैली, सत्तारूढ़ झामुमो द्वारा प्रमंडलीय और जिला मुख्यालयों में आयोजित कल्याणकारी कार्यक्रम और हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के बाद भाजपा द्वारा आयोजित परिवर्तन यात्रा में पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं की झारखंड यात्रा। ये घटनाक्रम बताते हैं कि विपक्ष, खासकर भाजपा अब चुनाव में जाने के लिए न केवल पूरी तरह तैयार है, बल्कि वह जम कर पसीना भी बहा रही है। झारखंड का यह विधानसभा चुनाव राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण होनेवाला है। भाजपा जहां महागठबंधन सरकार को सत्ता से हटा कर राज्य की सत्ता में अपनी वापसी कर झारखंड में डबल इंजन की सरकार बनाने की तैयारी में है, वहीं इंडिया गठबंधन एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में है।
इन सबके बीच भाजपा की परिवर्तन यात्रा में केंद्रीय नेताओं का शामिल होना बताता है कि भाजपा लगातार अपनी स्थिति को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। इन राजनीतिक गतिविधियों, खास कर इस परिवर्तन यात्रा ने यह भी साबित कर दिया है कि पांच साल तक सत्ता से बाहर होने के बावजूद भाजपा का तेवर कहीं से भी नरम नहीं पड़ा है। प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा डिजाइन की गयी परिवर्तन यात्रा के अलावा झारखंड भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए और कौन से हथियार जमा किये हैं और क्या हो सकता है इसका परिणाम, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियों के अंतिम चरण में अब एक बात साफ तौर पर दिखने लगी है कि इस बार भाजपा यह मुकाबला जीतने के लिए अपना सब कुछ झोंक चुकी है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव के फौरन बाद जिस आक्रामक अंदाज में झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू की, उसका परिणाम अब परिवर्तन यात्रा के रूप में सामने आ रहा है। 20 सितंबर से शुरू हुई इस यात्रा के दौरान राज्य भर की करीब साढ़े पांच हजार किलोमीटर की यात्रा की जायेगी और एक करोड़ लोगों से संपर्क किया जायेगा। झारखंड भाजपा का यह राजनीतिक कार्यक्रम विधानसभा चुनाव में उसके अनुकूल माहौल बनायेगा या नहीं, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन पार्टी ने इस कार्यक्रम को जितनी अहमियत दी है, उससे साफ हो गया है कि इस बार झारखंड भाजपा आर-पार के मूड में है।
सभी केंद्रीय नेताओं को बुलाया
झारखंड भाजपा ने परिवर्तन यात्रा की रूपरेखा ऐसी तैयार की है, जिससे हर दिन इसकी चर्चा होती रहे। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जमशेदपुर आकर कोल्हान से हुंकार भरी, तो अब अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और दूसरे केंद्रीय नेता इन यात्राओं में शामिल होकर इसे अलग लेवल पर ले जा रहे हैं या ले जानेवाले हैं। झारखंड भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा डिजाइन की गयी इस परिवर्तन यात्रा में वास्तव में झारखंड भाजपा की जीत की छटपटाहट दिख रही है। इन केंद्रीय नेताओं के यात्रा में शामिल होने से पार्टी कार्यकर्ता तो उत्साहित हो ही रहे हैं, आम लोग भी पार्टी से जुड़ रहे हैं।
कमजोर बूथों पर भी जारी है काम
ऐसा नहीं है कि भाजपा ने पूरी ताकत केवल परिवर्तन यात्रा में झोंक दी है। पार्टी की प्रदेश इकाई हर उस मोर्चे पर सक्रिय है, जहां जीत की थोड़ी भी संभावना दिखाई दे रही है। इसमें वैसे बूथ शामिल हैं, जहां पार्टी या तो कमजोर स्थिति में है या फिर वहां मुकाबला नजदीकी है। इनमें वैसे बूथों पर खास ध्यान है, जिन पर भाजपा को मिलने वाले वोट कम-ज्यादा होते रहते हैं, लेकिन ये किसी सीट पर हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। पार्टी ने मंडल स्तर से लेकर विधानसभा और लोकसभा स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों को इन बूथों पर जनसंपर्क की निगरानी की जिम्मेदारी सौंप दी है और अपने-अपने क्षेत्र में काम देखने को कहा है। दरअसल अमित शाह के अध्यक्ष रहने के दौरान 2014 से 2019 के दौरान भाजपा ने देश भर में 10 लाख से अधिक बूथों को तीन श्रेणियों में बांट कर काम शुरू किया था। इनमें ए श्रेणी में उन बूथों को रखा गया था, जिन पर भाजपा को पिछले तीन चुनावों में लगातार 69 फीसदी से अधिक वोट मिलते रहे हैं।
दूसरी बी श्रेणी में उन बूथों को रखा गया था, जिन पर भाजपा को 40 से 60 फीसदी के बीच वोट मिले थे और तीसरी सी श्रेणी में 40 फीसदी से कम वोट वाले बूथों पर रखा गया था। अमित शाह ने ए श्रेणी के बूथों पर स्थिति को मजबूत रखते हुए बी श्रेणी के बूथों पर सक्रियता बढ़ाने और सी श्रेणी के बूथों पर भी अपेक्षाकृत बेहतर वोट हासिल करने की रणनीति बनायी थी। झारखंड भाजपा ने इसी रणनीति पर जोर-शोर से काम किया है और इसमें सफल भी हो रही है।
52 विधानसभा सीटों पर खास फोकस
लोकसभा चुनाव में राज्य के 52 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल करने से झारखंड भाजपा में नये किस्म का उत्साह है। पार्टी ने विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर जीत का लक्ष्य तय किया है और परिवर्तन यात्रा के दौरान इन सीटों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने 60 से अधिक विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की थी। हालांकि उसी साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार हुई थी, लेकिन भाजपा को करीब 52 लाख मत मिले थे। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि इस बार वह विपक्ष में है। ऐसे में किसी सत्ता विरोधी लहर से उसे नहीं जूझना है। भाजपा के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने क्षेत्र के हिसाब से चुनाव अभियान चलाने की रणनीति तय की है। इस साल लोकसभा चुनाव में मिले 82 लाख मतों को विधानसभा चुनाव में पार्टी बढ़ाने का प्रयास करेगी।
संथाल और कोल्हान में घुसपैठ, पलामू में रोजगार का मुद्दा
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पार्टी में शामिल होने के बाद पार्टी का उत्साह बढ़ा है। भाजपा संथाल परगना के आदिवासी क्षेत्रों में बांग्लादेशी घुसपैठ, कोल्हान में आदिवासी समाज के बीच घुसपैठ, पलामू प्रमंडल और रांची-धनबाद जैसे शहरी क्षेत्र में युवाओं के बीच बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और राज्य सरकार की वादाखिलाफी का मुद्दा जोरशोर से उठायेगी। पार्टी की रणनीति के मुताबिक सभी आदिवासी नेता अपने समुदाय को उनकी ही स्थानीय भाषा में घुसपैठ के नुकसान से अवगत करायेंगे।
झारखंड भाजपा को उम्मीद है कि इस चौतरफा घेरेबंदी के कारण उसकी जीत की संभावना कई गुना बढ़ जायेगी। इसलिए परिवर्तन यात्रा के सहारे वह उस पथरीले रास्ते को समतल करने का प्रयास कर रही है, जिससे होकर पार्टी का रथ सत्ता शीर्ष तक पहुंचेगा।