आजाद सिपाही संवाददाता
गिरिडीह। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि अभी दो-चार महीने के बाद चुनाव की घंटी बजनेवाली है। इसलिए आजकल पूरे राज्य में राजनीतिक गिद्ध मंडराने लगे हैं। कोई असम से आ रहा है, कोई छत्तीसगढ़ से आ रहा है। अभी छोटा-छोटा गिद्ध सब आ रहा है। कुछ दिन बाद से बड़ा-बड़ा गिद्ध सब नजर आयेगा। और आपके बीच में छोटा का खाना परोसेगा, झूठ का आश्वासन देगा। और आपको दिग्भ्रमित करेगा। कोई जात के नाम पर, कोई धर्म के नाम पर, कोई अगड़ा पिछड़ा के नाम पर। ये लोग आपको दिग्भ्रमित करेगा, चुनाव में वोट मांगेगा। इसलिए आप लोग सावाधान रहियेगा। ये चार साल इन लोगों में मुझे बहुत परेशान किया। हमारे विरोधियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। जेल तक में डाल दिया हमको। लेकिन ये आप लोगों का आशीर्वाद ही है कि ज्यादा दिन तक ये लोग हमको जेल में रख नहीं पाये।
मुख्यमंत्री सोमवार को गिरिडीह के गांडेय में आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। यहां मुख्यमंत्री ने जहां विपक्ष पर जम कर हमला बोला। वहीं, उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां भी गिनायी।

व्यापारियों की नहीं, झारखंडियों की सरकार है:
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि ये सरकार व्यापारियों की नहीं झारखंडियों-मूलवासियों की सरकार है। ये सरकार रांची से नहीं, बल्कि गांव से चलती है। सरकार बनने के बाद कई चुनौतियों से लड़ने के बाद भी हमने लगातार यहां के मूलवासी, यहां के आदिवासी, दलित पिछड़ा, अल्पसंख्यक सभी के लिए काम किया है। ऐसा काम करते हैं कि जहां आपको जगह-जगह धक्का खाना न पड़ेू। दलालों का चक्कर लगाना न पड़े। पहले पेंशन के लिए बूढ़ा-बुजुर्ग को कितना चक्कर लगाना पड़ता था। क्योंकि हमारे विरोधियों ऐसा कानून बना दिया था कि गांव में अगर 50 लोग हैं, तो मात्र पांच लोगों का पेंशन कार्ड बनेगा। हमने ऐसा कानून बना दिया कि इस राज्य में जो भी बूढ़ा बुजुर्ग होगा सबको पेंशन मिलेगी।

मंईयां सम्मान योजना के लिए नहीं लगाने पड़े चक्कर:
हेमंत ने कहा कि मंईयां सम्मान योजना का लाभ लेने के लिए आपको किसी दलाल के पास नहीं जाना पड़ा, बल्कि आपकी पंचायत आपके गांव में आवेदन लेकर आपके खाते में पैसा भेजा गया। किसानों की ऋण माफी हो रही है। गरीबों का बिजली बिल माफ हो रहा है। बच्चों को पढ़ने लिखने के लिए अच्छे स्कूल बन रहे हैं। हमारी आंगनाबाड़ी सेविका, सहायिका, रसोइया, सहायक पुलिस सबको कुछ ना कुछ मिला है। कई ऐसे निर्णय हमने लिये हैं, जो भारत देश में पहली बार हुआ है।

विपक्ष बोलता है कोई काम नहीं हो रहा:
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना में हमने अपने भाइयों को घर-घर तक पहुंचाने का काम किये। हमारे दो-दो मंत्री इस दुनिया से चले गये। हमारा विपक्ष बोलता है कि कोई काम नहीं हो रहा है। यहां की महिलाओं से, बुजुर्ग से जाकर पूछिए कि आज जो इनके चेहरे पर मुस्कान है, वो क्यों है। अभी हम लोगों ने 20 से 25 दिन में 50 लाख महिलाओं को सम्मान राशि देने का काम किया है।

गैस सिलेंडर का दाम बढ़ा दिया:
हेमंत ने कहा कि हम लोग अपना हक अधिकार मांगते हैं, तो लाठी-पुलिस-जेल यही करने का काम करता है। राज्य का बकाया देने में इनका पसीना छूटता है। गरीबों को पेंशन देने का पैसा इनके पास नहीं है, लेकिन इनके व्यापारी साथियों का करोड़ों करोड़ रुपया माफ करने के लिए पैसा है। इन लोगों ने मुफ्त का सिलेंडर बांटा। बाद में 1200 का सिलेंडर उसके सामने लाकर पटक दिया। आज उस सिलेंडर की क्या हालत है, जाकर गांव में देखो।

भाजपा झारखंडियों को बेवकूफ बना रही है:
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंडियों को डराने वाले अंग्रेज भी यहां आये और वो भी भागे हैं। यहां तो व्यापारी लोग आते हैं। व्यापारी लोगों को कैसे झारखंडी लोग भगायेगा ये चुनाव में पता चल जायेगा। कई ऐसे राज्य हैं, जहां सरकार के पास इतने पैसे नहीं हैं जितना भाजपा के पास है। पंचायत में, जिला में, इनका पूरे देश में ताजमहल जैसा आॅफिस बन रहा है। पैसे की बदौलत देश के आदिवासी-दलित को बेवकूफ बना रहे है। यहां घुसपैठिया की बात करते हंै। लव जिहाद की बात करते हैं। लैंड जिहाद की बात करते है। तरह-तरह की चीज बोलते हैं। बोलते हैं आदिवासी की संख्या घट रही है। हम बोलते हैं कि आदिवासी को सरना धर्म कोड क्यों नहीं दिया। झारखंड विधानसभा से हमने आदिवासियों के लिए धर्म कोड बना कर केंद्र सरकार को भेजा। वहां कुंडली मार कर बैठा है। देश में लैटरल इंट्री के नाम से आदिवासी दलित की जगह पर बैकडोर से लोगों को घुसाने की तैयारी हो रही है। झारखंड के पिछड़ों के अधिकार की बात करें तो हमारे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जी ने जो इस राज्य का 27 प्रतिशत का आरक्षण मिलता था, उसको काट कर 14 प्रतिशत कर दिया।

हम कुछ करें तो असंवैधानिक, वह करें तो संवैधानिक:
हेमंत ने कहा कि हम लोग जब यहां उनके प्रतिशत बढ़ाने का कानून बना कर भेजते हैं तो ये लोग असंवैधानिक बता कर रोक देता है। कभी गर्वनर रोक देते हैं तो कभी दिल्ली सरकार। हम कुछ काम करें तो असंवैधानिक और वो कुछ करें तो संवैधानिक। 1932 के आधार पर खतियानी कानून बनाते हैं तो भाजपा के लोग कोर्ट चले जाते हैं। अभी मंईयां योजना को लेकर इनके पेट में दर्द हुआ और कोर्ट चले गये। आज महिलाओं को सम्मान देने से रोकने के लिए ये कानून का सहारा ले रहे हैं। क्योंकि इनके पास में बड़े-बड़े वकील हैं। बड़े बड़े जज हैं, जो इस्तीफा देकर भाजपा के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।

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