शिमला। हिमाचल प्रदेश में मॉनसून ने एक बार फिर कहर बरपा दिया है। गुरूवार मध्य रात्रि किन्नौर जिले के प्रवेश द्वार तरंडा पंचायत के थाच गांव के ऊपर कंडे में बादल फट गया। इससे चार नालों में अचानक आई भीषण बाढ़ ने गांव में तबाही मचा दी। खेत और बगीचे बह गए, दो गाड़ियां चपेट में आ गईं और कई लोग जान बचाकर घर छोड़ जंगलों की ओर भागे। दो लोगों की गाड़ियां बाढ़ में बह गईं। थाच गांव के मस्तान की कंडे में दोगरी (कच्चा मकान) और मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, जबकि दर्जनों लोगों के बागीचे पूरी तरह बर्बाद हो गए। गांव के आसपास चार नालों में आई बाढ़ से तीन लोगों के घर भी ढहने के कगार पर हैं।

बादल फटने से निकला मलबा एनएच-5 पर आ गया और निगुलसरी के पास नेशनल हाईवे पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है। यही नहीं, शिमला शहर में भी भारी भूस्खलन से हालात बिगड़ गए हैं। कार्टरोड क्षेत्र में प्रतिष्ठित सेंट एडवर्ड स्कूल के सामने हिमलैंड में बड़ा लैंडस्लाइड हुआ। प्रशासन ने बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूल को दो दिनों (19 व 20 सितम्बर) के लिए बंद कर दिया है। आसपास का बहुमंजिला भवन भी खतरे की जद में आ गया है। भूस्खलन से मुख्य सड़क बंद हो गई है और वाहनों को वैकल्पिक मार्ग से भेजा जा रहा है। तीन दिन पहले भी हिमलैंड क्षेत्र में बड़ा भूस्खलन हुआ था।

मौसम विभाग ने आज किन्नौर को छोड़कर शेष सभी 11 जिलों में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। 20 और 21 सितम्बर को भी मौसम खराब रहने की संभावना है, जबकि 22 और 23 सितम्बर को मौसम के साफ होने के आसार जताए गए हैं। बीती रात से शुक्रवार सुबह तक बिलासपुर के नैना देवी में सर्वाधिक 158 मिमी बारिश दर्ज हुई। सिरमौर मुख्यालय नाहन में 38 और चंबा के चुआड़ी में 37 मिमी वर्षा हुई।

बारिश और भूस्खलन से राज्य में यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार राज्य भर में शुक्रवार सुबह तक 3 नेशनल हाईवे और 552 सड़कें बंद रहीं। इनमें किन्नौर, कुल्लू और ऊना के नेशनल हाईवे शामिल हैं। कुल्लू जिले में सबसे ज्यादा 202 सड़कें, मंडी में 158, शिमला में 50 और कांगड़ा में 40 सड़कें ठप पड़ी हैं। बिजली व पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित रही। प्रदेशभर में 162 ट्रांसफार्मर और 197 पेयजल योजनाएं बंद पड़ी हैं। अकेले मंडी जिले में 68 ट्रांसफार्मर और 126 पेयजल योजनाएं प्रभावित रहीं।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस मानसून सीजन में अब तक 424 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 481 लोग घायल और 45 लोग लापता हैं। मंडी में सबसे ज्यादा 66, कांगड़ा में 57, चंबा में 50 और शिमला में 47 लोगों ने जान गंवाई है। अब तक 1,604 मकान पूरी तरह ढह चुके हैं और 7,025 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। पशुधन को भी भारी नुकसान हुआ है। 2,458 मवेशियों और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत हो चुकी है।

राज्य सरकार के प्रारंभिक आकलन के अनुसार अब तक का कुल नुकसान 4,749 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। सबसे ज्यादा क्षति लोक निर्माण विभाग की सड़कों और पुलों को हुई है। मानसून सीजन में अब तक 146 भूस्खलन, 98 फ्लैश फ्लड और 46 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

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