Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Monday, September 8
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Jharkhand Top News»वर्षों से श्मशान घाट पर रखे दो दर्जन से भी ज्यादा अस्थि कलश, सुध लेनेवाला कोई नहीं
    Jharkhand Top News

    वर्षों से श्मशान घाट पर रखे दो दर्जन से भी ज्यादा अस्थि कलश, सुध लेनेवाला कोई नहीं

    shivam kumarBy shivam kumarSeptember 8, 2025Updated:September 8, 2025No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    बलिराम पांडेय बताते हैं कि पुराण में वर्णित है कि अस्थि कलश को समय से पवित्र जल में विसर्जित कर देना चाहिए
    दीपक कुमार
    बोकारो (आजाद सिपाही)। कहा जाता है कि यह संसार मोह माया है, जहां लोग सदियों तक न केवल अपने पूर्वजों की यादों संजोए रखते हैं। बल्कि उनके प्रति सम्मान का भाव भी रखते हैं। एक अर्थ में यही सांसारिक जीवन की खूबसूरती भी है। साथ ही, भारतीय संस्कृति की पहचान भी। किंतु, वर्तमान दौर में समाज का एक तबका इन परंपराओं से दूर होता जा रहा है। आमतौर पर लोग अपने परिजन की मृत्यु के बाद अग्नि संस्कार के उपरांत उनकी अस्थियों को मिट्टी के कलश में बांध कर श्मशान घाट में रखवा कर तीन दिन बाद उन अस्थि कलश को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर उनकी मोक्ष की प्रार्थना करते है, लेकिन अब हम आपको एक ऐसी सच्चाई से रूबरू करा रहे हैं, जो चास स्थित श्मशान घाट में देखने को मिली। यहां रखे दर्जनों अस्थि कलश वर्षों से मोक्ष की बाट जोह रहे हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई भी नहीं।

    समाज में ऐसे लोग भी है, जो अपने परिजन की अंतिम संस्कार करने के बाद श्मशान घाट में अस्थि कलश तो रखवा दी, परंतु वर्षों बाद भी उसे लेने कोई परिजन नहीं आये। उनके पूर्वजों की अस्थियां आज भी वहीं पड़ी हुई है। हालांकि इन अस्थि कलशों पर परिजनों के नाम-पते भी लिखे हुए हैं। गरगा घाट श्मशान घाट की देखरेख करने वाले व्यवस्थापक लखन महता बताते हैं कि वर्षों से यहां ये अस्थि कलश रखे हुए है, जिसे कोई भी अब तक लेने नहीं आया। एक अस्थि कलश तो 22 वर्षों से यहीं पड़ा हुआ है। वहीं श्मशान घाट पर वर्षों से विधि विधान कराने वाले बलिराम पांडेय बताते हैं कि पुराण में वर्णित है कि अस्थि कलश को समय से पवित्र जल में विसर्जित कर देना चाहिए। बहरहाल वर्षों से यहां रखे अस्थि कलश को अपनों का इंतजार है। ऐसे में इन्हें मोक्ष मिलेगी तो आखिर कैसे। यह यक्ष प्रश्न है। पितृ मोक्ष की बात करें तो हिंदू (सनातन) धर्म की मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष का पखवारा अपने पितृ मोक्ष शांति के लिए पवित्र माना जाता है। लोग अपने पितरों को जल अर्पित कर उनकी मोक्ष मिलने की प्रार्थना करते है। गरुड़ पुराण के अनुसार भी ऐसा माना जाता है कि किसी के अंतिम संस्कार के बाद एक विशेष अनुष्ठान मृतक की आत्मा को पुनर्जन्म चक्र से मुक्त करने में सहायता करता है।

    किसी भी शव के अंतिम संस्कार के बाद मृतक की अस्थियां एवं राख को एकत्रित कर पारंपरिक मिट्टी कलश में रख उन अवशेषों को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष मिलती है और वे पुनर्जन्म चक्र से मुक्त हो जाते है। पितृपक्ष में ज्ञात अज्ञात सभी पूर्वजों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान जैसे कर्मकांड किये जाते हैं, परंतु घाट पर रखे ये कलश समाज के एक ऐसे सच को उजागर करते हैं, जो शर्मसार करनेवाला है। वस्तुत: जीते-जी जिनका सम्मान हुआ हो या नहीं, लेकिन मृत्यु के बाद उनकी ऐसी अनदेखी सचमुच चिंतनीय है। हालांकि इस कर्मकांड का एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। दरअसल हड्डियों में गंधक और पानी का मेल पारा और मर्करी सल्फाइड शॉट बनाता है, जो पानी को शुद्ध करने के साथ साथ जल की जीवाणु नाशक क्षमता को भी बढ़ाता है। शायद यही कारण है कि हमारे पूर्वजों ने ऐसी परंपरा को बढ़ावा दिया।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleनगर निगम के 400 से अधिक कर्मियों ने किया कार्य बहिष्कार, तीन महीने से नहीं मिला है वेतन
    Next Article नक्सली केदार यादव के घर पुलिस ने चिपकाया इश्तिहार, आत्मसमर्पण न होने पर होगी कुर्की-जब्ती
    shivam kumar

      Related Posts

      स्वास्थ्य मंत्री को जान से मारने की मिली धमकी, जांच में जुटी पुलिस

      September 8, 2025

      हत्याकांड का खुलासा, मुख्य आरोपित सहित छह गिरफ्तार

      September 8, 2025

      तेज रफ्तार का कहर: सड़क दुर्घटना में स्कूली छात्र की मौत, एक घायल

      September 8, 2025
      Add A Comment
      Leave A Reply Cancel Reply

      Recent Posts
      • मुख्यमंत्री ने दिए राज्य के सभी विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों की सघन जांच के आदेश
      • स्वास्थ्य मंत्री को जान से मारने की मिली धमकी, जांच में जुटी पुलिस
      • हत्याकांड का खुलासा, मुख्य आरोपित सहित छह गिरफ्तार
      • तेज रफ्तार का कहर: सड़क दुर्घटना में स्कूली छात्र की मौत, एक घायल
      • बेजुबान हूं लेकिन कष्ट में हूं: ‘मिष्टी’ की मौत से सामने आया ओरमांझी जू का कड़वा सच
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version