काठमांडू/नई दिल्ली। नेपाल में जारी हिंसक आंदोलनों और राजनीतिक अस्थिरता के बीच, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टीनेकपा (यूएमएल) ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। पार्टी महासचिव शंकर पोखरेल ने एक बयान जारी कर हिंसा की कड़ी निंदा की है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, उन्होंने देश में उत्पन्न राजनीतिक संकट को संविधानिक और लोकतांत्रिक तरीके से सुलझाने की अपील की है।

पार्टी का आधिकारिक बयान गुरुवार को जारी किया गया, जिसमें पोखरेल ने हालिया घटनाओं को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आंदोलन सोशल मीडिया प्रतिबंधों, भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई और सुशासन की मांग पर केंद्रित थे, लेकिन इसका तरीका अराजक और विध्वंसक रहा।

यूएमएल ने सोमवार और मंगलवार को हुई घटनाओं में सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को नुकसान, सरकारी संस्थानों पर हमले, और जनहानि को “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया। पार्टी ने संसद, राष्ट्रपति भवन, सुप्रीम कोर्ट, पुलिस थानों, हवाई अड्डों और अन्य संवेदनशील प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों को राष्ट्रीय क्षति बताया, जिससे देश को दशकों पीछे धकेलने की आशंका जताई गई।

महासचिव पोखरेल ने नेपाल पुलिस, सशस्त्र बल और सेना की कार्रवाई को अपर्याप्त और धीमी बताया और उनसे प्रभावी प्रतिक्रिया देने की अपेक्षा जताई। उन्होंने अपने पार्टी कैडरों से अपील की कि वे संकट की इस घड़ी में एकजुट रहें, साफ-सफाई और पुनर्निर्माण में योगदान दें, और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखें।

पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान स्थिति को राजनीतिक संवाद और जन भावनाओं के सम्मान से ही सुलझाया जा सकता है। यूएमएल ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि वे युवाओं की मांगों जैसे कि भ्रष्टाचार पर रोक, भाई-भतीजावाद खत्म करने, रोजगार सृजन और शिक्षा सुधार जैसे मुद्दों पर सार्थक बातचीत शुरू करें।

पार्टी ने फेडरल संसद, न्यायपालिका, प्रांतीय सरकारों और स्थानीय निकायों से आह्वान किया कि वे लोकतंत्र की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाएं। साथ ही, संविधान समर्थक शक्तियों के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत पर भी बल दिया गया।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version