नयी दिल्ली: बीसीसीआइ और उसकी मान्य ईकाइयों में में जस्टिस लोढ़ा समिति की सिफारिशें के अनुसार सुधार लागू करने को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बोर्ड को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर शुक्रवार को सख्त रुख अपनाया है, जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि जब तक राज्य क्रिकेट संघ लोढ़ा समिति की सिफारिशों को नहीं मानते हैं, तब तक वे बीसीसीआइ से कोई पैसा नहीं ले सकते।
बीसीसीआइ के खिलाफ की थी कड़ी टिप्पणी
कोर्ट ने शुक्रवार को दिये अपने अहम आदेश से साफ कर दिया है कि बीसीसीआई को लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करके क्रिकेट में फैली गंदगी को दूर करना ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड को सिफारिशें लागू करने के लिए दो हफ्ते की समयसीमा दी है। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की थी। अदालत ने साथ ही लोढ़ा पैनल से कहा है कि बीसीसीआई के खातों की जांच के लिए वह एक आॅडिटर (लेखाकार) की नियुक्ति करे। कोर्ट ने कहा है कि किसी को भी अब पैसे नहीं दिए जाएंगे। बाकी चीजें बाद में देखी जाएंगी।
खंडपीठ ने दिया यह आदेश
न्यायालय ने कहा था कि जिन राज्य संघों को पैसा जारी किया जा चुका है, वे उसे तब तक खर्च नहीं करेंगे जब तक वे इन सिफारिशों को मान नहीं लेते। खंडपीठ ने आज के आदेश में भी इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य क्रिकेट संघों को एक भी पैसा तब तक नहीं दिया जाएगा, जब तक वे लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर अमल नहीं कर लेते। बोर्ड इस पर अमल के संबंध में दो सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करे। बोर्ड इस बात को लेकर भी हलफनामा देगा कि वह किस प्रकार से लोढा समिति की सिफारिशों पर अमल करेगा?
5 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
इस मामले पर अब अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी। अदालत के इस आदेश के बाद बीसीसीआई अब राज्य क्रिकेट संघों को ताजा कोष जारी नहीं कर सकेगा, वहीं उसके बड़े करारों पर भी समिति की नजर रहेगी। बोर्ड का अगला बड़ा करार इंडियन प्रीमियर लीग का प्रसारण अधिकार होगा जिसपर 25 अक्टूबर तक कोई फैसला आ सकता है। अदालत ने 17 अक्टूबर को लोढा समिति की स्थिति रिपोर्ट पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और शुक्रवार को उन्होंने इस पर अपना निर्णय सुनाया। लोढा समिति ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों को हटाकर प्रशासकों का एक दल नियुक्त किया जाना चाहिए, क्योंकि मौजूदा अधिकारी समिति की सिफारिशों को लागू करने में बाधा डाल रहे हैं।
बीसीसीआइ के विरुद्ध उठा सकती है कदम
इस पर अदालत ने कहा था कि बीसीसीआई के अधिकारियों को हटाने जैसा कदम आखिरी और सबसे सख्त कदम होगा। अदालत ने न्यायमित्र गोपाल सुब्रह्मण्यम से उन उपायों के बारे में पूछा था, जिससे कि बोर्ड और उसके राज्य संघ सिफारिशों को लागू कर सकें। सुब्रह्मण्यम का सुझाव था कि जब तक सिफारिशों को लागू न किया जाए तब तक राज्य संघों को दिया जाने वाला धन रोक दिया जाए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि भविष्य के बीसीसीआई अनुबंध में इस बात को शामिल किया जाए कि लोढा समिति की सिफारिशों का पालन करना अनिवार्य होगा।