नयी दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) द्वारा जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन पर रोक लगाने और इसके लिए रामलीला ग्राउंड पर वैकल्पिक व्यवस्था करने के आदेश को दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
आप के नेता दिलीप पांडेय ने आज यहां संवााददाताओं से कहा “जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन पर अब रोक लग गयी है। एनजीटी ने इसके लिए तर्क दिया है कि धरना-प्रदर्शनों से बहुत शोर होता जिससे ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। लेकिन, यह तर्क सौ फीसदी सही नहीं है।
” उन्हाेंने सवालिया लहजे में कहा कि एनजीटी की आदेश की आड़ में कहीं विरोध की आवाज काे दबाने की तानाशाही कोशिश तो नहीं की जा रही है।
पांडेय ने कहा कि धरना-प्रदर्शन के लिए रामलीला मैदान में वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा जा रहा है। अगर सवाल ध्वनि प्रदूषण कहा है तो फिर रामलीला मैदान के आस पास तो और घनी आबादी है। वहां तो प्रदूषण का खतरा ज्यादा है। ऐसे में एनजीटी का ध्वनि प्रदूषण का तर्क गले नहीं उतरता है। यह फैसला बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है।
एनजीटी ने बढ़ते ध्वनि प्रदूषण का हवाला देते हुए गुरुवार को पारित अपने आदेश में दिल्ली सरकार से जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन पर रोक लगाने की तत्काल व्यवस्था करने को कहा है। न्यायाधिकरण ने जंतर मंतर तथा उसके आसपास से अस्थायी तंबुओं तथा सार्वजनिक संबोधन के लिए लगाये गये लाउड स्पीकरों को हटाने के लिए नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद के नाम भी आदेश जारी किया है।
एनजीटी के न्यायाधीश एस. राठौर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुये यह आदेश पारित किया था। याचिकाकर्ता ने हरित न्यायाधिकरण से जंतर मंतर पर सामाजिक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और राजनीतिक दलों द्वारा आये दिन किए जाने वाले धरना-प्रदर्शन से ध्वनि प्रदूषण की समस्या का हवाला देते हुये कहा था कि इससे एक स्वस्थ माहौल में गरिमा और शांति के साथ रहने के आम आदमी के अधिकारों का उल्लंघन होता है इसलिए इन पर रोक लगनी चाहिये।
एनजीटी ने इस पर दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के साथ ही दिल्ली के पुलिस आयुक्त को भी आदेश दिया है कि वे जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन, भाषण तथा लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगाने की व्यवस्था करे। एनजीटी ने इसके साथ ही प्रशासन से धरना-प्रदर्शनों के लिए रामलीला ग्राउंड पर वैकल्पिक व्यवस्था करने को भी कहा है।