केंद्रीय आईएमए के आह्वान पर आज विभिन्न मांगों को लेकर देशभर के चिकित्सकों के साथ-साथ झारखंड के चिकित्सक भी एक दिवसीय सत्याग्रह पर बैठे. राजधानी रांची सहित राज्यभर के जिला मुख्यालयों में आईएमए के बैनर तले डॉक्टरों ने धरना दिया.
धरना के जरिए केंद्रीय मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट, लिपिकीय भूल पर पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत डॉक्टरों को प्रताड़ित नहीं करने, चिकित्सीय लापरवाही की क्षतिपूर्ति में कैंपिंग सहित आईएमए के विभिन्न मांगों के साथ-साथ झारखंड के अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने की मांग की गई.
रांची आईएमए के सचिव डॉ. अमित मोहन ने कहा कि यहां स्वास्थ्य विभाग में जो गिरावट आई है उसके प्रति सरकार गंभीर नहीं है. सरकार नए-नए मेडिकल कॉलेज खोल रही है. लेकिन पहले से जो मेडिकल कॉलेज हैं उनमें 35 प्रतिशत डॉक्टरों की कमी है. 50 प्रतिशत पारा मेडिकल स्टॉफ की कमी है. साथ ही जिन डॉक्टरों को नियुक्त किया जा रहा है, उनमें 90 प्रतिशत डॉक्टर ज्वाइन ही नहीं करते हैं. बाकी जो नौकरी में आते हैं उनमें से ज्यादातर बाद में नौकरी छोड़ देते हैं. इसके कारण ढूंढ़ने को लेकर सरकार गंभीर नहीं है. सरकार को वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ मिलकर इसका समाधान निकालना चाहिए.
वहीं झारखंड आईएमए के प्रदेश सचिव डॉ. प्रदीप सिंह ने कहा कि पूरे राष्ट्र में डॉक्टरों के प्रति जो हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ी है उसे लेकर ही आज गांधी जयंती के दिन हमलोगों ने यह अहिंसक विरोध प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को सुरक्षा मिलनी चाहिए. झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाना चाहिए.