राजस्थान में राशन के गेहूं की कालाबाजारी के खुलासे के बाद राज्य सरकार ने एक आइएएस अधिकारी समेत बीस से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कई जगहों पर छापामारी की है तथा इस घपले में अभी कुछ और लोगों के लिप्त होने की आशंका जताई जा रही है। कई आटा कंपनियां भी पकड़ी गई हैं, जो इस गोरखधंधे में शामिल रही हैं। राज्य के खाद्यमंत्री बाबूलाल ने कहा है कि किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। विडंबना यह है कि सरकारें लंबे समय तक सोती रहती हैं, जब पानी सिर के ऊपर से गुजरने लगता है, तब कहीं जाकर उनके कान पर जूं रेंगती है। यह आश्चर्यजनक है कि जोधपुर समेत पांच जिलों के साठ स्थानों पर यह घोटाला अरसे से हो रहा था, लेकिन अब जाकर सरकार को पता चला। इस देश में राशन घोटालों का लंबा इतिहास है। 2004 में उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल के बहुचर्चित घोटाले की जांच सीबीआइ ने की थी, उसका कुछ नतीजा नहीं निकला। अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के राशन घोटाले भी ऐसे ही रहे। छत्तीसगढ़ का घोटाला तो छत्तीस हजार करोड़ रुपए का था, जिसे देश का अब तक का सबसे बड़ा राशन घोटाला माना गया।

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