रांची। दिशोम गुरु ने कांग्रेस पार्टी को करारा झटका दिया है। ऐसा झटका, जिसकी उम्मीद कांग्रेस सहित महागठबंधन को लेकर उत्साहित झाविमो, राजद और वामपंथी पार्टियों ने नहीं की थी। महागठबंधन को लेकर कांग्रेस के ढुलमुल रवैये के कारण छत्तीसगढ़ चुनाव का बिगुल बजते ही मायावती और अजीत जोगी ने कांग्रेस से अपनी-अपनी राह अलग कर ली। ममता बनर्जी तो कभी भी कांग्रेस में महागठबंधन के झांसे में ही नहीं आयीं। अब झारखंड की सबसे बड़ी पार्टी के सबसे बड़े नेता शिबू सोरेन ने गठबंधन नहीं करने की बात कर कांग्रेस का बाजा बजा दिया है। देश में अभी पांच प्रदेश में चुनाव हो रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा प्रदेश मध्यप्रदेश है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने सबसे पहले सहयोगी दलों को किनारे किया। इसका खामियाजा उसे छत्तीसगढ़ और राजस्थान में उठाना पड़ा। छत्तीसगढ़ में मायावती और अजीत जोगी ने कांग्रेस के महागठबंधन को नकार दिया तो राजस्थान में कोई भी पार्टी कांग्रेस के साथ नहीं हुई। शिबू सोरेन ने गठबंधन नहीं होने की बात कही है, तो उन्होंने यह बयान सोच-समझ कर ही दिया होगा। दरअसल कांग्रेस अभी भी अपनी जमीनी हकीकत को ध्यान में रख कर काम नहीं कर रही है। पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी और प्रधान महासचिव प्रदीप यादव से महागठबंधन को लेकर बात की थी। इस बैठक में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को भी शामिल होना था।
हेमंत कुछ घंटे विलंब से दिल्ली पहुंचे। राहुल गांधी दिल्ली में थे, बावजूद इसके हेमंत की उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। यह बात झामुमो को चुभ रही है। झामुमो के अंदरखाने यह चर्चा का विषय बना हुआ है। हेमंत दिल्ली से लौटने के बाद अपने कार्यक्रमों में व्यस्त हो गये। लगातार वह झामुमो के प्रभाववाले इलाके में कार्यक्रम कर रहे हैं। हेमंत को जनता का रिस्पांस भी बहुत अच्छा मिल रहा है। उम्र के इस पड़ाव में भी दिशोम गुरु शिबू सोरेन लगातार कई जगहों पर कार्यक्रम करते देखे जा रहे हैं। कहा यह जा रहा है कि गुरुजी को कांग्रेस पर भरोसा नहीं है। इससे पहले भी जब राज्यसभा चुनाव के समय हेमंत सोरेन की महागठबंधन को लेकर दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान के साथ बात हुई थी, तो गुरुजी ने इसका विरोध किया था। अब फिर जब कांग्रेस मजबूती के साथ यह कह रही है कि झारखंड में कांग्रेस, झामुमो, झाविमो और राजद का महागठबंधन होगा और सबसे बड़ी पार्टी के सर्वमान्य नेता ही इससे इनकार कर रहे हैं तो साफ है कि अभी भी महागठबंधन में काफी पेंच है।
गौरतलब है कि आजाद सिपाही ने 15 दिन पहले इस बात का खुलासा किया था कि झारखंड में कांग्रेस झामुमो को छोड़ आजसू और अन्य दलों के साथ मिलकर महागठबंधन की कवायद कर रही है। इसके बाद इस खबर का भी आजाद सिपाही ने सबसे पहले खुलासा किया था कि झामुमो की मायावती और ममता बनर्जी के साथ गठबंधन को लेकर बातें हो रही है। गुरुजी के बयान के बाद यह कयास जोरों पर है कि झारखंड में झामुमो नये समीकरण के साथ चुनावी समर में उतरेगा।