रांची। नक्सली धमकी के बाद दुमका पुलिस-प्रशासन द्वारा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ मो तौफीकुल हसन की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। 26 सितंबर 2018 को जज के द्वारा नक्सली प्रवीर और सनातन को पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार हत्याकांड में दोषी करार देते हुए दोनों को फांसी की सजा सुनायी थी। इसके विरोध में नक्सली संगठन द्वारा 16 और 17 अक्टूबर को न केवल बंद बुलाया गया है, बल्कि सजा सुनाने वाले जज को जन अदालत लगाकर कार्रवाई की धमकी दी गयी है। इसके बाद जज की सुरक्षा बढ़ा दी गयी।
एसपी भले ही पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था का दावा कर रहे हैं, लेकिन जज के मनमाफिक सुरक्षा नहीं दी गयी है। इसमें डीआइजी ने तकनीकी कारणों का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिये हैं। जज का पैतृक निवास दूसरे राज्य में है, जबकि वर्तमान समय में जो सुरक्षा उपलब्ध करायी गयी है, वह झारखंड राज्य तक ही सीमित है। इधर, बार एसोसिएशन ने आपात बैठक कर नक्सली धमकी की निंदा की। अध्यक्ष विजय सिंह ने नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने और न्यायिक प्रक्रिया पर आस्था जताते हुए नक्सली को उच्च न्यायालय में अपील करने की नसीहत दी।

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