रांची। जांच और जागरूकता से जेनेटिक बीमारियों को जड़ से मिटाने की मुहिम केंद्र सरकार ने शुरू की है। इसी कड़ी में गुरुवार को रिम्स में इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम की शुरुआत जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने की। आनुवांशिक रोगों की जांच और इलाज के लिए देश भर के सरकारी अस्पतालों में निदान केंद्र खोले जायेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार ने 117 जिलों का चयन किया है, जिसमें 93 आदिवासी बहुल जिले हैं। इन्हीं जिलों में आनुवांशिक रोगों के सबसे ज्याद मरीज पाये जाते हैं।
मौके पर अर्जुन मुंडा ने कहा कि आकांक्षी जिला रांची के लिए यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। इसे सफल बनाने का दायित्व झारखंड के डॉक्टरों, चिकित्साकर्मियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के आंतरिक प्रबंधन को बहुत मजबूत बनाना होगा। हम मिलकर किसी भी समस्या को खत्म कर सकते हैं। आनुवांशिक रोगों को भी जड़ से मिटा सकते हैं, लेकिन यह इलाज से संभव नहीं है। यह जनभागीदारी और जनजागरूकता से ही संभव है। कहा कि रिम्स के डॉक्टरों को इस कार्यक्रम को सफल बनाने की जिम्मेवारी लेनी होगी। उन्हें इलाज की औपचारिकता पूरी करने की बजाये संवेदनशीलता के साथ काम करना होगा। वह अपने पेशे को सिर्फ नौकरी न समझें, अपनी जिम्मेवारी समझें। डॉक्टरों का पेशा बहुत पवित्र है।
अर्जुन मुंडा ने कहा कि सुदूर गांवों में भी युवाओं को आनुवांशिक रोगों के बारे में जानकारी दें। मैट्रिक-इंटर की पढ़ाई कर रहे बच्चों को इसके बारे में बतायें, तभी सरकार का उद्देश्य सफल होगा। जो चीजें स्वत: शरीर में आ जाती हैं, वह खतरनाक हैं। इसलिए इसकी रोकथाम बेहद जरूरी है।

मिशन मोड में अभियान चले: डॉ निनावे
केंद्र के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की सलाहकार डॉ शुचिता निनावे ने कहा कि आनुवांशिक रोगों को खत्म करने के लिए मिशन मोड में इस कार्यक्रम को चलाना होगा। पांच अस्पतालों में निदान केंद्र खोले जायेंगे। एक निदान केंद्र नयी दिल्ली में 23 सितंबर को खोला गया। रांची में दूसरा केंद्र खोला जा रहा है। इनमें हर साल 10 हजार गर्भवतियों और पांच हजार नवजात शिशुओं की स्क्रीनिंग होगी। कार्यक्रम के तहत इस योजना का पूरा फंड सीधे सरकारी अस्पतालों को जायेगा।

अभिशाप नहीं है यह रोग: डॉ कुलकर्णी
स्वास्थ्य विभाग के सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने कहा कि आनुवांशिक रोग अभिशाप नहीं है। समय रहते इसकी जांच हो जाये, तो इससे मुक्ति पायी जा सकती है। हाई रिस्क वाले लोगों को चिह्नित करना होगा। उनका उचित इलाज करना होगा।

इनकी भी रही मौजूदगी
मौके पर भोपाल की डॉ भावना धींगड़ा, डॉ सीमा कपूर, जेनेटिक सोसाइटी आॅफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ अमर वर्मा, रिम्स की को-प्रिंसिपल डॉ अनुभा विद्यार्थी, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शोभा चक्रवर्ती और सॉफ्टवेयर डेवलपर कमल पॉल ने भी विचार रखें।

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