अजय शर्मा
रांची। इस बार विधानसभा के उपचुनाव में दुमका की सीट हॉट केक बनी हुई है। सत्ताधारी महागठबंधन ने इस सीट पर झामुमो के बसंत सोरेन को उतारा है। बसंत युवा चेहरा हैं। दुमका इलाके से इनका पूरा परिवार पहले से वाकिफ रहा है। उनके पिता और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन ने इसी इलाके से कई आंदोलनों की अगुवाई की है। बसंत के भाई हेमंत सोरेन सीएम हैं। उनके द्वारा ही दुमका सीट छोड़ी गयी थी। बसंत सोरेन अभी से ही वहां पसीना बहा रहे हैं। लोगों से मिल रहे हैं। विकास का वादा कर रहे हैं। उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि भाजपा के लोग क्या आरोप लगा रहे हैं। वह कहते हैं, भाजपा पहले सत्ता में थी, तब भी आरोप लगा रही थी। अब तो वह विपक्ष में है। आरोप लगाने का तो अब हक बनता है। वह अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं और कहते हैं कि गुरुजी को गिफ्ट देना है। उन्हें इस बात का भी फायदा मिल रहा है कि उनके खिलाफ भाजपा का उम्मीदवार कौन होगा, यह तय नहीं है। दुमका की सीट पर भाजपा की लुइस मरांडी एक बार जीत चुकी हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने उन्हें भारी मतों से हराया था। जेएमएम चाहता है कि इस सीट पर कमल नहीं खिले। इसलिए हर गांव को बसंत टच कर रहे हैं। लोगों को तीर-धनुष और गुरुजी की याद दिला रहे हैं। बसंत सोरेन अगर चुनाव जीत जाते हैं, तो भाजपा द्वारा लगाये जा रहे तमाम आरोप खारिज हो जायेंगे। सीएम की लोकप्रियता का आकलन भी इस सीट से हो जायेगा। बसंत सोरेन जिन गांवों में जा रहे हैं, वहां लोग उन्हें सुनने पहुंच रहे हैं।
प्रत्याशी तय नहीं कर सकी है भाजपा
भाजपा अभी रणनीति ही बना रही है। वह अपने उम्मीदवार की घोषणा जल्द करेगी। उसे वैसे उम्मीदवार की तलाश है, जो बसंत सोरेन को टक्कर दे सके। भाजपा में अभी इसे लेकर मंथन चल रहा है। इस सीट पर भाजपा और झामुमो दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। भाजपा चाहती है कि यह सीट किसी भी हालत में जेएमएम के खाते में नहीं जाये। दुमका में कमल खिले, इसके लिए भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंकेगी। इस सीट पर मतदाता तीन नवंबर को उम्मीदवारों का भाग्य इवीएम में बंद करेंगे। वहीं 10 नवंबर को इनके भाग्य का फैसला हो जायेगा।

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