अजय झा
दुमका। दुमका उपचुनाव किसी पार्टी के लिए आसान नहीं दिख रहा। चेहरा बदलने वाली जनता का भरोसा जितना शायद ही किसी दल के लिए आसान हो। यहां अभी दो पार्टियां ज्यादा सुर्ख हैं, एक झामुमो और दूसरी भाजपा। कोई इस उपचुनाव को टास्क समझकर लड़ रहा, तो कोई जनता जनार्दन का भरोसा जीतने में लगा है। झामुमो के लिए ये सीट पूरी तरह टास्क की तरह है। स्टीफन और हेमंत के बाद इस सीट पर बरकरार रखने का टास्क झामुमो ने बसंत को दिया है। बसंत कितना सफल होते हैं इस टास्क को पूरा करने में, यह मतगणना के दिन पता चलेगा। उधर, भाजपा प्रत्याशी लुइस मरांडी एक बार फिर से जनता का दिल जीतने में लगी हैं। एक बार की सफलता और अपने कार्य को आधार बनाकर वह जनता का भरोसा कितना जीत पाती हैं, यह भी मतगणना के दिन ही पता चलेगा। 2014 के चुनाव में लुइस ने जनता का दिल जीता था और जनता ने उन्हें विधायक बनाया। लेकिन 2019 के चुनाव में उन्हें फिर किनारा कर दिया, वह भी भारी मतों के अंतर से। उस मार्जिन को फुल फिल करना भाजपा के लिए आसान तो नहीं, लेकिन राजनीति के पंडितों की मानें, तो कठिन भी नहीं। क्योंकि यहां उनके लिए जरूरी है जनता का दिल जीत लेना। हालांकि यहां हमेशा जनता ने झामुमो को ही अपना दिल दिया है। इस कारण झामुमो इसे अपना परंपरागत सीट होने का दावा भी ठोकती है।
टास्क पूरा करने दर-दर जा रहे बसंत
सीट को फिर सब झामुमो के खाते में करने का टास्क लेकर बसंत दर दर वोट मांगने जा रहे हैं। झामुमो के विधायक भी दम खम से बसंत के लिए वोट मांग रहे हैं। शिकारीपाड़ा विधायक नलिन सोरेन भी जोर शोर से लगे हैं। एक विधायक सीता सोरेन फिलहाल इस मैदान में नहीं दिख रही हैं।
दिल जीतने में लगी भाजपा
दुमका की जनता का दोबारा दिल जीतने की कोई कोर कसर भाजपा नहीं छोड़ रही है। भाजपा के बाबूलाल मरांडी, सारठ विधायक रणधीर सिंह सहित कई दिग्गज जनता से मिल रहे। दिन-रात सभी नेता दुमका में कैप कर रहे और रणनीति बना रहे हैं कि कैसे जनता का भरोसा जीता जाये।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version