सवाल: आपने अभी पंचायत प्रतिनिधि सम्मान समारोह करवाया। पंचायत प्रतिनिधियों से आपको क्या हासिल हुआ। क्या अब आप गांव में मजबूत हुए हैं ?
जवाब: पंचायत प्रतिनिधियों के रूप में भाजपा को लोकल लीडर मिल गया है। भाजपा के लिए यह एक बहुत बड़ा गैप था, जिसे भरने का काम किया गया है। पंचायत चुनाव की एक और प्रमुख उपलब्धि रही कि झारखंड भाजपा को दो प्रकार के लोकल लीडर मिल गये। जो जीते, वे तो भाजपा के लिए एसेट्स हैं ही, जो हारे वे भी हमारे लोकल लीडर के रूप में खड़े हो गये। उपलब्धि यही है कि आज भाजपा का जमीनी लीडरशिप हर क्लास में खड़ा हो चुका है। समाज के हर वर्ग में हमारी उपस्थिति दर्ज हो चुकी है पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जो भी योजनाएं उनके विकास के लिए चल रही हैं, उन्हें समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति तक जाना जरूरी है। झारखंड में जनजाति बहुल सीटों पर हमसे जो भी चूक हुई है या हो रही है, उसे हमें पाटना है। हमारा लक्ष्य सिर्फ 2024 का चुनाव नहीं है। यह 15 से 20 साल के लिए योजना है। हमारा ध्येय है कि हम झारखंड को स्थायी सरकार दे पायें। जिस प्रकार से हमारे पंचायत प्रतिनिधियों ने जीत का झंडा बुलंद किया है, वह हमारे लिए बहुत बड़ा संबल है। पंचायत चुनाव में 53 प्रतिशत हमारी जीत का सक्सेस रेट रहा है। क्या आपको अभी भी लगता है कि हमारी पकड़ गांव में मजबूत नहीं हुई है! ग्राम स्वराज की कल्पना ही भाजपा का लक्ष्य है। गांधीजी की कल्पना ग्राम स्वराज की थी। भारत की आत्मा तो गांव में ही बसती है। उसी तरह झारखंड की आत्मा भी गांव में बसती है। पंचायती राज चुनाव लोकतंत्र का बहुत ही महत्वपूर्ण आयाम होता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में पंचायती व्यवस्था का प्रमुख स्थान है। पंचायत प्रतिनिधियों को सम्मान देकर भाजपा खुद सम्मानित महसूस कर रही है। वे सचमुच में इस सम्मान के हकदार थे। मुखिया ही गांव के प्रहरी होते हैं। उनका सम्मान यानी गांव का सम्मान। गांव की सरकार ही भारत को विकास पथ पर ले जायेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि भारत का गांव वर्ल्ड क्लास बने। वहां के लोग आत्मनिर्भर बनें। विश्व में उदाहरण बनें।
सवाल: आप बोल रहे हैं हम हेमंत सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे, कौन से मुद्दे हैं आपके पास?
जवाब: झारखंड में सत्ताधारी दल के खिलाफ मुद्दों की लंबी फेहरिश्त है। कौन सा मुद्दा नहीं है! इस राज्य में सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार है, कानून व्यवस्था है, तुष्टीकरण की राजनीति है, बेरोजगारी है, पलायन है, विस्थापन है। हाल के दिनों में झारखंड में जो सबसे बड़ा मुद्दा है, वह है स्टेट स्पांसर्ड करप्शन। झारखंड सरकार फिलहाल चारों तरफ से घिरी हुई है। अब तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद राज्यपाल से कह रहे हैं कि हमें सजा तो सुनाइये। प्रेम प्रकाश और अमित अग्रवाल की गिरफ्तारी ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। हेमंत सोरेन को तो न इडी ने नोटिस दिया है, न सीबीआइ ने, न राज भवन ने कोई नोटिस दिया है। फिर भी वह डरे हुए हैं। इसका मतलब यही है सिर्फ दाल में काला नहीं है, पूरी दाल ही काली है।
सवाल: 1932 के खतियान का पासा जो हेमंत सोरेन ने फेंका है, उसकी क्या काट है आपके पास?
जवाब: दीपक प्रकाश मुस्कराहट के साथ कहते हैं कि यह हेमंत सोरेन का जनता को लॉलीपॉप है। इससे ज्यादा कुछ नहीं है। यह हेमंत सोरेन को भी पता है। जनता को भी अच्छी तरह से पता है। हेमंत सोरेन ने ही तो विधानसभा में कहा था कि 1932 का खतियान लागू नहीं हो सकता। उसमें कानूनी पेंच है। आपका ध्यान मैं उस ओर ले जाना चाहता हूं, जब झारखंड में पहली बार बाबूलाल मरांडी की सरकार झारखंड में बनी थी। उस समय बहुत ही सुलझे हुए तरीके से बाबूलाल मरांडी ने खतियान का फ्रेमवर्क बनाया था। इस राज्य की जनता ने देखा कि वह फ्रेम लीगल कोर्ट में धराशायी हो गया। इसी से समझा जा सकता है कि 1932 का भविष्य क्या होगा! क्या यह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नहीं पता है। बिल्कुल जानते हैं। यह राज्य की जनता भी जान रही है कि यह महज एक लॉलीपॉप है। एक बात और मैं कहूंगा, स्थानीय नीति की बात तो इन लोगों ने की है, लेकिन बिना नियोजन नीति के स्थानीय नीति का क्या फायदा। कहां है नियोजन नीति, आप ही बताइये। मैं एक उदाहरण देता हूं, इससे समझिये। मान लीजिए दीपक प्रकाश 1932 का खतियान धारी है। हम माथा पर पोस्टर भी टांग लिये कि दीपक प्रकाश झारखंडी है और वह 1932 खतियान धारी है। लेकिन इससे मुझे और मेरे बच्चों को क्या फायदा होगा! स्थानीय नीति, नियोजन नीति के लिए ही बनायी जाती है। लेकिन मेरा सवाल यही है कि हेमंत सरकार की नियोजन नीति कहां है! एक और महत्वपूर्ण बात, स्थानीय नीति को लेकर इनके दल के अंदर ही विवाद है। क्यों नहीं हेमंत सोरेन लोबिन हेंब्रम का जवाब दे रहे हैं। लोबिन तो उनकी पार्टी के सम्मानित और वरिष्ठ नेता हैं। क्यों नहीं कांग्रेस के मधु कोड़ा और गीता कोड़ा का जवाब दे रहे हैं। कारण साफ है, झारखंड में सब जगह 1932 में सर्वे नहीं हुआ। उसके बाद भी हुआ है। अलग-अलग जिलों में, अलग-अलग समय पर सर्वे हुआ है। सच कहा जाये, तो हेमंत सोरेन ने झारखंड की जनता को झुनझुना थमा दिया है।
सवाल: हेमंत सोरेन का आरोप है कि भाजपा उन्हें काम नहीं करने दे रही है? केंद्र परेशान कर रहा है। जब वह केंद्र से झारखंड का हक मांगते हैं, तो उनके पीछे भूत-बेताल छोड़ दिया जाता है। आखिर क्यों नहीं आप लोग उन्हें काम करने दे रहे हैं, जबकि जनता ने भाजपा को हटा कर उन्हें सत्ता सौंपी है?
जवाब: यह सवाल सुन कर दीपक प्रकाश कुछ देर के लिए कंफ्यूज हो जाते हैं और सोच में पड़ जाते हैं। फिर कहते हैं कि अरे भाई हमने कब रोका है हेमंत सोरेन को काम करने से। हम तो विपक्ष में रह कर रचनात्मक भूमिका भी अदा करेंगे और संघर्ष भी करेंगे। इस सरकार कि नीयत, नीति और नेतृत्व में खोट है। इस सरकार का लक्ष्य होना चाहिए जनहित में, लोक कल्याण में और झारखंड के हित में। हेमंत सरकार को झारखंड के विकास के लिए नीतियां लानी चाहिए थी, वे आज तक धरातल पर नहीं दिखायी पड़ रही हैं। भाजपा उन्हें कहां परेशान कर रही है। भाजपा ने तो नहीं कहा था कि आप अपने नाम पर लीज लीजिए। दरअसल बात यह है कि वंशवाद और परिवारवाद से हेमंत सोरेन पूरी तरह से घिरे हुए हैं। बहुत से ऐसे लोग हैं, यहां तक कि अधिकारी भी हैं, जो सत्ता के गलियारों में लाभ लेने के लिए घूम रहे हैं। उनसे हेमंत पूरी तरह से घिरे हुए हैं। उन लोगों का लक्ष्य झारखंड की जनता का हित नहीं, बल्कि खुद का हित है। इसीलिए सरकार घिरी हुई है। इसीलिए हेमंत सोरेन जनता से कट गये हैं। हेमंत सोरेन ने अपने पूज्य पिताजी के नाम से दाल-भात योजना शुरू की। उसका हश्र क्या हुआ। उसके बाद अपने दादाजी के नाम पर सोना-सोबरन धोती-साड़ी योजना शुरू की। 10 रुपये में आपको धोती और साड़ी मिल रही थी। उस योजना की समीक्षा खुद हेमंत सोरेन करें और देखें कि उसमें क्या हो रहा है। सही लोगों तक उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन योजनाओं पर भी स्वार्थी लोगों की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है। एक और योजना के बारे में मैं आपको बताना चाहूंगा। सब्सिडी रेट पर पेट्रोल-डीजल देने की घोषणा हुई थी। आज उसका आकलन मुख्यमंत्री को करना चाहिए। उन्हें यह देखना चाहिए कि उसका लाभ कितने लोग ले रहे हैं। आयुष्मान योजना प्रधानमंत्री के नाम से है। उसको झारखंड सरकार ने झारखंड में नाम बदल कर मुख्यमंत्री आयुष्मान योजना बना दिया। उसका हश्र यह हुआ कि आज हॉस्पिटल्स के पैसे बकाये हो गये हैं। उन्हें पैसे नहीं मिल पा रहे हैं, अस्पतालों ने इलाज करना बंद कर दिया है, जिसके कारण जो लाभार्थी हैं, वे लाभ लेने से वंचित हो गये हैं। योजना तो प्रधानमंत्री की है, मुख्यमंत्री की तो यह योजना नहीं है। एक और बात कहना चाहूंगा। केंद्र सरकार द्वारा कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज भेजे गये। झारखंड में इस्तेमाल नहीं होने के कारण बूस्टर डोज वापस चला गया। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से जो नितांत गरीबों के लिए अन्न भेजे गये, सही तरीके से लोगों को नहीं मिला रहा है। दुकानदार बंदरबांट कर रहे हैं।
साहिबगंज में खुलेआम हो रही है खनिज संपदा की लूट
दीपक प्रकाश कहते हैं कि कौन नहीं जानता कि झारखंड में खुलेआम खनिज संपदा की लूट हो रही है। राज्य की जनता जानती है कि साहिबगंज में अवैध खनन में इतिहास रचा गया है। राज्य की प्राकृतिक संपदाओं को पूरी तरह चौपट करने का काम इस सरकार में हुआ है। इडी ने इन सारी चीजों का पर्दाफाश किया है। साहिबगंज में वहां की जनता और भाजपा द्वारा अवैध माइनिंग और उसकी अवैध ट्रांसपोर्टिंग के खिलाफ लगातार आंदोलन किया जाता रहा है। इसका परिणाम सबके सामने है। इस सारे खेल के पीछे कौन लोग थे, कौन चेहरे थे। ये बातें अखबार की सुर्खियों में प्रत्यक्ष देखी जा सकती हैं। दीपक प्रकाश कहते हैं कि मेरा यह सीधा आरोप है कि साहिबगंज में फेरी की जो घटना घटी थी, उसमें कम से कम 7 से 8 ट्रक थे। इन ट्रकों में स्टोन चिप्स लदा हुआ था। हर ट्रक में एक ड्राइवर और एक खलासी तो कम से कम होगा ही। मुझे जानकारी है कि करीब 20 से 25 लोग उस रात गंगाजी में डूब गये। इस मामले में 302 का मुकदमा वहां के डीसी पर चलना चाहिए। मुकदमा तो नहीं ही चला, उलटे क्लीन चिट दे दी गयी। इस मामले को हमने राज्यसभा में भी उठाया था। उस वक्त यह खबर अखबारों की सुर्खियां नहीं बनी थीं। यह पूरा स्कैंडल था। वहां के अधिकारी घटनास्थल को बिहार का हिस्सा बता कर अपना दामन बचाना चाहते हैं। अवैध माइनिंग साहिबगंज में, इसे ले जाने की योजना भी साहिबगंज में बनी, कमीशन आॅफेंस और काउज ऑफ एक्शन भी झारखंड में हुआ है। सारी पटकथा झारखंड की है, इसलिए झारखंड में भी संबंधित अधिकारियों पर सरकार को मुकदमा दर्ज करना चाहिए। फौजदारी मुकदमा भी करना चाहिए। क्यों नहीं हो रहा, सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। अब तक वहां के डीसी और एसपी का तबादला तक नहीं किया गया। इसलिए पूरी घटना में जिला प्रशासन तो दोषी है ही, इसमें रांची में बैठे राजनेता और वरीय अधिकारी भी दोषी हैं।
पहाड़ के पहाड़ गायब हो गये
दीपक प्रकाश आश्चर्य की मुद्रा में जवाब देते हैं कि आप अगर संथाल परगना में जायेंगे, तो पायेंगे कि एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह सत्ताधारी दल से जुड़े हुए लोगों ने पहाड़ को सफाचट कर दिया। मतलब पहाड़ के पहाड़ ही गायब हो जा रहे हैं। सबसे ज्यादा कोयले की अवैध तस्करी इस राज्य में हो रही है। मजे की बात यह है कि इसकी उगाही प्रभावशाली लोग, पदाधिकारी, अधिकारी, नेता कर रहे हैं। कौन नहीं जानता है कि पैसा वहां की पुलिस उठाती है। दीपक प्रकाश आरोप लगाते हैं कि पहले पैसा बेरमो आता है और बेरमो से कहां चला जाता है, यह सभी जानते हैं। खुलेआम चल रहा है यह सब। अब अगर इसमें इडी कार्रवाई कर रही है तो हाय तौबा क्यों मच रही है भाई। कहा जा रहा है कि इडी को पीछे लगा दिया गया है। इडी जहां छापा मार रही है, वहीं पर अवैध कागज, अकूत संपत्ति मिल रही है और भी नये-नये भ्रष्टाचार के स्रोत उजागर हो रहे हैं, तो इसमें इडी कैसे दोषी हो गयी। अगर इडी, सीबीआइ और इनकम टैक्स वाले छापा मारें और खाली हाथ लौटें, तब वे दोषी हैं। लेकिन छापा मारने पर तो वहां वे सारी चीजें मिल रही हैं, जो अवैध खनन और अवैध कामों की कहानी कह रही हैं।
सेना की जमीन का मामला गरमाया हुआ है
दीपक प्रकाश ने कहा कि इसी रांची में सेना की जमीन को औने-पौने दाम में हड़पने वाला कौन है, किसी से छिपा है क्या। कानून को धता बता कर इसकी रजिस्ट्री दोबारा की गयी। पहली रजिस्ट्री को अवैध करने की पैरवी किसने की, यह भी सामने आना चाहिए। 100 करोड़ से अधिक की जमीन है, जबकि इसकी रजिस्ट्री मात्र सात करोड़ में हुई है। सरकारी रेट के हिसाब से से भी जोड़े तो जमीन करीब 20 करोड़ के आसपास है। स्टांप डटूटी 20 करोड़ की दी गयी है। इसकी खरीद में किसके पैसे लगे हैं, इसकी जांच भी इडी कर रही है, जांच होनी ही चाहिए। जांच इसकी भी होनी चाहिए कि भ्रष्टाचार के आरोप में जो लोग पकड़े गये हैं, उन्हें वीआइपी सुविधा किसने उपलब्ध करायी।
सवाल: झारखंड में एक तरह के पैटर्न से क्राइम को अंजाम दिया जा रहा है, क्या कहेंगे? आखिर नाबालिग हिंदू और आदिवासी बच्चियों को क्यों टारगेट किया जा रहा है?
जवाब: झारखंड में लॉ एंड आर्डर बिल्कुल निचले पायदान पर है। महिलाएं यहां सुरक्षित नहीं हैं। देश में सबसे ज्यादा दुराचार की घटना झारखंड में घट रही है। एक खास तरह के पैटर्न से इन घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। चाहे वह दुमका की अंकिता कुमारी को पेट्रोल से जला कर मार देने की घटना, या फिर एक आदिवासी बच्ची को मार कर पेड़ से लटका देने की घटना। ये दोनों बच्चियां नाबालिग थीं। इतना कुछ होने के बावजूद हेमंत सरकार अपनी कुंभकर्णी नींद से नहीं जागी, जिसका खामियाजा आये दिन महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार के रूप में आपको दिख रहा है। यह सब हो रहा है झारखंड में डेमोग्राफी बदलाव के कारण भी। पहले वे धमकी देते हैं, नहीं मानने पर पेट्रोल से जला दे रहे हैं। क्या हो रहा है झारखंड में। बांग्लादेशी घुसपैठिये झारखंड में कितनी मात्रा में हैं, क्या यह सरकार को पता नहीं है। वह बांग्लादेश के रास्ते पहले झारखंड में आते हैं, यहां की लड़कियों को लव जिहाद में फांसते हैं, फिर शादी करते हैं और उसके बाद उसकी संपत्ति के मालिक बन जाते हैं। अगर वह महिला उनके धर्म को नहीं माने, तो उसे मार भी देते हैं। धर्मांतरण का काम झारखंड में जिस तरह से धड़ल्ले से चल रहा है, यह किससे छिपा है। ये लोग धर्मांतरण के माध्यम से राष्ट्रांतरण करना चाहते हैं। एक एजेंडा के तहत यह सब हो रहा है। इन्होने ग्रीन कॉरिडोर की रणनीति बनायी है। इसलिए यहां पर डेमोग्राफी बदलाव भी हो रहा है। घुसपैठियों के कारण झारखंड में हिंसा, क्राइम की घटनाएं बढ़ी हैं। इन घुसपैठियों का कनेक्शन पीएफआइ से भी है। पीएफआइ का एजेंडा क्या है, यह सभी को पता है। बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण किसका मिल रहा है, सत्ताधारी दल का। आपको याद होगा, जब कोरोना काल चल रहा था, जब सभी लोग अपने घरों में बंद थे, तब झारखंड के संथाल परगना के एक सम्मानित मंत्री ने कैसे कुछ लोगों को बसों में बंगाल और दूसरी जगहों पर भिजवाया था। डेमोग्राफी बदलने से पाकुड़ जैसी जगह की पूरी इकॉनॉमी अब एक खास वर्ग के लोगों के पास चली गयी है। हर छोटे-बड़े बिजनेस वही लोग कर रहे हैं। ट्रांसपोर्टिंग उन्हीं के हाथ में चली गयी है। आप गौर कीजिएगा, जहां भी कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है, वहां पर एक खास वर्ग के लोग मिलेंगे, जो कम रेट में काम करते मिल जायेंगे। आप जब उनसे पूछिएगा, तब वे कहंगे कि बंगाल से हैं, लेकिन जब आप उसकी डिटेलिंग में जायेंगे, तब आप समझ पायेंगे कि ये बांग्लादेशी हैं। कैसे नहीं बदलेगी डेमोग्राफी बताइये। कैसे नहीं बढ़ेगा क्राइम बताइये। चाहे वह बंदूक की नोक पर की गयी ओरमांझी स्कूल की घटना हो, पलामू की घटना हो, संथाल की घटना हो। एक सुनियोजित तरीके से महिलाओं के प्रति काम को अंजाम दिया जा रहा है। ओरमांझी के एक स्कूल की घटना आपको याद होगी। वह अखबारों में भी छपी थी। वहां पर एक खास वर्ग के युवक खुलेआम स्कूल में घुसे और स्कूल की बच्चियों को दोस्ती करने की धमकी दी। दोस्ती नहीं करने पर उठा लेने की धमकी दी गयी। झारखंड में यही सब चल रहा है। पहले धमकाओ, नहीं तो पेट्रोल छिड़क कर जला दो, तेजाब फेंक दो, जान से मार दो। दीपक प्रकाश बताते हैं कि मौजूदा सरकार अपराधियों को संरक्षण देनेवाली सरकार है। आदिवासी, दलित, महिलाओं के साथ हुए अपराध पर सरकार मौन है। यहां तक कि राज्य सरकार ने अपराध के बढ़ते ग्राफ के अपने काले कारनामों को छिपाने के लिए बेबसाइडट पर भी अपराध के आंकडे को मई के बाद अपलोड करना बंद कर दिया है। सरकार के आंकड़ों को ही देखा जाये तो मई तक 150334 घटनाएं घटी हैं। मई तक 4077 अनाचार की घटनाएं घटी हैं, लेकिन भाजपा के अनुसार यह 5200 है। पूरे देश में सबसे अधिक हत्या इस राज्य में हुई है। कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है।
दीपक प्रकाश कहते हैं: क्या सरकार को नहीं मालूम है कि गढ़वा में क्या हुआ। वहां के स्कूल में हाथ जोड़ कर प्रार्थना करने के बजाय हाथ बांध कर प्रार्थना करवायी जा रही थी। यह सब धमका कर ही करवाया जा रहा था। तर्क दिया गया कि वहां मुसलमानों की संख्या ज्यादा है तो प्रार्थना के नियम बदल दो। पहले प्रार्थना के नियम बदलेंगे, फिर रविवार की जगह शुक्रवार को छुट्टी होगी, फिर स्कूल का नाम बदला जायेगा, उसके बाद पढ़ाई की स्टाइल बदली जायेगी, उसके बाद धर्म पर हमला होगा, उसके बाद आप पर हमला होगा। यही पैटर्न है। क्या सरकार को यह नहीं पता है कि झारखंड के कई स्कूलों में रविवार की जगह शुक्रवार को छुट्टी दी जाने लगी थी। इस तरह की घटना मीडिया की सुर्खियां भी बनी थीं। क्या स्कूलों के नाम के सामने उर्दू नहीं जोड़ा गया था। सरकार के पास पूरी रिपोर्ट्स मौजूद हैं, लेकिन सरकार इस पर एक्शन इसलिए नहीं लेती है, क्योंकि यह सब सत्ताधारी दलों के संरक्षण में हो रहा है। भाजपा इसके लिए हमेशा आंदोलन करती रही है। जहां भी इस तरह की घटना उजागर हो रही है, भाजपा के कार्यकर्ता आंदोलन करते रहेंगे।
कहां है नौकरी, झारखंड के युवा तो पूछ रहे हैं
दीपक प्रकाश कहते हैं कि झामुमो का चुनाव पूर्व वादा था कि पांच लाख युवाओं को नौकरी दी जायेगी। इन वादों को पूरा करने की बजाय झारखंड सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में अंडा-मुर्गी पालन करने, ठेला लगाने की सलाह दे रही है। सरकार से जनता पूरी तरह त्रस्त हो चुकी है। यही कारण है कि सरकार के कार्यक्रम को छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी के कार्यक्रम में लोग हिस्सा ले रहे हैं। जनता की नजरों में यह सरकार सुपर फ्लॉप साबित हुई है। आज झारखंड का युवा पूछ रहा है, कहां गयी मेरी नौकरी।
सवाल: विपक्ष प्रहरी होता है। ऐसा कोई प्रखंड नहीं है, पंचायत नहीं है, गांव नहीं है, जहां पर भाजपा के लोग नहीं हैं। आखिर क्या कारण है कि इतने दिनों तक ये बातें छिपी रहीं? उन्होंने आवाज क्यों नहीं उठायी?
जवाब: दीपक प्रकाश कहते हैं कि भाजपा के लोगों को जहां-जहां इस तरह कि जानकारी मिलती है, भाजपा पूरी ताकत के साथ इसका विरोध करती है। आपको पता है कि पार्टी के 418 कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमे किये गये। मेरे जैसे लोगों पर भी देशद्रोह का मुकदमा है। यह भाजपा का सख्त निर्देश है कि जहां भी देश विरोधी गतिविधयां हो रही हैं, धर्मांतरण हो रहा है, स्कूल में धर्म के हिसाब से बदलाव हो रहा है, लव जिहाद की बात हो हो रही है, भाजपा वहां पर पूरी ताकत के साथ उसके खिलाफ खड़ी हो जाती है। आंदोलन करती है। हमारे कार्यकर्ता लड़ेंगे, भिड़ेंगे, कुछ भी करेंगे, लेकिन गलत नहीं होने देंगे। भाजपा की सरकार जब रहती है, तब कानून का राज चलता है। लेकिन ये सरकार तो इन्हे संरक्षण प्रदान कर रही है। भाजपा की सरकार में ये लोग बिल में छुपे होते हैं, लेकिन जब से यूपीए की सरकार आयी है, सब बिल से बाहर निकल एक्टिव हो गये हैं। मैं नहीं कहता कि भाजपा की सरकार आती है, तो रामराज रहता है, या हेमंत सोरेन रामराज ले आयेंगे, लेकिन भाजपा कोशिश करती है कि इस तरह की घटनाएं नहीं हों। राज्य में लॉ एंड आर्डर का राज हो। कानून का राज हो। सरकार को पूरी सक्रियता के साथ ऐसी देश विरोधी ताकतों से लड़ना चाहिए, लेकिन यह सरकार हर मोर्चे पर फेल है।
सवाल : आप भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। पार्टी निरंतर कोई न कोई कार्यक्रम करती रहती है। आपका कार्यकर्ता पार्टी के एक आदेश पर दिन-रात भूखे प्यासे पार्टी के कार्यों में लगा रहता है। पार्टी के लिए कार्यकर्ता सिर्फ झंडा ढोने का माध्यम है, या फिर कुछ और महत्व भी है उनका?
जवाब: दीपक प्रकाश यह सवाल सुन कर भावुक हो जाते हैं। फिर वह जवाब देते हैं कि हमारे कार्यकर्ता देवतुल्य हैं। मेरा तो उनका चरण छूने का मन करता है। भाजपा का कार्यकर्ता एक दिन भी घर में नहीं बैठता है। वह 24 घंटे सातों दिन पार्टी और जनता के लिए खड़ा रहता है। चाहे वह खुद भूखा पेट ही क्यों न सो जाये, दूसरों को भूखे पेट सोने नहीं देता। मैं एक घटना का उल्लेख यहां करना चाहता हूं। जब कोरोना का कालखंड था, मैं बीमार था। बीमारी के पांच दिन बाद मैं सड़क पर उतर गया था। उन दिनों भाजपा रूपा तिर्की मामले में आंदोलन कर रही थी। मैं जारी गांव गया। वहां भाजपा का एक गरीब कार्यकर्ता था। मैंने सोचा जरा उसका हाल चाल लिया जाये। जब मैं उसके घर में गया, तो मैं आश्चर्यचकित रह गया। मैंने देखा कि उसके घर में महज दो किलो चावल था। उसकी छह बच्चियां थीं। मेरा मन व्यथित हो उठा। मेरे मन में इच्छा हुई कि मैं उसे राशन मंगा कर दे दूं। लेकिन उस कार्यकर्ता का दिल देखिये कि उसने वह दो किलो चावल भी लेकर एक आदिवासी परिवार में दे आया। क्योंकि उस वक्त उन्हें उस चावल की अधिक जरूरत थी। मैं देख कर दंग रह गया। मैंने पूछा, अब तुम्हारा दोपहर का खाना कैसे बनेगा, तो उसने कहा कि अगर बगल वाला खायेगा न भैया, तो मेरी आत्मा को संतोष हो जायेगा। मैंने पूछा, रात को कैसे खाओगे। तो उस कार्यकर्ता ने कहा, होगा न भैया कोइ इंतजाम। देखा जायेगा। ये भाजपा का कार्यकर्ता है। हम लोग भाजपा के महामंत्री प्रदीप वर्मा जी के नेतृत्व में उस दौरान सेवा एक माध्यम से फूड्स पैकेट का वितरण कर रहे थे। हमने फिर उसे फूड पैकेट दिया। उस आदिवासी परिवार को भी दिया। ये भाजपा का कार्यकर्ता है, जिसने कोरोना काल में खुद के पेट की चिंता न करते हुए दूसरों के पेट की चिंता की। यही है भाजपा। उस दौरान भाजपा के कार्यकर्ता-नेताओं ने खुद की चिंता नहीं की। सिंदरी की घटना को लीजिए। वहां भाजपा के विधायक इंद्रजीत महथा हैं। वह खुद कोरोना के शिकार हो गये। हैदराबाद में उनका आज भी इलाज चल रहा है। वह कोरोना से पीड़ित लोगों की सेवा ही तो कर रहे थे कि कोरोना की चपेट में आ गये, लेकिन उन्होंने अपने फर्ज से कभी किनारा नहीं किया। दीपक प्रकाश कहते हैं: भाजपा का कार्यकर्ता सिर्फ झंडा ढोने के लिए ही नहीं हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का सम्मान करती है। मैं भी तो भाजपा का कार्यकर्ता ही रहा हूं। आज यहां हूं। कार्यकर्ताओं को सम्मान देने की लंबी फेहरिश्त है। समीर उरांव को लीजिए, आदित्य साहू को लीजिए, सीपी सिंह को लीजिए। मोदी जी भी भाजपा के कार्यकर्ता ही थे, आज देश संभाल रहे हैं।
सवाल: झारखंड की जनता ने 2014 में भाजपा को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में बैठाया था। पांच साल सरकार चली भी। विकास का डंका भी पीटा गया। जनसेवा की बात भी हुई, फिर झारखंड के लोगों ने भाजपा को सत्ता से क्यों बेदखल कर दिया?
जवाब: लोकतंत्र की यही खूबसूरती है। हार से हम घबडाÞते नहीं हैं, उससे सीख लेते हैं। कभी देश में भाजपा के सिर्फ दो सांसद थे। आज हम देश में दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार चला रहे हैं। झारखंड में हम सत्ता से बेदखल जरूर हुए, लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि अगली बार हम फिर बहुमत के साथ झारखंड में सरकार बनायेंगे। अपने कार्यकर्ताओं की सेवा की बदौलत सरकार बनायेंगे। झारखंड का निर्माण भाजपा के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ही किया था। अब भाजपा ही उसे संवारेगी। झारखंड को पूरे देश में नंबर वन राज्य बनायेगी। गांव की सरकार से इसकी शुरूआत हो गयी है। हरमू मैदान में जो देवतुल्य कार्यकर्ता आये थे, वे संकल्प लेकर गये हैं कि फिर अगली बार भाजपा की सरकार बनायेंगे। हम आंदोलन के लिए सड़क पर उतर गये हैं। नवंबर महीने से पूरे दमखम के साथ हम सरकार की नाकामियों को जनता के सामने लायेंगे। आज झारखंड में जो हो रहा है, उस पर अंकुश लगायेंगे।