पश्चिमी सिंहभूम। भारत आदिवासी पार्टी, पश्चिम सिंहभूम ने बुधवार को जुबली तालाब के कैफेटेरिया परिसर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में झारखंड सरकार पर सारंडा क्षेत्र के वनग्रामों में बसे आदिवासियों की अनदेखी का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि राज्य सरकार सारंडा के 40 से अधिक वनग्रामों को अभयारण्य क्षेत्र से बचाने में पूरी तरह विफल रही है, जिससे वहां के निवासियों में विस्थापन की आशंका गहराने लगी है।

पार्टी नेताओं ने कहा कि एक ओर सरकार सर्वोच्च न्यायालय में सारंडा को अभयारण्य घोषित करने के पक्ष में हलफनामा दाखिल करती है और कैबिनेट से इसकी स्वीकृति भी देती है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों को विस्थापन के भय और भ्रम में डाल रही है। पार्टी की मांग है कि जिस प्रकार खनन क्षेत्र को अभयारण्य से मुक्त रखा गया है, उसी प्रकार सारंडा के 40 वनग्रामों को भी अभयारण्य क्षेत्र से बाहर रखा जाए।

जिला उपाध्यक्ष तुरी सुंडी ने आरोप लगाया कि जिला खनिज फाउंडेशन मद में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत बने कई जलमीनार वर्षों से अधूरे पड़े हैं। सुंडी ने डीएमएफटी कोष की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। वहीं, जिला महासचिव कोलंबस हांसदा ने कहा कि भारत आदिवासी पार्टी भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी।

नेताओं ने घोषणा की कि सारंडा वन क्षेत्र में बसे आदिवासियों के विस्थापन, डीएमएफटी में भ्रष्टाचार और जिला स्तर पर व्याप्त अनियमितताओं के विरोध में पार्टी 11 नवंबर 2025 को जिला मुख्यालय में एकदिवसीय धरना प्रदर्शन करेगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिला सचिव शांतिएल कांद्याबुरू, चंद्रशेखर मुंडा, मोरन सिंह देवगम, सनातन सवैया और हरिश बालमुचू उपस्थित थे।

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