मुंबई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और फिनटेक के क्षेत्र में “विन-विन साझेदारी” की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। भारत का डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र आज नवाचार, पारदर्शिता और समावेशन के नए वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 (जीएफएफ) को संबोधित कर रहे थे। यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की उपस्थिति में मोदी ने कहा कि मुंबई ऊर्जा, उद्यम और अनंत संभावनाओं का शहर है। उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच विश्वास, नवाचार और प्रौद्योगिकी आधारित विकास के नए अध्याय की शुरुआत हो रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते एक दशक में भारत ने प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण किया है। भारत ने दिखाया है कि प्रौद्योगिकी केवल सुविधा का साधन नहीं, बल्कि समानता का साधन भी बन सकती है। हमने डिजिटल तकनीक को देश के हर नागरिक और हर क्षेत्र तक सुलभ बनाया है।
भारत आज दुनिया के सबसे तकनीकी रूप से समावेशी समाजों में से एक है। मोदी ने कहा कि भारत ने लोकतांत्रिक भावना को शासन का एक मजबूत स्तंभ बनाया है। यही भावना हमारे डिजिटल और फिनटेक मॉडल के मूल में है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “इंडिया स्टैक” पूरी दुनिया, खासतौर पर ग्लोबल साउथ के देशों के लिए आशा की किरण है। हम न केवल तकनीक साझा कर रहे हैं बल्कि अन्य देशों को उसे विकसित करने में भी मदद कर रहे हैं। यह डिजिटल सहायता नहीं बल्कि डिजिटल सशक्तिकरण है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के फिनटेक समुदाय के प्रयासों से स्वदेशी समाधान आज वैश्विक प्रासंगिकता हासिल कर रहे हैं। आज पूरी दुनिया में हमारे क्यूआर नेटवर्क, ओपन कॉमर्स और ओपन फाइनेंस फ्रेमवर्क की प्रशंसा हो रही है। इस वर्ष के पहले छह महीनों में भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष तीन सबसे अधिक वित्त पोषित फिनटेक पारिस्थितिक तंत्रों में शामिल रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत का डिजिटल स्टैक एक नए खुले इकोसिस्टम को जन्म दे रहा है। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स छोटे व्यापारियों और एमएसएमई के लिए वरदान साबित हो रहा है, जो उन्हें नए बाजारों तक पहुंचने में मदद कर रहा है। इसी तरह, ओपन क्रेडिट एनेबलमेंट नेटवर्क ने छोटे उद्यमियों के लिए ऋण की उपलब्धता आसान बना दी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत में डिजिटल भुगतान लोगों के दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुका है। इसका सबसे बड़ा श्रेय हमारी जेम ट्रिनिटी – जन धन, आधार और मोबाइल को जाता है। आज भारत में हर महीने 20 अरब से अधिक यूपीआई लेनदेन होते हैं, जिनकी कुल राशि 25 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। दुनिया में जितने भी रियल-टाइम डिजिटल ट्रांजैक्शन होते हैं, उनमें से हर 100 में से 50 लेनदेन केवल भारत में होते हैं। उन्होंने कहा कि पहले बैंकिंग व्यवस्था एक विशेषाधिकार हुआ करती थी लेकिन डिजिटल तकनीक ने इसे सशक्तिकरण का उपकरण बना दिया है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण तीन प्रमुख सिद्धांतों- समान पहुंच, जनसंख्या-स्तरीय कौशल विकास और जिम्मेदारीपूर्ण तैनाती पर आधारित है। भारत हमेशा नैतिक एआई के लिए वैश्विक ढांचे का समर्थन करता रहा है। हमारे लिए एआई का मतलब सर्वसमावेशी एआई है। भारत का एआई मिशन डेटा और प्राइवेसी दोनों विषयों को संभालने की क्षमता रखता है। दुनिया में एआई के लिए ट्रस्ट और सेफ्टी नियमों को लेकर बहस जारी है लेकिन भारत पहले ही ‘ट्रस्ट लेयर’ का निर्माण कर चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और यूके फिनटेक के क्षेत्र में स्वाभाविक साझेदार हैं। यह नवाचार और विश्वास की साझेदारी है। हमारा लक्ष्य एक ऐसी फिनटेक दुनिया बनाना है, जहां प्रौद्योगिकी लोगों और ग्रह दोनों को समृद्ध करे। भारत अपनी डिजिटल तकनीक को वैश्विक पब्लिक गुड के रूप में साझा कर रहा है। हम अपने अनुभव और ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म दुनिया के साथ साझा कर रहे हैं ताकि डिजिटल सहयोग और डिजिटल साझेदारी को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने कहा कि भारत की भूमिका केवल प्रौद्योगिकी उपभोक्ता की नहीं बल्कि डिजिटल नेतृत्वकर्ता की है। हमारा प्रयास एक ऐसी दुनिया बनाना है जहां फिनटेक का उपयोग सिर्फ लाभ के लिए नहीं बल्कि मानवता और सतत विकास के लिए हो।
यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने अपने संबोधन की शुरुआत हिंदी अभिवादन से की- ‘नमस्कार मुंबई, मुझे यहां आकर बहुत खुशी हुई।’ उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन फिनटेक के क्षेत्र में स्वाभाविक साझेदार और वैश्विक नेता हैं। वे चाहते हैं कि यूके वित्त और फिनटेक निवेश के लिए दुनिया में नंबर वन पसंद बने।
उन्होंने कहा कि “यह भारत का अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता है। मैं प्रधानमंत्री मोदी को इस साझेदारी के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। यह दोनों देशों के लिए एक बड़ी जीत है।”