पूर्वी सिंहभूम। बिस्टुपुर स्थित तुलसी भवन सभागार में गुरुवार को डॉ. स्वर्ण प्रमा कीर्ति की पुस्तक “जनजातीय भोजपुरी लोक कथाओं का सांस्कृतिक महत्व” का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित किया गया।
इस पुस्तक में जनजातीय एवं भोजपुरी लोक परंपरा, संस्कृति, धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। पुस्तक में जनजातीय समाज की जीवन शैली, आस्थाएं, लोकगीत, लोककथाएं, लोकनृत्य और रीति-रिवाजों के माध्यम से भोजपुरी लोकसंस्कृति की समृद्ध विरासत को दर्शाया गया है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय थे। उन्होंने पुस्तक का लोकार्पण करते हुए कहा कि डॉ. स्वर्ण प्रमा कीर्ति की यह पुस्तक भारतीय जनजीवन की विविधता और लोक परंपराओं की आत्मा को समझने का सशक्त प्रयास है। उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक युग में जब लोक संस्कृति धीरे-धीरे विस्मृत हो रही है, ऐसे में यह कृति आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर साबित होगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डा. मुदिता चंद्रा, सुनीता मूर्मू, तथा गोपी किशोर सिंह ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से लोककथाओं के जरिए समाज के मूल स्वरूप, उसकी आस्था, संघर्ष और संवेदनाओं को समझने में सहायता मिलेगी।
वक्ताओं ने कहा कि भोजपुरी लोक संस्कृति में जनजातीय तत्वों का गहरा प्रभाव रहा है और यह पुस्तक उस सेतु का काम करती है जो दोनों समुदायों के सांस्कृतिक संबंधों को जोड़ती है।
लेखिका डॉ. स्वर्ण प्रमा कीर्ति ने कहा कि इस पुस्तक की प्रेरणा उन्हें अपने बचपन में सुनी गई लोककथाओं और जनजातीय समुदायों से मिले अनुभवों से मिली। उन्होंने कहा कि भोजपुरी और जनजातीय लोक परंपराओं में जीवन का उत्सव, संघर्ष और प्रकृति के प्रति गहरी संवेदना झलकती है।
कार्यक्रम में शहर के कई शिक्षाविद, साहित्यकार, शोधार्थी और सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।