अमेरिका के न्यूयार्क में मुख्य मैनहट्टन इलाके में पिछले सप्ताह आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) से जुड़े एक आतंकी ट्रक चालक ने साइकिल और पैदल राहगीरों के रास्ते पर ट्रक चढ़ा दिया, जिससे आठ लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। हमलावर का नाम सैफुल्लो हबीबुल्लाएविक सैपोव बताया जाता है जो 2010 में अमेरिका आया था। यह हमला उस वक्त किया गया जब शहर हैलोवीन का जश्न मना रहा था। घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर ग्र्राउंड जीरो स्मारक स्थल है जो 2001 में हुए 9/11 हमले की याद दिलाता है। हमले की साजिश को समझने में पुलिस को देर नहीं लगी और उसने साफ माना कि शहर फिर आतंकवादी हमले का शिकार हुआ है।
इस हमले से एक बात फिर स्पष्ट है कि आईएस जैसे खतरनाक संगठन के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने के लिए नई रणनीति बनाने की जरूरत है। पिछले कुछ सालों के दौरान देखा गया है कि आईएस और दूसरे आतंकी संगठनों के खिलाफ जैसे-जैसे सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई और संघर्ष किया गया वैसे-वैसे आतंकी संगठनों ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है। अमेरिका और यूरोप के ज्यादातर देशों में पिछले दिनों जो आतंकी हमले हुए उनमें एक बात समान रूप से सामने आई कि आतंकवादी भीड़भाड़ वाली जगहों पर ट्रकों से लोगों को कुचलकर कहर बरपा रहे हैं। अमेरिका का ताजा हमला अमेरिकी प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है। हालांकि अच्छी बात यह है कि हमलावर आतंकी को पुलिस ने भागने नहीं दिया बल्कि उसे अपनी सूझबूझ से गिरफ्तार कर लिया। उससे पूछताछ में पुलिस को अहम जानकारियां जुटाने में मदद मिलेगी। इस हमले से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आव्रजन नीति को समर्थन मिलेगा और अमेरिका आने-जाने वालों पर निगरानी कड़ी कर दी जाएगी।
इस सिलसिले में ट्रंप ने लाटरी वाला ग्र्रीन कार्ड खत्म करने का आदेश दे दिया है। लेकिन यहां गौरतलब बात यह भी है कि अमेरिकी समाज इस बार के हमले से जरा भी दहशत में नहीं आया। शहर के लोगों ने हेलोलवीन जश्न उत्साहपूर्वक मनाया और आतंकवाद का मुंह तोड़ जवाब दिया। फिर भी यह हमला राष्ट्रपति ट्रंप के लिए बड़ा झटका है। पिछले साल उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में अपना अभियान खासतौर पर आतंकवाद पर केन्द्रित किया था। बराक ओबामा प्रशासन पर नरम रूख अपनाने के आरोप लगाए थे। कहा था कि इससे अमेरिका असुरक्षित हो गया है। तब अमेरिका में गोलीबारी और विस्फोट की कई घटनाएं हुई थीं, जिन्हें ट्रंप ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अन्तरराष्ट्रीय आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश की थी। अब उनके शासनकाल में न्यूयार्क में एक ऐसी घटना हुई है जो आतंकवाद से जुड़ी है। अब ट्र्ंप ने घटना की निंदा करते हुए कहा है कि हम आईएस को मध्य पूर्व और अन्य जगहों पर हटाने के बाद उसे अपने देश में घुसने या लौटने नहीं देंगे। लेकिन घटना से पता चलता है कि इस्लामी आतंकवाद का अमेरिका में प्रवेश पहले ही हो गया है। ट्रंप प्रशासन पर आरोप है कि उसने आतंकवाद से लेकर तमाम अन्तरराष्ट्रीय चिंता के तमाम मुद्दों पर अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को कमजोर कर दिया है। अपनी अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत दूसरे देशों से गठबंधन बनाना उसकी प्राथमिकता नहीं है। मगर न्यूयार्क की आतंकी घटना बताती है कि सिर्फ अपनी रक्षा पर ध्यान देने की उसकी नीति कारगर साबित नहीं हो रही है। सवाल है कि ट्रंप प्रशासन न्यूयार्क की घटना के बाद अपनी नीति पर पुनर्विचार करेगा। यहां यह समझने की बात है कि आतंकवाद के खिलाफ जारी वैश्विक युद्ध में सफलता के लिए वैश्विक स्तर पर सामूहिक रणनीति बनानी होगी। सभी विकसित देशों को अपने संकीर्ण हित त्यागने होंगे।