रांची : झारखंड की राजधानी रांची में बड़े भू-भाग पर अतिक्रमण हो चुका है. जिसे जहां खाली जमीन मिलती है, मकान बना लेता है. सड़क किनारे दुकान है, तो उसे फुटपाथ के आगे सड़क तक बढ़ा लेता है. जमीन खरीदकर मकान बना लेते हैं, लेकिन पार्किंग की व्यवस्था नहीं करते. भले उनके पास कई गाड़ियां हों. उनके किरायेदारों के पास भी कई गाड़ियां हों. लोग खुद सड़कों पर दुकान और वाहन लगायेंगे. अपनी सहूलियत के लिए हर काम करेंगे, लेकिन जब सड़क पर निकलेंगे और समस्या होगी, तो शहर की बदहाली का तोहमत सरकार पर मढ़ देते हैं. यदि सरकार उस समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई पहल करेगी, तो उसके खिलाफ आंदोलन छेड़ देंगे.

मामला नागा बाबा खटाल से अतिक्रमण हटाने का हो या कांटाटोली में फ्लाई ओवर के निर्माण का. जब भी शासन ने कार्रवाई या व्यवस्था में सुधार करने की कोशिश की, हर बार एक संस्था बन गयी और स्थानीय लोगों को आगे करके उस योजना को रोकने का अभियान चला दिया. विकास योजनाओं को गरीब और आदिवासी विरोधी बताकर उसके खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया. झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भगवती प्रसाद ने मेन रोड की स्थिति देखकर कई बार सरकार को लताड़ लगायी. अतिक्रमण हटाने के लिए कहा. नगर निगम अतिक्रमण हटाने गया, तो आंदोलन. काफी मशक्कत के बाद अतिक्रमण हटाया गया, लेकिन कुछ ही दिनों बाद फिर वही स्थिति.

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