नई दिल्ली: राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने का एलान 11 या 19 दिसंबर को हो सकता है। ऐसे में लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं कि आखिर राहुल कैसें पार्टी की डुबती हुई नैय्या को पार लगाएंगे। हालांकि इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। खास करके पीएम नरेंद्र मोदी से जबरदस्त चुनावी मुकाबला देखने को मिल सकता है।

वरिष्ठ नेताओं को खुश रखना
राहुल गांधी के लिए पहली सबसे बड़ी चुनौती खुद की पार्टी में अपने ही वरिष्ठ नेताओं को खुश रखना है, जो शायद थोड़ा मुश्किल हो सकता है, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि सिर्फ दो ही नेता प्रेजिडेंट बन सकते हैं, मां और बेटा। इससे बाद यह संकेत मिलने लगे कि पार्टी के कई नेता ऐसे हैं जो राहुल को पार्टी की कमान नहीं देना चाहते हैं, ऐसे में उन लोगों को खुश रखना राहुल गांधी के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

नई सोच से पार्टी को नई ऊर्जा देना
राहुल गांधी की नई सोच पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि पुरानी पीढ़ी आज भी परंपरागत राजनीति से हटकर नहीं सोचती है। ऐसे में राहुल गांधी की नई सोच और नए लोगों को कुछ नया करने का मौका देना पार्टी को लाभ पहुंचा सकता है। हालांकि यह एक चुनौती भी है पुरानी परंपरागत को खत्म करने की। यहीं वजह है कि अभी तक इसका असर नहीं देखा गया है, लेकिन जानकारों की माने तो अगर राहुल इसी नई सोच और लगन के साथ पार्टी को चलाते हैं तो कांग्रेस के भविष्य की राह तैयार कर सकते हैं।

सोशल मीडिया पर दी दस्तक
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर भले ही देर से दस्तक दी है, लेकिन कम समय में ही उन्होंने सोशल मीडिया का अच्छा इस्तेमाल किया है और लोगों के बीच अपनी पैठ जमाई। इतना ही नहीं उन्होंने इसके जरिए अपने विरोधियों पर भी जमकर हमला बोला और पीएम मोदी की तरह कविताएं भी पेश की।

मोदी को उनके ही तरीके से मात देने में जुटे हैं राहुल
राहुल गांधी ने अपने भाषणों में ऐसे देसी शब्द इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जो आम लोगों और गली-गली तक पहुंचने लगी। वहीं अपने नए अवतार से उन्होंने कम समय में लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया, लेकिन अब भी बहुत कुछ करना बाकी है। वहीं कांग्रेस को दशकों पुरानी जाति और धर्म की चुनावी रणनीति ने काफी प्रभावित किया है। ऐसे में राहुल गांधी अपने विरोधी पीएम नरेंद्र मोदी को उनके ही तरीके से मात देने में जुट गए हैं। इसी के तहत उन्होंने मोदी सरकार को आर्थिक मुद्दों पर घेर और मंदिरों में दर्शन कर पार्टी की रणनीति में बदलाव का संकेत दिया। हालांकि अभी भी उन्होंने पीएम मोदी का मुकाबला करने के लिए काफी मेहनत करने की जरूरत है।

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