रांची। स्वराज स्वाभिमान यात्रा लेकर सरायकेला पहुंचे आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि सिर्फ सीएम और डीएम (डीसी) से राज्य नहीं चल सकता। सत्ता का विकेंद्रीकरण इमानदारी से करना होगा और उपर से नीचे तक जिम्मेदारी तय करनी होगी, ताकि गांवों के आम लोग सत्ता के हकदार बनें। झारखंड में सचिवालय और जिला मुख्यालय यही शासन के केंद्र बिंदु बने हैं, जबकि अंतिम पायदान पर खड़े लोग अपनी किस्मत पर जीने को विवश हैं।

आजसू केंद्रीय अध्यक्ष ने सरायकेला के राजनगर, चंगवा, मुनीडीह, लेटो, गेगरूड़ी, बाड़ेदा में ग्रामीणों के साथ राज्य के हालात पर सीधी बात की। उन्होंने कहा कि राजधानी रांची में विकास के दावे से भरे पड़े होर्डिंग गांव की गलियों और गरीबों के दरवाजे पर कहीं नहीं दिखता। इस राज्य में जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है और वैसी योजना तय करने में गांव पंचायतों की अहमियत की अनदेखी हो रही है। 32 साल बाद झारखंड में साल 2010 में पंचायत चुनाव हुए, तो इसकी उम्मीदें भी बढ़ीं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में आम आदमी की छवि दिखेगी और उसकी बात सुनी जायेगी। लेकिन पंचायतों के प्रतिनिधि ही गांव की सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हों, तो हालात को समझा जा सकता है।

सुदेश ने लोगों से कहा कि आम आदमी को मुंह खोलना पड़ेगा और मुंह पर अपने जन प्रतिनिधियों से हिसाब लेना पडेगा। राजनेताओं की पहचान कर तय करना होगा कि वे आपकी उम्मीद और आकांक्षा पर कितना खरा उतरता है। इसलिए कि अब राजनीति सिर्फ वोट और सत्ता के केंद्र में सिमटती जा रही है। चुनावों की आहट के साथ सरकार बनाने की गरज में समीकरण तय हो रहे हैं और तरह-तरह के अभियान चलाये जा रहे हैं, लेकिन मेरे अभियान में वोट की बात नहीं, सिस्टम और राजनीति की चाल बदलने के लिए चोट की बात शामिल है।

राजनीति का मतलब सत्ता और पावर होता है, इस रिवाज को आम आदमी पलट कर दिखा दे। इसी उद्देश्य से उन्होंने पांच हजार गांव जाने की मुहिम छेड़ी है। यह अभियान जरूर नया वातावरण बनायेगा। उन्हें पता है कि हर रात के अंधेरे के बाद नया सवेरा आता है। उन्होंने कहा कि राज्य में स्थायी सरकार हो, इसकी जरूरत भी चार साल पहले पूरी हुई, लेकिन सरकार, सिस्टम को दुरुस्त करने में सफल नहीं हो सकी। नौकरशाही की मर्जी और कृपा पर आम आदमी का हक और अधिकार टिका होता है। कार्यक्रम में डॉ देवशरण भगत, छवि महतो, झींगी हेंब्रम आदि शामिल थे।

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