रांची। झारखंड पुलिस के लिए पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के नक्सली परेशानी पैदा कर रहे हैं। भारी संख्या में छत्तीसगढ़ के नक्सली झारखंड पहुंचे हैं और अलग-अलग इलाकों में बंटकर विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि अब पुलिस के लिए प्रथम चरण की 13 सीटों पर होने वाले मतदान को निष्पक्ष कराना बड़ी चुनौती बन गयी है। पुलिस के खुफियातंत्र को इसकी भनक तक नहीं लगी कि पड़ोसी राज्य में बैठे नक्सली झारखंड चुनाव को हिंसक बनाने की तैयारी में हैं।
रणनीति के तहत क्रमवार नक्सलियों की खेप झारखंड में घुस आयी है। यही नक्सली जगह-जगह यहां सक्रिय नक्सलियों से मिलकर वोट बहिष्कार का पर्चा जारी कर रहे हैं। ग्रामीणों को वोट नहीं डालने की धमकी दे रहे हैं। हिंसक घटनाओं को भी अंजाम दे रहे हैं। झारखंड पुलिस का एक तबका यह मान बैठा था कि इस राज्य से नक्सलियों का सफाया कर दिया गया है। जो कुछ बचे भी हैं वे भारी पुलिस बल के सामने कुछ करने की स्थिति में नहीं हैं। शुक्रवार और शनिवार को पलामू, लातेहार में नक्सलियों ने जिस तरह से अपनी उपस्थिति दर्ज करायी, वह पूरे पुलिस प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है। इसका असर यह पड़ा कि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को यह सलाह दी जा रही है कि वह अति उग्रवादग्रस्त इलाकों में चुनाव प्रचार के लिए न जायें।
प्रथम चरण में जिन विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है, उसमें 30 नवंबर को चतरा, गुमला, बिशुनपुर, लोहरदगा, मनिका, लातेहार, पांकी, डालटनगंज, विश्रामपुर, छतरपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा और भवनाथपुर में वोट डाले जायेंगे। ये सभी सीटें घोर उग्रवादग्रस्त हैं। इन इलाकों में सीआरपीएफ, बीएसएफ और जिला बल के जवान तैनात कर दिये गये हैं। इन्हें निर्देश दिया गया है कि वह इलाकों में गस्त लगायें। चंदवा की घटना से सबक लेने को भी कहा गया है।
प्रत्याशियों को निर्देश दिया गया है कि वे भीड़ में न जायें। अगर कोई अपरिचित उनके नजदीक आता है तो बिना सोचे समझे उनसे न मिलें। जिस इलाकों में जायें वहां का स्थानीय व्यक्ति हर हाल में रहे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव लोहरदगा से चुनाव लड़ रहे हैं। शनिवार को उन्हें पेशरार जाना था। प्रशासन ने उन्हें वहां जाने की अनुमति नहीं दी। भाजपा प्रत्याशी सुखदेव भगत, आजसू की नीरू शांति भगत को भी यही सलाह दी गयी है। यही हाल गुमला, लातेहार और दूसरी जगहों की भी है।

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