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    Home»Top Story»स्टे नहीं, फैसले के दायरे में रहेगी प्रक्रिया
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    स्टे नहीं, फैसले के दायरे में रहेगी प्रक्रिया

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskNovember 7, 2020No Comments2 Mins Read
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    नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि झारखंड में पांच कोयला खदानों सहित 37 खदानों की इ-नीलामी उसके अंतिम आदेशों के दायरे में रहेगी। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने केंद्र से कहा कि वह बोली लगाने वालों को सूचित करे कि किसी प्रकार का लाभ अस्थायी होगा और यह शीर्ष अदालत के अंतिम आदेश के दायरे में होगा।
    केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि क्षेत्र में एक भी वृक्ष की कटाई नहीं होगी। न्यायालय ने चार नवंबर को यह आदेश देने का संकेत दिया था कि झारखंड में व्यावसायिक मकसद से इको-सेंसिटिव जोन के 50 किमी के दायरे में प्रस्तावित कोयला खदानों के आवंटन के लिए इ-नीलामी नहीं की जायेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सिर्फ यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जंगलों को नष्ट नहीं किया जाये। न्यायालय ने कहा कि वह विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने पर विचार कर रहा है, जो यह पता लगायेगी कि झारखंड में प्रस्तावित खनन स्थल के पास का इलाका पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है या नहीं। केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत की इस टिप्पणी का विरोध करते हुए कहा था कि इस तरह के इको-सेंसिटिव जोन से खदान स्थल 20 से 70 किमी की दूरी पर हैं और अगर यही पैमाना लागू किया गया, तो गोवा जैसे राज्यों में खनन असंभव हो जायेगा। पीठ का कहना था कि जंगलों की ओर देखने का सारा मसला ही गलत है। समस्या यह है कि आप लकड़ी की आर्थिक कीमत आंकते हैं, लेकिन आप वन की कोई आर्थिक कीमत नहीं मानते। हम देश के विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि इको सेंसिटिव जोन से 22 किमी की दूरी वनों से कितना नजदीक है। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि वह केंद्र के खिलाफ झारखंड के वाद में मुद्दे निर्धारित करने के लिए सूचीबद्ध करेगी और अगर पक्षकार सहमत हुए, तो वह गवाहों से पूछताछ करेगी और इस दौरान इ-नीलामी पर रोक रहेगी।

    No stay the process will be within the scope of the decision
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