कोटा। कोटा संभाग की कुल 17 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला है। सभी सीटों पर मतदाता पार्टी के साथ प्रत्याशी की छवि और कार्यशैली को भी परख रहे हैं। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक आम मतदाता साइलेंट हैं। दोनो पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्र जारी होने के बाद युवा, महिलायें, बेरोजगार, किसान, व्यापारी, कर्मचारी व गरीब वर्ग के मतदाता गांरटी की बजाय अपने क्षेत्र में विकास और योजनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। हालांकि संभाग की 6 सीटों पर दोनों पार्टियों के बागी प्रत्याशी होने से जातिगत समीकरण मुख्य दलों की एकतरफा जीत को प्रभावित कर सकते हैं।

हाडौती की प्रमुख सीट कोटा उत्तर से भाजपा के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल व कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल के बीच कांटे का मुकाबला है। इस सीट पर कुल 2.55 लाख मतदाताओं में से 55 हजार मुस्लिम होने से कांग्रेस जीत के प्रति आशान्वित है। यहां से 2008 व 2018 में कांग्रेस व 2013 में भाजपा विजयी रही। यूडीएच मंत्री धारीवाल अपने विकास कार्यों को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं, जबकि गुंजल के पास समर्पित कार्यकर्ताओं की टीम है। वे कृृत्रिम विकास में भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जनसभा में आम जनता ने रूचि नहीं दिखाई। अब 21 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोटा आ रहे हैं, आम शहरी मतदाता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व से खुश हैं इसलिये उनकी जनसभा जीत के लिये अंदरूनी करंट पैदा कर सकती है।

कोटा दक्षिण से भाजपा के दो बार विधायक रहे संदीप शर्मा व कांग्रेस की राखी गौतम फिर से आमने-सामने हैं। यहां 2.88 लाख मतदाताओं में से 1.19 लाख महिलायें हैं। पिछले 20 वर्षों से भाजपा के इस गढ में कांग्रेस को हार का सामना करना पडा है। इस बार राखी गौतम अपने मेलजोल से ब्राह्मण समाज के 25 हजार मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है। कोटा दक्षिण नगर निगम में कांग्रेस का बोर्ड होने से उन्हें जीत का पूरा भरोसा है। वहीं भाजपा बूथ मैनेजमेंट के बल पर अधिक वोटो से जीत के प्रति आश्वस्त है।

कोटा की तीसरी लाडपुरा सीट से भाजपा की पूर्व विधायक कल्पना देवी, कांग्रेस के नईमुद्दीन गुड्डू एवं भाजपा के बागी प्रत्याशी भवानीसिंह राजावत के बीच त्रिकोणीय संघर्ष है। राजावत यहां से तीन बार भाजपा विधायक रह चुके हैं। इस सीट पर कुल 2.90 लाख में से 1.40 लाख महिला मतदाता हैं, जिसका लाभ भाजपा प्रत्याशी को मिल सकता है। कांग्रेस प्रत्याशी को लगातार चार बार हारने के बावजूद टिकट देने से पार्टी में भीतरघात उनको नुकसान पहुंचा सकती है। यहां 35 गुर्जर, 18 हजार धाकड, 17 हजार राजपूत व 33 हजार मुस्लिम वोटर का ध्रुवीकरण हार जीत तय करेगा।

कोटा जिले की सांगोद सीट से भाजपा के पूर्व विधायक हीरालाल नागर व कांग्रेस के युवा प्रत्याशी भानुप्रताप सिंह के बीच सीधा मुकाबला है। वहीं रामगंजमंडी सीट से भाजपा के पूर्व मंत्री मदन दिलावर व कांग्रेस के नये प्रत्याशी महेंद्र राजौरिया मुख्य मुकाबले में हैं। इस सीट से कांग्रेस ने पूर्व विधायक रामगोपाल बैरवा को टिकट नहीं दिया, जिससे वे भाजपा में शामिल हो गये हैं। इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा। जिले की पीपल्दा सीट से दो नये चेहरे भाजपा के प्रेमचंद गोचर व कांग्रेस के युवा चेतन पटेल के बीच सीधी टक्कर होगी।

वसुंधरा के गढ़ को भेदना मुश्किल
झालावाड़ जिले की 4 सीटों में झालरापाटन से भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी लोकप्रियता से वर्चस्व बनाये हुये हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के रामलाल चौहान से है। इस सीट पर कांग्रेस के अनुभवी नेताओं को प्रत्याशी नहीं बनाये जाने से पार्टी को आंतरिक विरोध का सामना करना पड रहा है। अपनी जीत के प्रति आश्वस्त राजे प्रदेश में अन्य भाजपा प्रत्याशियों के लिये भी धुंआधार प्रचार कर रही हैं।

डग सीट से भाजपा के कालूराम मेघवाल व कांग्रेस के चेतराज गहलोत आमने-सामने हैं, यहां भाजपा के पूर्व विधायक रामचंद्र सुनारीवाल निर्दलीय प्रत्याशी बनकर पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मनोहरथाना सीट से भाजपा के गोविंद रानीपुरिया व कांग्रेस के नेमीचंद मीणा मैदान में हैं। यहां कांग्रेस के पूर्व विधायक कैलाश मीणा निर्दलीय प्रत्याशी होने से जातिगत समीकरण बिगाडकर कांग्रेस को नुकसान पहंुचायेंगे। खानपुर से भाजपा के पूर्व विधायक नरेंद्र नागर व कांग्रेस के सुरेश गुर्जर दोनो के बीच सीधा मुकाबला है।

बूंदी जिले की 3 सीटों में बूंदी से भाजपा के पूर्व विधायक अशोक डोगरा व कांग्रेस के पूर्व मंत्री हरिमोहन शमा के साथ भाजपा के बागी युवा प्रत्याशी रूपेश शर्मा निर्दलीय चुनाव लड रहे हैं। वे ब्राह्मण समाज को साथ लेकर भाजपा को नुकसान सकते हैं। हिंडौली मे कांग्रेस के मंत्री अशोक चांदना का मुकाबला इस बार भाजपा के पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी से होगा। जातिगत समीकरण के चलते सैनी अच्छी टक्कर देने की स्थिति में हैं। केशवरायपाटन से भाजपा की चंद्रकांता मेघवाल व कांग्रेस के सीएल प्रेमी फिर से आमने-सामने हैं। लेकिन यहां कांग्रेस के बागी प्रत्याशी राकेश बोयत निर्दलीय होने कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।

बारां जिले की 3 सीटों में बारां-अटरू से कांग्रेस विधायक पानाचंद मेघवाल व भाजपा के राधेश्याम बैरवा के बीच सीधी लडाई है। मंत्री प्रमोद जैन भाया का गृहनगर होने से यहां कांग्रेस प्रत्याशी मजबूत स्थिति में हैं। अंता सीट से कांग्रेस के मंत्री प्रमोद जैन भाया एवं भाजपा के कंवरलाल मीणा के बीच मुकाबला हैं। यहां सभी 36 कौमों को साथ लेकर विकास के मुद्दे पर चुनाव लड रहे प्रमोद जैन भाया को भाजपा के बाहरी प्रत्याशी से बडी चुनौती नहीं मिल रही है। छबडा से भाजपा के प्रतापसिंह सिंघवी व कांग्रेस के करणसिंह के अलावा कांग्रेस के बागी प्रत्याशी नरेश मीणा जातिगत वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं। भाजपा के बागी प्रत्याशी उपेंद्र शर्मा भी मैदान में हैं। किशनगंज सीट से भाजपा के पूर्व विधायक ललित मीणा व कांग्रेस की पूर्व विधायक निर्मला सहरिया के बीच सीधा व रोचक मुकाबला रहेगा। यह सहरिया आदिवासी बहुत क्षेत्र होने से प्रत्याशी की छवि भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।

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