खूंटी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी सुरंग (टनल) में फंसे 41 मजदूरों में 15 मजदूर झारखंड के हैं। खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड के तीन मजदूर भी उसी सुरंग में पिछले 15 दिनों से को फंसे हुए हैं। इनके परिजनों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। उनके सब्र का बांध अब टूटने लगा है।

कर्रा प्रखंड के डुमारी के रहने वाले उत्तरकाशी के टनल में फंसे 35 वर्षीय चमरा उरांव की मां बुधनी उरांव ने कहा कि घर की माली हालत ठीक नहीं है। चमरा की एक बेटा व तीन बेटी है। इसके अलावा उसकी चार बहने भी थीं, जिनकी शादी हो चुकी है। जून में चमरा ने अपनी सबसे छोटी बहन की शादी की थी। इसके कारण वह कर्ज में फंस गया है। जिनसे उसने पैसे लिये थे, वे हर दिन पैसा वापस करने को कहते थे।

खेती-बारी से कर्ज चुकाना संभव नहीं हो पा रहा था। यही कारण है कि वह गुमड़ू गांव के विजय होरो सहित अन्य लोगों के साथ सुरंग में काम करने के लिए गत 20 सितंबर को उत्तराखंड चला गया। चमरा की पत्नी रेखा देवी सहित उनके छोटे छोटे बच्चे महावीर उरांव (9), नागी उरांव (7) असरिता उरांव (5) और सबसे छोटी बेटी दो वर्ष की नमेली उरांव चमरा के सकुशल लौट आने की प्रार्थना कर रहे हैं।

गुमड़ू गांव के अर्जुन मुंडा का बेटा भीह फंसा टनल में
गुमडु निवासी विजय होरो के बुजुर्ग पिता अर्जुन मुंडा ने कहा कि बेटे के बिना कुछ खाने-पीने का मन नहीं करता। मन दिन भर एक ही खबर सुनने को बेचैन रहता है कि बेटा टनल से निकल गया है। अब तो सिर्फ एक ही सहारा है ऊपर वाले का। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, बेचैनी बढ़ती जा रही है।

उन्होंने कहा कि सुनने में आया था कि गुरुवार को सुबह टनल से सभी बाहर आ जाऐंगे लेकिन फिर सुना कि वे सुरंग के अंदर ही हैं। विजय की पत्नी सनरती होरो अपनी गोद मे सात माह के बेटे को लिए सिसक सिसक कर कह रही थी कि दिल बहुत बेचैन है। सब्र की भी सीमा होती है। अब सब्र का बांध टूटने लगा है कि न जाने क्या होगा। उन्होंने कहा कि ऊपर वाला मेरे साथ है।

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