रांची। लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर भाजपा सर्वे करा रही है। सर्वे का काम एक निश्चित अंतराल पर हो रहा है। अगले महीने पांच राज्यों के चुनाव पूरे हो जाने के बाद लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जायेगा। राज्यों की चुनाव समिति की अनुशंसाओं के बाद पार्टी का पार्लियामेंट्री बोर्ड उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगायेगा। झारखंड की 14 लोकसभा सीट के लिए चुनाव जीतने में कौन उम्मीदवार जनता और भाजपा कार्यकर्ताओं की नजर में सबसे योग्य हो सकता है, इसे लेकर सर्वे कराया जा रहा है। सर्वेक्षण में संभावित उम्मीदवारों के नामों को लेकर यह पता करवाया जा रहा है कि किसकी जनता तक नियमित पहुंच है। कौन उम्मीदवार क्षेत्र में कितना सक्रिय है। भाजपा के वर्तमान लोकसभा प्रतिनिधियों के कामकाज, आमलोगों के बीच उनकी पकड़, समस्याओं को लेकर उनकी संजीदगी, उनके निराकरण की दिशा में उनके प्रयास, कार्यकर्ताओं के साथ उनका व्यवहार, क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता और संगठन के प्रति उनकी निष्ठा को लेकर आंकड़े जुटाये गये हैं।

वर्तमान सांसदों के उनके कार्यकाल की हर दृष्टिकोण से स्कैनिंग हो रही है। हर लोकसभा क्षेत्र में संभावित उम्मीदवारों की पूरी कुंडली तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जा रही है। केंद्रीय नेतृत्व के अधीन भाजपा की एक कोर टीम हर सर्वे रिपोर्ट की समीक्षा और विश्लेषण करती है और आलाकमान के पास इसे सौंपती है।

कुछ नये चेहरे भी सामने आ सकते हैं

भाजपा की 14 लोकसभा में से कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के नये चेहरे दिखाई दे सकते हैं। जिन सीटों पर भाजपा पिछला चुनाव नहीं जीत पायी है, पश्चिमी सिहंभूम और राजमहल से पार्टी के नये चेहरे सामने आ सकते हैं। कुछ उम्मीदवार बढ़ती उम्र के कारण दोबारा चुनाव मैदान में नहीं उतारे जायें, उनकी जगह पर भी नये चेहरे सामने आ सकते हैं। वैसे सांसद जिनका अब तक का कामकाज बहुत अच्छा, अच्छा या बहुत संतोषजनक रहा, उनको छोड़ कर शेष सांसदों के बारे में भी पार्टी उनकी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कोई भी फैसला ले सकती है।
हर मापदंड पर कसे जा रहे सांसद

भाजपा आलाकमान ने झारखंड के सभी सांसदों (केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल सांसद समेत) को कई टास्क दिये हैं। इससे उनके कार्यों की समीक्षा हो रही है। यह उम्मीदवारी का पैरामीटर होगा।

● क्या है निर्देश- क्षेत्रों का दौरा कर तय डेडलाइन में काम पूरा करें।

● लोगों के संपर्क में रहें। जनता की समस्याओं को सुनें।

● निर्देशों का असर- सांसदों के टास्क का केंद्रीय नेतृत्व विश्लेषण करता है।

● उनकी कार्यक्षमता, तत्परता, जनता-पार्टी के प्रति समर्पण की जांच होती है।

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