रांची। झारखंड की सभी 81 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में शांतिपूर्ण तरीके से मतदान संपन्न हो गया। घोर नक्सल प्रभाव वाले इलाकों में नक्सलियों ने पोस्टर चिपकाकर वोट बहिष्कार का आह्वान किया था, लेकिन इस बार उन इलाकों में भी शांतिपूर्ण मतदान हुआ। लोगों ने निर्भीक होकर मतदान किया। सुरक्षाबलों द्वारा लगातार चलाये गये अभियान की वजह से इस बार नक्सली विधानसभा चुनाव में पोस्टरबाजी तक ही सिमटे रहे। भाकपा माओवादी सहित अन्य नक्सली संगठन भी किसी तरह की हिंसक घटना को अंजाम देने में सफल नहीं हो पाये।
नक्सलियों की धमकी का नहीं दिखा असर
इस बार के विधानसभा चुनाव में नक्सली पोस्टरबाजी तक ही सीमित रह गये। वे किसी भी बड़ी घटना को अंजाम देने में सफल नहीं हो पाये। 15 नवंबर की शाम भाकपा माओवादियों ने बोकारो जिले के नारायणपुर और नावाडीह थाना क्षेत्र के पलामू व सारुबेड़ा में पोस्टर लगाकर वोट बहिष्कार का अह्वान किया था। इससे पहले पश्चिमी सिंहभूम जिले (चाइबासा) के छोटानागरा थाना क्षेत्र में भाकपा माओवादियों ने 13 नवंबर को पहले चरण के मतदान के दिन पोस्टरबाजी करने के साथ-साथ पेड़ काटकर सड़क पर गिरा दिया था। इसके बावजूद मतदाताओं के उत्साह में कोई कमी नहीं आयी। लोगों ने बिना किसी डर के मतदान किया।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जमकर हुआ मतदान
चाइबासा का टोंटो इलाका माओवादियों के प्रभाव में है। टोंटो में सभी प्रमुख माओवादी अभी कैंप कर रहे हैं, लेकिन नक्सलियों के प्रभाव से मुक्ति की राह देख रहे ग्रामीणों ने यहां भी जमकर मतदान किया। इसके अलावा लातेहार, पलामू, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, रांची व गिरिडीह जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में भी उत्साहजनक वोटिंग हुई। पत्थलगड़ी प्रभावित खूंटकटी गांवों में भी 2019 में जहां वोट का बहिष्कार हुआ था, वहां भी लोगों ने जमकर वोट डाले। चतरा के टीपीसी प्रभावित इलाकों में मतदान का प्रतिशत ठीक-ठाक रहा। संथाल परगना के दुमका के शिकारीपाड़ा का इलाका माओवादियों के लिहाज से चुनौतीपूर्ण होता था, लेकिन यहां भी अब माओवाद की कोई आहट नहीं रही।
दस साल पहले चुनाव में हुई थी नक्सली हिंसा
झारखंड पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2014 के चुनाव में सर्वाधिक नक्सल हिंसक वारदातें हुई थीं। 24 अप्रैल 2014 को दुमका से मतदान संपन्न कराकर लौट रहे चुनावकर्मियों पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था। इसमें पांच पुलिसकर्मी समेत आठ लोग मारे गये थे। इस चुनाव में ये सबसे बड़ी नक्सली घटना थी। साल 2014 में कुल 13 नक्सली घटनाएं राज्यभर में हुई थीं। उस साल चुनाव में विस्फोट की चार, पुलिस मुठभेड़ की पांच, पुलिस पर आक्रमण की एक, मिसचीफ की दो व मारपीट की एक घटना हुई थी। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में 10 नक्सल वारदातें हुई थीं। इनमें चार पुलिस मुठभेड़, एक पुलिस आक्रमण व पांच आगजनी की वारदातें शामिल हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में माओवादियों ने पलामू और खरसावां में भाजपा के कार्यालय को उड़ा दिया था। जबकि चुनाव में लातेहार जिले के चंदवा में पीसीआर वैन पर हमला कर नक्सलियों ने चार पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था।