वही तेवर, वही अंदाज, यही है हमारा नेता, धरतीपुत्र
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…ये देखो शिबू सोरेन
झारखंड की जनता ने अपना नेता चुन लिया है। उसने एक बार फिर दिशोम गुरु शिबू सोरेन की परछाईं हेमंत सोरेन पर भरोसा जताया है। वही दाढ़ी, वही गेट अप, वही तेवर, हूबहू शिबू सोरेन। जब हेमंत सोरेन यंग शिबू सोरेन के अवतार में चुनाव मैदान में उतरे, तो राज्य की जनता ने उन्हें पहले से भी ज्यादा प्यार और आशीर्वाद दिया। चुनाव प्रचार के दौरान लोग तो यहां तक कह रहे थे कि ये देखो, ‘शिबू सोरेन’। क्या कमाल का चुनाव लड़ा हेमंत सोरेन ने। गजब का धैर्य, गजब का अनुशासन, गजब की रणनीति और गजब का जनता से कनेक्शन। हेमंत सोरेन का जनता में क्रेज देखते बन रहा था। जेल से निकलने के बाद हेमंत सोरेन ने गांठ बांध ली थी कि वह भाजपा के चक्रव्यूह को जब तक भेदेंगे नहीं, तब तक चैन से बैठेंगे नहीं। हेमंत सोरेन ने पिता शिबू सोरेन और मां रुपी सोरेन का आशीर्वाद लिया और निकल गये मैदान में। वही अंदाज, वही तेज, ये नये हेमंत सोरेन थे। परिपक्व और संतुलित। हेमंत सोरेन जनता के बीच यह साबित करने में सफल रहे कि वह ही आदिवासियों के सबसे बड़े नेता हैं। उन्होंने झारखंड में आदिवासी-मूलवासी का मुद्दा उठाया और खुद को धरतीपुत्र बताया, जिसे जनता ने भी स्वीकारा। जब हेमंत सोरेन जेल से बाहर निकले तब एक पल तो ऐसा लगा कि झारखंड आंदोलन के अपने दिनों के दिशोम गुरु शिबू सोरेन हैं।

एक दृष्य जिसने झारखंड के आदिवासियों को झकझोर दिया:
ये हेमंत अब बदले हुए हेमंत थे। जब हेमंत अपने परिवार के लोगों से मिले और जिस प्रकार से उनकी माता ने उन्हें गले लगाया। उनके आंसू निकले, झारखंड की जनता यह दृश्य नहीं भूल पायी। हेमंत ने शिबू सोरेन के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। अपने बच्चों को गले लगाया। अपनी जीवन संगिनी जिन्होंने चट्टान की तरह हेमंत सोरेन का साथ दिया, उनकी आंखें कल्पना पर गर्व कर रहीं थीं। इन दृश्यों ने झारखंड के आदिवासियों को एक कर दिया। उन्हें लगा कि यह उनके परिवार का ही दृश्य है। आदिवासियों ने फैसला कर लिया कि उन्हें करना क्या है।

जेल यात्रा को आदिवासी असमिता से जोड़ा:
हेमंत ने अपनी जेल यात्रा को झारखंड और आदिवासी अस्मिता से जोड़ा। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने कहा था कि मुझे झूठे आरोपों में 5 महीने जेल के अंदर रखा। झारखंड के लोगों के लिए 5 महीने बहुत कठिन थे। सुनियोजित तरीके से लोगों की आवाज दबायी जा रही है। मैं फिर अपने राज्य की जनता के बीच हूं। जो संकल्प हमने लिया है, उसे हम मुकाम तक ले जाने का काम करेंगे। उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ कैसे षड्यंत्र रचा गया। बस फिर क्या था जनता ने भी हेमंत सोरेन का पूरा साथ दिया। खासकर आदिवासियों ने इसे अपनी अस्मिता से जोड़ा। हेमंत सोरेन ने कहा था कि ‘भाजपा वाले आदिवासियों को मूर्ख समझते हैं। मेरे साथ चूहा-बिल्ली का खेल खेला गया। जिस दिन से झारखंड में जेएमएम की सरकार बनी, अगले दिन से उसे गिराने की कोशिश शुरू हो गयी। खबरें चलायीं गयीं कि हेमंत जेल जायेंगे। मुझे जेल भेज भी दिया। अब क्या फांसी पर लटका देंगे। जितना खून आदिवासियों की धरती पर बहेगा, यहां उतने ही वीर सपूत पैदा होंगे।’ इस एक बयान से उन्होंने दो एजेंडे सेट कर दिये। पहला आदिवासी वोट और दूसरा सिंपैथी कार्ड।

मंईयां ने हेमंत-कल्पना को दिल खोल कर दिया आशीर्वाद:
हेमंत सोरेन जेल से निकलने के बाद जन कल्याण की योजनाओं को धरातल पर उतारने में जुट गये। एक के बाद एक जन कल्याण की योजनाओं का पिटरा खोल दिया। हेमंत ने एक ऐसी योजना धरातल पर उतार दी, जिसने झारखंड में अलग ही लहर पैदा कर दी। वह है, मंईयां सम्मान योजना। इस योजना ने प्रदेश की महिलाओं को नयी ताकत दे डाली। सशक्त बनने की। आत्मनिर्भर बनने की। फिर क्या था मंईयां ने हेमंत-कल्पना को ऐसा आशीर्वाद दिया की रिकॉर्ड स्थापित हो गया। इस योजना की काट भाजपा के पास नहीं थी। जब तक भाजपा जगी तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उधर, 200 यूनिट तक बिजली बिल में छूट भी रौशन कर गयी गरीबों की दहलीज। नतीजतन रौशन हुआ झामुमो गठबंधन।

कल्पना महिलाओं के लिए आदर्श, पति के लिए बन गयीं चट्टान:
दिशोम गुरु शिबू सोरेन की बहु ही नहीं हैं, उनके जैसी फाइटर भी हैं:
हेमंत सोरेन के लक्ष्य को हासिल करने में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने पूरा साथ दिया। जब हेमंत सोरेन जेल में थे, तब वह कल्पना ही थीं, जिन्होंने पार्टी को संभाला। नयी ऊर्जा का संचार किया। आंसू से शुरू हुआ सफर, मजबूत इरादों में तब्दील हुआ। कल्पना सोरेन ने झारखंड की राजनीति को नयी दिशा दे डाली। जैसे-जैसे उनकी वाणी में धार आती गयी, जनता उनके पीछे-पीछे होती चली गयी। जनता ने कल्पना को अपना परिवार का माना। खासकर महिलाओं ने कल्पना की आंसुओं और दर्द को समझा और कल्पना की ताकत बन गयीं। कल्पना सोरेन ने जेएमएम के साथ-साथ खुद को भी स्थापित किया और साबित किया कि वह सिर्फ दिशोम गुरु शिबू सोरेन की बहु ही नहीं हैं, उनके जैसी फाइटर भी हैं।

विपक्षी भी मानने लगे लोहा:
अपने पति के लिए कैसे एक पत्नी को खड़ा रहना चाहिए उन्होंने साबित कर के दिखाया। कल्पना सोरेन का लोहा विपक्ष के लोग भी मानने लगे। लोकसभा के चुनाव में जेएमएम ने शानदार प्रदर्शन किया। इस दौरान सबसे बड़ी बात यह रही कि जेएमएम गठबंधन ने भी कल्पना सोरेन का भरपूर साथ दिया। अब विधानसभा चुनाव का परिणाम सबके सामने है। राज्य की 81 विधानसभा सीटों में जेएमएम गठबंधन को 56 सीटें मिली, वहीं भाजपा गठबंधन 24 सीटों पर सिमट गयी। सबसे ज्यादा 34 सीटें झामुमो को मिली हैं, भाजपा को 21 और कांग्रेस को 16 सीटें हासिल हुई। यह जेएमएम का अब तक का सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस है। क्योंकि इस बार हेमंत सोरेन अकेले नहीं थे, वह दो थे। यानी कल्पना सोरेन भी उनके साथ थीं। भाजपा की तरफ से हेमंत-कल्पना को क्या नहीं कहा गया। बंटी-बबली, पति-पत्नी की पार्टी। कल्पना सोरेन को हेलीकाप्टर मैडम भी कहा गया। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने कल्पना को बाहरी बताने के लिए हेलिकॉप्टर मैडम का जुमला इस्तेमाल किया। लेकिन विपक्ष को इसका लाभ नहीं मिला और जनता ने कल्पना को अपना समर्थन दिया। जनता ने कल्पना को अपने दिल में जगह दे डाली। इस बार विधानसभा चुनाव में कल्पना ने रिकॉर्ड 93 रैलियां की।

जेएमएम नया जेएमएम बन कर उभरा:
कल्पना सोरेन ने पार्टी में ऐसा जोश भरा कि जेएमएम नया जेएमएम बन कर उभरा। जहां पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने अपना समर्थन दिया। महिलाओं को कल्पना में अपना आदर्श दिखने लगा। कल्पना सोरेन हर दिन 4 से 7 जनसभाओं को संबोधित करती थीं। अपनी रैलियों में वह जनता को खुद से जोड़ने में कामयाब हुईं और जिस जोशीले अंदाज में वह भाषण देतीं वह देखते ही बनता। ऐसा कोई मिला नहीं जिसने उनके भाषण की शैली की तारीफ नहीं की हो। कल्पना सोरेन की सभाओं में इतनी भीड़ होती कि मानों लोग अपना फैसला सुनाने पहुंचे हों। मीडिया के सामने भी कल्पना बेबाक तरीके से अपनी बातों को रखतीं। जहां कहीं भी वह डगमगातीं, वह निश्छल भाव से स्वीकारतीं भी कि इस विषय के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। कल्पना की सबसे बड़ी ताकत ही उनकी निश्चलता है, जिससे जनता का जुड़ाव मजबूत होता जा रहा है। हेमंत सोरेन ने सही ही कहा कि इस चुनाव में वह एक नहीं दो थे, तभी उन्होंने इतना बेहतरीन प्रदर्शन किया।

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