रांची: पीएलएफआइ के सब-जोनल कमांडर ललित बड़ाइक ने मंगलवार को रांची के कोतवाली थाने में इंस्पेक्टर एसएन मंडल और डीएसपी भोला प्रसाद सिंह के समक्ष सरेंडर किया। इसके खिलाफ सिमडेगा में 13 मामले दर्ज हैं। उसे वर्ष 2006 में सिमडेगा भाजपा के जिला अध्यक्ष विशंभर सिंह के हत्या के झूठे केस में फंसाकर जेल भेज दिया गया था। जेल से बाहर निकलने के बाद से वह पीएलएफआइ से जुड़ गया। उसकी मां ईश्वरीय देवी, पत्नी ममता और डेढ़ वर्ष का एक बच्चा भी उसके साथ थाना पहुंचे थे। उसपर सरकार की ओर से 2 लाख का इनाम भी घोषित था। सरकार की सरेंडर नीति से प्रभावित होकर उसने सरेंडर किया है।
25 दस्ता सदस्यों के साथ चलता था
पीएलएफआइ का सब-जोनल कमांडर ललित कुमार बड़ाइक वर्ष 2006 में संगठन से जुड़ा। इसके बाद चार वर्ष तक वह संगठन के लिए लगातार काम करता रहा। ललित ने बताया संगठन के सुप्रीमो दिनेश गोप ने उसे सब-जोनल कमांडर बना दिया। उसके दस्ते में 25 लोग रहते थे। वह खुद एके 47 लेकर चलता था। उसने अपना हथियार एके 47 एरिया कमांडर मंगरा को संगठन छोड़ने से पहले सौंप दिया था। ललित ने बताया कि संगठन में लेवी का पैसा आता है। लेकिन इसमें से 30 प्रतिशत संगठन चलाने के लिए खर्च करने का नियम है। जबकि 70 प्रतिशत संगठन के शीर्ष लोगों के पास चला जाता है। संगठन के सुप्रीमो दिनेश गोप से वह एक माह में एक बार मिलता था। सरकार की सरेंडर नीति से प्रभावित होकर उसने सरेंडर किया है। उसे सरकार और प्रशासन से न्याय चाहिए। वह सरकार के द्वारा चलाये जा रहे विकास कार्यों में अपना योगदान देने को भी तैयार है।