रांची: मोरहाबादी मैदान में पूर्वोत्तर राज्यों और झारखंड की संस्कृति का अनोखा संगम नजर आ रहा है। पूर्वोत्तर राज्यों और झारखंड के कलाकार अपनी संस्कृति को आपस में बांट रहे हैं। रविवार को सिक्किम के संगिनी नृत्य के साथ मेले का रंगारंग आगाज हुआ। नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर विधिवत 5 दिवसीय पूर्वोत्तर मेला आक्टेव का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जिसकी विभिन्नता में एकता है। यहां के प्रत्येक राज्य की कला एवं संस्कृति अलग-अलग है, पर जो पारंपरिक मान्यताएं हैं, वे इन सारे राज्यों को आपस में जोड़ने का काम करती हैं। उन्होंने पूर्वोत्तर के 8 राज्यों के कलाकारों और प्रतिनिधियों को अपनी संस्कृति को झारखंड में लाने के लिए धन्यवाद दिया। उद्घाटन समारोह में विधायक जीतू चरण राम, पर्यटन सचिव राहुल शर्मा, संस्कृति निदेशालय के निदेशक अशोक कुमार सिंह, पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता के अध्यक्ष डॉ ओमप्रकाश भारती, संत जेवियर्स कॉलेज के प्रोफेसर आकाश भारती, डॉ कमल घोष, कलाकार मुकुंद नायक, सुशील अंकन और संतोष आमत्य समेत कई लोग मौजूद थे।

पूर्वोत्तर भारत और झारखंड के 600 कलाकार आपस में बांट रहे संस्कृति
4 से 8 दिसंबर तक आयोजित इस मेले में पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के 600 कलाकार और झारखंड के विभिन्न जिलों से 600 कलाकार अपनी सभ्यता और संस्कृति को आपस में बांट रहे हैं। मेले में स्टॉल लगाकर इन आठ राज्यों के खान-पान और शिल्पकला का भी प्रदर्शन किया गया है। पूर्वोत्तर मेला प्रतिदिन सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक आम लोगों के लिए नि:शुल्क खुला रहेगा। हर दिन शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक मुख्य मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति होगी। महोत्सव के प्रांगण में सांस्कृतिक संवाद के लिए अखड़ा मंच का निर्माण किया गया है, जहां पूर्वोत्तर भारत और झारखंड के कलाकारों के बीच वैचारिक आदान-प्रदान किया जायेगा।

कलाकारों ने नृत्य-संगीत से बांधा शमां
रविवार को पूर्वोत्तर मेला के उद्घाटन के मौके पर सिक्किम के कलाकारों ने संगिनी नृत्य की प्रस्तुति देकर मोरहाबादी मैदान में मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मणिपुर के कलाकारों ने रास, असम के कलाकारों ने सत्रिया और कत्थक की जुगलबंदी, बिहू नृत्य, लालिलुंग नृत्य और तिवा नृत्य का प्रदर्शन किया। अरुणाचल प्रदेश की टीम ने गुनटेला गंगमाकरसा नृत्य, मिजोरम ने चेराव नृत्य और त्रिपुरा की टीम ने होजागिरि नृत्य पेश कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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