झारखंड में पेट्रोल-डीजल पर पड़ोसी राज्य से वैट दर ज्यादा होने के कारण पिछले दो वर्षों से पेट्रोल पंप व्यवसायी परेशान हैं. वहीं केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल में 5 प्रतिशत वैट दर घटाने के अनुरोध को भी अब तक रघुवर सरकार अमल में नहीं लाई है.
नतीजतन झारखंड के 1125 पेट्रोल पंपो में से करीब 600 पेट्रोल पंप बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं. ऐसे में पंप कर्मचारियों को वेतन भी देना मुश्किल हो रहा है.
बता दें कि धनबाद से गुजरने वाली कोलकाता-बनारस को जोड़ने वाली जीटी रोड एनएच 2 से यूपी और पश्चिम बंगाल से गुजरने वाली ट्रक झारखंड में डीजल नहीं भरवाती हैं. कारण यह है कि यूपी और पश्चिम बंगाल में वैट दर कम होने के कारण डीजल सस्ता है.
नतीजा झारखंड में कोई ट्रक चालक या मालिक डीजल नहीं भरवाना चाहता है. ऐसे में एनएच और स्टेट हाईवे के किनारे स्थित झारखंड के 600 पेट्रोल पंप बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं. उनकी बिक्री में काफी गिरावट आई है.सरकार ने साल 2015 में पेट्रोल डीजल पर वैट दर बढ़ाकर 18 प्रतिशत को 22 प्रतिशत कर दिया था. तब से इनका बुरा हाल है. सरकार महज कुछ राजस्व के चक्कर में पेट्रोल पंप व्यवसाय को अपने हाल पर छोड़ दिया है जबकि वैट दर कम रहने पर खपत अधिक होती तो पंप व्यवसायियों को भी लाभ मिलता और आम जनता को राहत भी मिलती.
झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने भी इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास से कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. ऐसे में अब इनके पास आंदोलन करने के सिवाय दूसरा कोई चारा नहीं बचा है.
गौरतलब है कि झारखंड में पेट्रोल डीजल पर वैट दर ज्यादा होने का खामियाजा पंप व्यवसायियों के साथ आम उपभोक्ताओं को भी उठानी पड़ रही है. इस वक्त बंगाल में डीजल करीब एक रुपए सस्ता है जबकि यूपी में ढाई से तीन रुपए सस्ता है.
वहीं मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी रघुवर सरकार की नीति और नियत पर सवाल उठाया है. यहां तक कि केंद्र सरकार द्वारा 5 प्रतिशत वैट दर घटाने के आग्रह पर गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश ने अपने यहां दर घटा दिया, लेकन बीजेपी शासित झारखंड सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की.