रांची। गढ़वा के मझिआंव स्थित सरकारी आवासीय स्कूल की बच्ची के मां बनने के बाद चाइल्ड वेलफेयर कमिटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उससे यह बात साफ हो जाती है कि उस स्कूल में अनैतिक काम होता है। सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में उल्लिखित तथ्यों को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है और पूरे मामले की जांच के आदेश दिये हैं। लेकिन लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि इस जांच का नतीजा आने में इतनी देरी क्यों हो रही है।

क्या है मामला
मझिआंव के उक्त स्कूल की एक छात्रा ने 27 जून को एक बच्चे को जन्म दिया। उसने यह जानकारी सीडब्ल्यूसी की टीम को दी। इस जानकारी के आधार पर सीडब्ल्यूसी की टीम ने स्कूल की दूसरी छात्राओं से बातचीत की और जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्कूल की बच्चियों को शाम को बाहर ले जाया जाता था और सुबह वापस पहुंचा दिया जाता था। इस रिपोर्ट के बाद स्कूल में सेक्स रैकेट चलने का संदेह व्यक्त किया जाने लगा है। इसके साथ ही तमाम सरकारी बालिका आवासीय विद्यालयों की व्यवस्था पर भी संदेह की अंगुलियां उठने लगी हैं।

सिविल सर्जन की रिपोर्ट
मामले में सबसे पहले सिविल सर्जन ने जांच की। उन्होंने साफ कर दिया है कि 27 जून को अस्पताल में किसी छात्रा ने किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया, बल्कि उस अस्पताल की एक नर्स ने बच्चे को जन्म दिया।

डीसी, एसपी और सीडब्ल्यूसी ने शुरू की जांच
मामले के सामने आने के बाद गढ़वा डीसी ने चार बीडीओ और एक सीओ की टीम बना कर जांच का आदेश दिया है। इधर एसपी ने डीएसपी के नेतृत्व में एक टीम बना क्रर मामले की जांच शुरू की है। इधर सीडब्ल्यूसी ने भी पांच सदस्यीय टीम को पूरे मामले की जांच करने को कहा है। इसके अलावा यूनीसेफ की टीम भी शुक्रवार को गढ़वा पहुंच गयी है। अब सवाल यह उठता है कि इतनी सारी एजेंसियां क्या जांच कर रही हैं। यदि उनकी जांच का केंद्र स्कूल में सेक्स रैकेट है, तो इसका खुलासा होने में इतनी देरी क्यों हो रही है। छात्रा के मां बनने की बात की जांच तो महज कुछ घंटे में ही की जा सकती है।
इस मामले की जांच का नतीजा आने में जितनी देरी होगी, व्यवस्था के प्रति लोगों का संदेह उतना ही गहरा होता जायेगा। इसलिए प्रशासन को इस मामले का खुलासा तत्काल करना चाहिए, ताकि दूसरे संस्थानों की गतिविधियों पर उठ रहे संदेह को दूर किया जा सके।

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