रांची। माओवादियों के शीर्ष कमांडर रामन्ना की मौत हो गयी है। माओवादियों के प्रवक्ता विकल्प ने इसकी पुष्टि की है। रामन्ना पर 1.37 करोड़ का इनाम था। झारखंड में वह 12 लाख का इनामी था। इसके अलावा महाराष्टÑ सरकार ने 60 लाख, छत्तीसगढ़ ने 40 लाख और तेलंगाना सरकार ने 25 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। विकल्प के अनुसार रामन्ना की मौत छत्तीसगढ़ में लंबी बीमारी के बाद हुई।
रामन्ना माओवादियों के पोलित ब्यूरो का सदस्य था और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव था। उसका असली नाम रावला श्रीनिवास था। माओवादी प्रवक्ता ने रामन्ना के निधन को संगठन और आंदोलन के लिए बड़ी क्षति बताया है। इससे पहले बस्तर के आइजी सुंदरराज पी ने रामन्ना की मौत की सूचना दी थी, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी थी।

झारखंड से था खास कनेक्शन
तेलंगाना के वारंगल जिले के बेकाल गांव के रहने वाले रामन्ना का झारखंड से खास कनेक्शन था। वह कई बार झारखंड आ चुका था। बूढ़ापहाड़ पर उसने अरविंद जी के साथ मिल कर माओवादियों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया था। सारंडा में भी वह सक्रिय रहा था। बताया जाता है कि बिटिकल सोय में हुए नक्सली हमले में भी वह शामिल था। इसके अलावा कई अन्य नक्सली हमलों में भी उसका हाथ था। लातेहार में शहीद जवानों के पेट में बम लगाने के पीछे उसका ही दिमाग था।

नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड था
रामन्ना ने 1983 में माओवादी संगठन में प्रवेश किया और गांव के संगठन से लेकर सेंट्रल कमेटी तक में काम किया। सैन्य कार्रवाइयों के योजनाकार के तौर पर उसकी संगठन में खास पहचान थी। 36 सालों तक संगठन में अलग-अलग पदों पर काम करने वाले इस नाटे कद के चश्मा लगाने वाले माओवादी नेता को माओवादियों की पहली मिलिट्री दलम की कमान भी सौंपी गयी थी। उसे 2013 में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव बनाया गया था।

तीन दशक तक हर बड़े हमले के पीछे रहा हाथ
पिछले 30 सालों में भारत में माओवादियों के जितने भी बड़े हमले हुए हैं, उनमें रामन्ना का हाथ रहा है। उस पर 50 से अधिक मामले दर्ज हैं। वह इतना दुर्दांत था कि हमले में मरनेवालों के हाथ-पैर काट लेता था और बच्चों के सिर से खेलता था।

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