Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, May 25
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Jharkhand Top News»आखिर खुद पर मुकदमे की प्रतीक्षा क्यों कर रहे सरयू राय
    Jharkhand Top News

    आखिर खुद पर मुकदमे की प्रतीक्षा क्यों कर रहे सरयू राय

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskDecember 16, 2020No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    वसीम बरेलवी का एक शे’र है, उसूलों पर आंच आये तो टकराना जरूरी है, जो अगर जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है। झारखंड में वसीम बरेलवी के इस शे’र को शिद्दत के साथ जी रहा कोई राजनेता नजर आता है, तो वह सरयू राय हैं। चाहे कोई राजनेता हो या आम आदमी। सब के सब मुकदमे से बचना चाहते हैं, पर सरयू राय न सिर्फ खुद पर मुकदमा किये जाने का इंतजार कर रहे हैं, बल्कि ताल ठोक कर अपने विरोधियों को चुनौती देते भी नजर आ रहे हैं। अपने ट्विटर एकाउंट में श्री राय ने कहा है कि झारखंड में अवैध खनन की जांच की मांग से आहत कुछ स्वार्थी तत्व मुझपर मुकदमे की योजना बना रहे हैं। वे अवैध खनन से राज्य के खजाने को हुए नुकसान की जांच कराये जाने की मेरी मांग से भी आहत हैं। मैं इसकी प्रतीक्षा कर रहा हूं क्योंकि इससे मुझे उन्हें बेनकाब करने का बेहतरीन मौका मिलेगा। यह कोई पहली दफा नहीं है जब सरयू राय ने अपने विरोधियों को चुनौती दी है, बल्कि कई दफा उन्होंने ऐसा किया है। यह उनकी सच के साथ खड़े होने की ही ताकत है कि अपनी लड़ाई में उन्हें जीत भी मिली है। बीते बिहार विधानसभा चुनाव में जब वे दियारा क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर रहे थे, तब भाजपा प्रत्याशी के समर्थकों ने उन्हें धमकियां दी थीं। इसके जवाब में सरयू राय ने कहा था कि चुनाव प्रचार में हर कोई अपने पसंद के दल या व्यक्ति का समर्थन करने के लिए स्वतंत्र है। धमकानेवाले यह न भूलें कि बिगड़ैल सांड़ को नाथना मुझे आता है। झारखंड की राजनीति में सरयू राय की पॉलिटिकल एक्टिविस्ट की छवि की पड़ताल करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

    बीते साल 23 दिसंबर को जब झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किये गये, तो झारखंड में जिस जीत की सबसे अधिक चर्चा हुई वह सरयू राय की जीत थी। चर्चा इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने रघुवर दास को मुख्यमंत्री रहते उनके गढ़ में हराया था, और अपने दम पर जीत हासिल की थी। जमशेदपुर पूर्वी का विधायक बनने के बाद सरयू राय जहां मैनहर्ट कंसलटेंट नियुक्ति घोटाले पर किताब लिखने के कारण चर्चा में रहे, वहीं अब उनकी चर्चा झारखंड में हुए लौह अयस्क के अवैध खनन की जांच की मांग को लेकर हो रही है।
    सरयू राय ने न सिर्फ शाह ब्रदर्स की करमपदा लौह अयस्क खदान में भंडारित लौह अयस्क के उठाव पर सवाल खड़े किये, बल्कि पश्चिमी सिंहभूम जिला खनन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाये। श्री राय ने खान सचिव के श्रीनिवासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि शाह ब्रदर्स को फायदा पहुंचाने के लिए बंद खदान में पड़े लौह अयस्क को बेचने की अनुमति दी गयी। शाह ब्रदर्स का खनन लीज 2019 में सरकार ने रद्द कर दिया था। जिले की पांच-छह अन्य लौह अयस्क कंपनियों की लीज भी 31 मार्च 2010 को खत्म हो गयी। खान विभाग के नियम के अनुसार किसी भी माइनिंग कंपनी की लीज खत्म होने के बाद अधिकतम सात माह तक कंपनी अपने स्टॉक का उठाव कर सकती है। लीज खत्म होने के छह महीने बाद फॉरेस्ट क्लीयरेंस खत्म हो जाता है, ऐसे में खदान से अयस्क का उठाव किस नियम के आधार पर किया जा रहा है।
    इसलिए कर रहे मुकदमे का इंतजार
    झारखंड की राजनीति के जानकारों का कहना है कि सरयू राय खुद पर मुकदमे का इंतजार इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे मैनहर्ट कंसलटेंट घोटाला हो या फिर लौह अयस्क खनन घोटाला। इनके खिलाफ अपनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाना चाहते हैं। उनके पास इन दोनों घोटालों में हुई अनियमितताओं के तथ्यात्मक सबूत हैं। इन सबूतों के आधार पर कार्रवाई हुई तो फिर घोटालेबाजों की शामत आनी तय है। लम्हों की खता किताब लिखकर सरयू राय ने मैनहर्ट नियुक्ति घोटाले में ऐसी बहस छेड़ी है, जिसकी गूंज अभी मद्धिम नहीं हुई है। सरयू राय लौह अयस्क घोटाले पर भी किताब लिख सकते हैं। सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को स्मार पत्र देकर पूर्व की भाजपा सरकार में महाधिवक्ता रहे अजीत कुमार पर कार्रवाई की मांग की है। वहीं पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराने की भी मांग की है। पत्र में उन्होंने जिस प्रकार बिंदुवार घोटाले की परतें उघाड़ी है, उसके बाद घोटाले के आरोपी सहमे हैं।
    गंदा हुआ पानी, तो फिर उठ खड़े हुए सरयू
    ऐसा नहीं है कि सरयू राय सिर्फ घपलों और घोटालों के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे हैं, पर्यावरण संरक्षण का मसला हो या राजनीति में शुचिता की वकालत, सरयू राय ने यह जिम्मेवारी भी बखूबी निभायी है। सरयू राय के नेतृत्व में दामोदर नद को साफ करने की जिम्मेवारी युगांतर भारती और पर्यावरणविदों के एक समूह ने उठायी थी, 2004 में शुरू हुई यह मुहिम रंग लायी और दो साल पहले दामोदर नद औद्योगिक प्रदूषण से लगभग मुक्त हो गयी थी। कोरोना काल में तो इसका पानी इतना निर्मल हो गया था कि पूजा-अर्चना और मानवीय जरूरतों के लिए इसके पानी का इस्तेमाल होने लगा था। बाद मेें बोकारो स्टील और कई दूसरे प्रतिष्ठान भी इसमें अपना कचरा गिराने लगे। इससे दामोदर फिर प्रदूषित होने लगा। जैसे ही सरयू राय को इसकी सूचना मिली वे इसके खिलाफ उठ खड़े हुए और वन पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर उन्होंने इसपर कार्रवाई की मांग की।
    सरयू राय ने सबसे पहले 1994 में पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था। बाद में इस घोटाले की सीबीआई जांच हुई। राय ने इस घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष किया। नतीजा राजद सुप्रीमो लालू यादव समेत दर्जनों राजनीतिक नेताओं और अफसरों को जेल जाना पड़ा। इससे पहले सरयू राय ने 1980 में किसानों को सप्लाई की जानेवाली घटिया खाद, बीज और नकली कीटनाशकों का वितरण करनेवाली शीर्ष सहकारिता संस्था के खिलाफ आवाज उठायी थी। तब उन्होंने किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए सफल आंदोलन किया था। सरयू राय ने ही एकीकृत बिहार में अलकतरा घोटाले का भंडाफोड़ किया था। इतने घोटालों के पर्दाफाश के बाद सरयू राय का नाम भ्रष्ट नेताओं में खौफ का पर्याय बन गया।

    After all why is Saryu Rai waiting for a case against himself
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleलव जिहाद काे लेकर कानून बनाये गुजरात सरकार : भाजपा सांसद वसावा
    Next Article दादा-पोता की जिंदा जल कर मौत, तीन बच्चे झुलसे
    azad sipahi desk

      Related Posts

      आरक्षण का श्रेणी वार परिणाम नहीं निकाल कर जेपीएससी ने परीक्षा को बना दिया संदिग्ध: प्रतुल शाहदेव

      May 24, 2025

      सिल्ली में जलसंकट की स्थिति बेहद चिंताजनक: बाबूलाल

      May 24, 2025

      संजय सेठ ने घायल जवान अवध सिंह का हालचाल जाना, स्वास्थ्य की ली जानकारी

      May 24, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • केंद्र और राज्य टीम इंडिया की तरह मिलकर काम करें तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं : प्रधानमंत्री
      • राहुल गांधी ने पुंछ में गोलाबारी के पीड़ितों से की मुलाकात, नुकसान को बताया एक बड़ी त्रासदी
      • नीति आयोग की बैठक में हर घर नल योजना और यमुना के मुद्दे पर भी हुई चर्चाः रेखा गुप्ता
      • आतंकवादियों को नहीं पढ़ाई जाएगी जनाजा नमाज, भारत में दफनाया भी नहीं जाएगा : डॉ इलियासी
      • आरक्षण का श्रेणी वार परिणाम नहीं निकाल कर जेपीएससी ने परीक्षा को बना दिया संदिग्ध: प्रतुल शाहदेव
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version