रांची। हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शुक्रवार को वाहनों पर नेम प्लेट लगा कर इसका दुरुपयोग करने केमामले में गजाला तनवीर की जनहित याचिका की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के परिवहन सचिव वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए। खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि कई लोग अपनी गाड़ियों पर नेम प्लेट लगाते हैं। इनमें किसी पार्टी के नेता, पार्षद, सरकारी अधिकारी सहित अन्य लोग शामिल हैं। ये लोग वाहनों पर नेम प्लेट लगा कर सड़कों पर घूमते हैं और यातायात पुलिस पर दवाब बनाते हैं। इससे वीवीआइपी कल्चर को बढ़ावा मिल रहा है। कोर्ट ने कहा कि वीवीआइपी का लाभ लेने के लिए वाहनों पर नेम प्लेट लगाने की इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जब लाल और पीली बत्तियों को वाहनों में लगाना मना कर दिया गया, तब नेम प्लेट लगाने का क्या औचित्य है। प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वाहनों पर किसी भी पदनाम और नेम प्लेट नहीं लगायी जा सकती है, झारखंड में इसका पालन किया जाना चाहिए।
इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से हाइकोर्ट को जानकारी दी गयी कि राज्य सरकार नियमावली बना कर निजी वाहनों में नेम प्लेट लगा कर घूमने वालों के नेम प्लेट को सरकार हटायेगी।
परिवहन सचिव ने कोर्ट को बताया कि नेम प्लेट के मामले में अभी कोई नियम नहीं है, लेकिन जल्द ही इसकी नियमावली बना कर वाहनों से नेम प्लेट हटाने की कार्यवाही की जायेगी।
कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि निजी वाहनों पर नेम प्लेट और पदनाम का बोर्ड लगा कर लोग घूमते देखे जाते हैं, उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती है। सुप्रीम कोर्ट ने वीआइपी कल्चर को समाप्त करने के उद्देश्य से वाहनों पर लगने वाले लाइट और नेम प्लेट हटाने का निर्देश दिया था। खंडपीठ ने मामले में राज्य सरकार को छह सप्ताह का समय देते हुए स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।
नेम प्लेट लगा वीआइपी कल्चर को बढ़ावा दे रहे हैं नेता-अधिकारी : हाइकोर्ट
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