अजय शर्मा
रांची। (आजाद सिपाही) । कोयला तस्करी में एक नया नाम उभर कर सामने आया है, अरुण साव का। यह नाम इन दिनों पुलिस अधिकारियों की जुबान पर भी है। उसने नया कारोबार शुरू किया है, वह भी कोयला तस्करी का। रांची का रहनेवाला बताया जाता है, लेकिन धंधा कोयलांचल में करता है। झारखंड के कई पुलिस अधिकारी उसके सीधे संपर्क में हैं। वह जहां से चाहता है, वहीं से तस्करी शुरू कर देता है। अभी उसका पूरा धंधा बड़कागांव थाना क्षेत्र में चल रहा है। कोयला से जुड़े कारोबारी बताते हैं कि अरुण की सेटिंग ऊपर तक है। लोग उसे कई अलग-अलग नाम से जानते हैं। बड़कागांव के नापोखुर्द पंचायत के इंदिरा जंगल से अवैध कोयला खनन कर हर दिन 30 से 40 ट्रैक्टर जोभिया से तलस्वार पलांडू होते हुए झिकझोर, लहरसा में जमा कराता है। खेल यहीं से शुरू होता है।
ट्रैक्टर से यहां अनलोड कराये गये अवैध कोयले को हाइवा और डंफर में लोड कर पिठोरिया और बुढ़मू इलाके में लाया जाता है।

अवैध कोयला लदे हाइवा और डंफर दिन-रात इस धंधे में लगा दिये गये हैं। अरुण का कारोबार सिर्फ यहीं तक सिमटा नहीं है। धनबाद, गिरिडीह के कुछ इलाके और जामताड़ा तक धंधा फलफूल रहा है। इसकी धमक इतनी है कि अगर कोई इसके अवैध कोयला लदे ट्रक को रोकता है, तो उसका तबादला कराने की धमकी देता है। धनबाद से भी कोयले की तस्करी शुरू कर दी गयी है, जो गिरिडीह के रास्ते बनारस की मंडियों तक पहुंच रहा है। कोयला तस्करी के लिए अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग कोड भी जारी किये गये हैं। अगर कहीं कोई पुलिस रोकती है, तो ड्राइवर कोडवाला नोट दिखा कर निकल जाता है। कोयला तस्करी का कारोबार संगठित तरीके से फल-फूल रहा है। इस अवैध कारोबार का बड़ा हिस्सा अधिकारियों तक पहुंच रहा है। यही वजह है कि जब ग्रामीण पुलिस अधिकारियों को तस्करी की सूचना देते हैं, तो उन्हें जवाब सुनने को मिलता है कि आपको कोई और काम नहीं है क्या, दुबारा फोन मत कीजियेगा।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version