- गरीबों को सस्ता पेट्रोल-डीजल देने की घोषणा कर कर दिया बड़ा धमाका
- 10 लीटर तक प्रति लीटर 25 रुपये की रियायत देने की घोषणा कर देश में पहला राज्य बन गया झारखंड
- पारा टीचर, अनुबंधकर्मी, छात्र और सहिया दीदी के अंदर जगायी आशा की किरण
21 साल के गबरू जवान राज्य झारखंड के लिए 29 दिसंबर, 2021 का दिन कई मायनों में खास रहा। राज्य गठन के बाद पहली बार गैर-भाजपा दलों की पूर्ण बहुमत की सरकार ने अपने कार्यकाल की दूसरी वर्षगांठ मनायी, तो स्वाभाविक रूप से खनिज संपदा से भरपूर इस गरीब राज्य के सपने अंगड़ाई लेने लगे। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी आदत के अनुरूप राज्य के सुनहरे भविष्य की तस्वीर उकेरी और लोगों को आश्वस्त किया कि वह समृद्ध झारखंड के सपने को साकार करने के लिए तन-मन-धन से काम कर रहे हैं, करते रहेंगे। अपने दो साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने के साथ हेमंत ने भविष्य के रोडमैप का खाका पेश तो किया, लेकिन कहीं भी वह अपने रास्ते से इधर-उधर भटकते नहीं दिखे। इतना ही नहीं, राज्य के गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए पेट्रोल-डीजल के दाम में 25 रुपये प्रति लीटर (Þ10 लीटर तक) की छूट देकर उन्होंने एक बड़ा धमाका किया, जिससे महंगाई की मार झेल रहे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार को बड़ी राहत मिलेगी, जिसका असर आनेवाले दिनों में दिखाई देगा। हेमंत सोरेन की इस एक घोषणा ने उन्हें राजनेताओं की ऐसी कतार में लाकर खड़ा कर दिया है, जो सचमुच में गरीबों की सोचते हैं, गरीबों के लिए चिंता करते हैं। इस नजरिये से झारखंड ने पूरे देश के सामने एक उदाहरण पेश किया है और इसका दूरगामी परिणाम पड़ना स्वाभाविक है। हेमंत सोरेन सरकार की दूसरी वर्षगांठ के मौके पर आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री की घोषणाओं के राजनीतिक असर का आकलन करती आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राहुल सिंह की खास रिपोर्ट।
बेमौसम बारिश, कोहरा और हाड़ कंपानेवाली ठंड के बीच मंगलवार 29 दिसंबर, 2021 को रांची के मोरहाबादी मैदान में जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को पेट्रोल में प्रति लीटर 25 रुपये की छूट देने का एलान किया, तो एकाएक लोगों के अंदर से सर्दी में भी गर्मी का एहसास होने लगा। पूरे राज्य में हर किसी की जुबान पर हेमंत की ओर से मोरहाबादी मैदान में की गयी इस घोषणा की ही चर्चा होने ेलगी। सचमुच में हेमंत सोरेन की इस एक घोषणा ने उनकी सरकार की दूसरी वर्षगांठ को अचानक खास बना दिया और मोरहाबादी मैदान में आयोजित समारोह के महत्व को भी रेखांकित कर दिया।
वैसे तो इस समारोह का एक-एक क्षण यादगार रहा, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के संबोधन ने इसके महत्व को कई गुना बढ़ा दिया। दोपहिया वाहन मालिकों के लिए पेट्रोल की कीमतें कम करने की घोषणा कर हेमंत सोरेन ने वह धमाका किया, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। लेकिन उनके भाषण की सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने कभी भी अतीत का रोना नहीं रोया और लकीर के फकीर नहीं बने। झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और आदिवासियत के पहरुए के रूप में हेमंत ने अब तक अपनी जो छवि बनायी है, वह इस समारोह में भी बखूबी नजर आयी। अपने पिता और राजनीतिक गुरु शिबू सोरेन का हाथ पकड़ कर वह जिस तरह मंच पर आये और अपने भाषण में जिस साफगोई से अपनी बातें रखीं, उसका कायल झारखंड का हर व्यक्ति हो गया।
देश के किसी भी राज्य में पेट्रोल की कीमत में इतनी राहत अब तक किसी ने नहीं दी है। इस लिहाज से हेमंत सोरेन ने झारखंड को देश के सामने एक नजीर की तरह पेश किया है। उन्होंने साफ किया कि इस फैसले से पड़नेवाले आर्थिक बोझ का वहन झारखंड अपने ही संसाधनों से कर लेगा और इसके लिए नया कर्ज लेने की जरूरत नहीं होगी। यह कह कर उन्होंने आर्थिक विशेषज्ञों की चिंता को भी एक झटके में खत्म कर दिया है। अब पेट्रोल-डीजल वितरण की इस नयी व्यवस्था का फुल प्रूफ सिस्टम विकसित करने की चुनौती है।
अपने भाषण में जब हेमंत ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का विवरण दिया, तो उसमें कहीं भी अतिरंजना नजर नहीं आयी। चाहे प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों को भी डेवलप किये जाने की योजना का जिक्र हो या आदिवासी बच्चों को विदेशों में पढ़ने के लिए शत-प्रतिशत स्कॉलरशिप देने की योजना हो, उन्होंने साफगोई से इन्हें जनता के सामने रखा। हेमंत ने जब कहा कि दो साल के दौरान 28 से 30 योजनाएं धरातल पर उतरीं, तो उन्होंने राज्य को कोरोना महामारी के उस भयावह दौर की याद भी करायी, जब हर व्यक्ति के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा था। हेमंत ने उस अवधि के दौरान राज्य सरकार द्वारा सामाजिक मोर्चे पर किये गये कार्यों का उल्लेख किया और झारखंड के हितों की रक्षा करने का संकल्प भी जताया। दो साल पहले सत्ता संभालने के कुछ दिन पूर्व हेमंत सोरेन ने कहा था कि उनकी सरकार बदले की भावना से कोई काम नहीं करेगी और सरकार का हर फैसला झारखंड के हित में होगा। अपनी सरकार के दो साल पूरे होने पर उन्होंने जो भाषण दिया, उसमें भी यह साफ नजर आया। इसके साथ यह भी स्थापित हुआ कि आज की तारीख में हेमंत सोरेन झारखंड और खासकर आदिवासी समाज के एक प्रमुख नेता बन चुके हैं।
महागठबंधन सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने झारखंड के सामने व्याप्त चुनौतियों की फेहरिस्त भी पेश की और किसी सुलझे हुए राजनेता की मानिंद इनसे पार पाने के रास्ते का ब्लूप्रिंट भी जनता के सामने रखा। उन्होंने न अतीत का रोना रोया और न सुनहरे सपने दिखाये, बल्कि झारखंड के विकास का रोडमैप ही पेश किया। आम तौर पर माना जाता है कि जो नेता लच्छेदार शब्दों और सुनहरे सपनों में लिपटी बात जनता से नहीं करता है, उसका महत्व कम हो जाता है, लेकिन हेमंत ने अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान और आज भी इसे गलत साबित कर दिया। वह आज एक मुख्यमंत्री के रूप में ही नहीं, झारखंड की मिट्टी के बेटे के रूप में नजर आये और उनका यही रूप उनकी अलग छवि गढ़ गया। वर्षगांठ के अवसर पर उन्होंने पारा टीचर, सहिया, अनुबंध कर्मी और अन्य कर्मचारियों की समस्याओं पर भी विस्तार से चर्चा की और उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी सरकार इन समस्याओं के समाधान के प्रति संकल्पबद्ध है। छात्रों के बारे में भी हेमंत सोरेन ने यह स्पष्ट कर दिया कि झारखंड के भविष्य के प्रति उनकी क्या सोच है और वे उन्हें कहां देखना चाहते हैं।
हालांकि अगले दो दिन बाद नये साल का आगाज होगा और इसके साथ ही हेमंत सोरेन सरकार को उन तमाम चुनौतियों से दो-दो हाथ करना होगा, जिनका जिक्र मुख्यमंत्री ने किया है। सीमित संसाधनों के बीच झारखंड जैसे राज्य में गरीबों को इतनी राहत दे देना, आसान बात नहीं है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका में डूबते-उतराते सवा तीन करोड़ लोगों के इस प्रदेश को हेमंत सोरेन और उनकी सरकार कैसे आशाओं के सुनहरे संसार में ले जाती है, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि झारखंड के सब कुछ शुभ-शुभ होगा।